भाग्यश्री: वो महिला जो बीमार व ग़रीबों को देती है सहारा, मृतकों का ख़ुद करती है अंतिम संस्कार

Sanchita Pathak

अक्सर हमें सड़क किनारे ग़रीब, बेसहारा, बीमार, ज़ख़्मी लोग पड़े मिल जाते हैं. मैले-कुचैले कपड़े वाले इन लोगों को देखकर हम मुंह फेर लेते हैं. लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो इन्हें देखकर दुखी होते हैं और इन्हें खाने व पहनने को कुछ दे देते हैं. हक़ीक़ीत यही है कि ज़्यादातर लोग इन्हें घृणा की नज़रों से ही देखते हैं.

ANI

हमारे बीच के ही कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो इनको एक बेहतर ज़िन्दगी देने की कोशिश करते हैं. ऐसी ही एक महिला हैं इंदौर की रहने वाली भाग्यश्री खड़खड़िया. भाग्यश्री बेघर, असहाय और बीमार व्यक्तियों की सहायता करती हैं. यहीं नहीं वे सड़क पर मृत पड़े लोगों के दाहकर्म की भी व्यवस्था करती हैं.


ANI के एक लेख के अनुसार, Archaeology में Phd कर रहीं भाग्यश्री ने बताया कि वो अमरजीत सिंह सुदान के काम से प्रेरित हुईं और लोगों की मदद करना शुरू किया. अमरजीत सिंह को इंदौर का ‘फ़ादर टेरेसा’ भी कहा जाता है.

मैंने अमरजीत सिंह के साथ 5 साल काम किया. उन्होंने जो किया मैं बस उसे आगे लेकर जा रही हूं. लॉकडाउन में राहत मिलने के बाद अब मैं फिर से सड़क पर बेसहारा पड़े लोगों की मदद कर रही हूं. उनके पुर्नवास, ट्रीटमेंट के साथ ही उनके दिवंगत होने के बाद मैं उनके दाहकर्म की भी ज़िम्मेदारी लेती हूं. 

-भाग्यश्री

भाग्यश्री ने बताया कि उसके पिता, ब्रजमोहन और पति नवीन भी उसे सपोर्ट करते हैं. पैंडमिक के दौरान भी भाग्यश्री ने लोगों की मदद जारी रखी. भाग्यश्री का एक 2 साल का बेटा है. भाग्यश्री के पति नवीन रेलवे में काम करते हैं. वो भाग्यश्री की आर्थिक मदद करने के साथ ही काम से लौटने के बाद उसका साथ भी देते हैं.

बहुत से लोग मुझे फ़ोन पर कॉन्टैक्ट करते हैं. बहुत से लोग तो मुझे राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में मिले. कई लोगों के शरीर पर पूरी तरह से कीड़े लग गए थे. मैं उन्हें ज्योति निवास आश्रम ले जाती हूं. 

-भाग्यश्री

ANI

श्मशान में मौजूद एक कर्मचारी सोहन ने बताया कि, जब भी कोई अनक्लेम्ड बॉडी आती है तो वे भाग्यश्री को फ़ोन करते हैं और वही उनका दाहकर्म पूरा करती हैं. एक अन्य कर्मचारी, बबलू ने बताया कि भाग्यश्री कई बार ख़ुद ही ऐंबुलेंस में बॉडी लेकर आती हैं, क़ानून कार्रवाई से लेकर सारा ख़र्च तक वो ख़ुद ही उठाती हैं. 

भाग्यश्री उदाहरण हैं न सिर्फ़ महिलाओं के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए.

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