भारत की पहली महिला सिविल इंजीनियर, जिन्होंने कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक 69 पुलों का निर्माण किया था

Kratika Nigam

India’s First Female Civil Engineer Shakuntala Bhagat: अक्सर लोग बात करते हैं कि समाज महिलाओं के कठोर रहा है, इसलिए उन्हें वो आसमान नहीं मिला जो उन्हें मिलना चाहिए था. कभी-कभी जब बुज़ुर्गों के साथ बैठे तो सुनने को मिलता है कि अब तो फिर भी महिलाओं के लिए चीज़ें बहुत आसान हो गई हैं पहले ऐसा नहीं था. चलिए, उनकी बातों को मान लिया कि चीज़ें आसान नहीं थीं, लेकिन पहले भी कुछ महिलाएं ऐसी थीं जिन्होंने इस समाज की सोच के विपरीत जाने का साहस दिखाया और वो हासिल किया जो वो करना चाहती थीं. कुछ भी हासिल करने के लिए युग या दौर का बदलना ज़रूरी नहीं है ज़रूरी होता है आत्मविश्वास, जो आपको आपका मनचाहा पाने के लिए हिम्मत देता है और दूसरों को आप पर यक़ीन दिलाता है. आज हम एक ऐसी ही महिला की कहानी जानेंगे, जिन्होंने सन् 1953 में वो कर दिखाया जो आप आज करने से झिझकेंगी.

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हम बात कर रहे हैं भारत की पहली महिला सिविल इंजीनियर शकुंतला ए. भगत (India’s First Female Civil Engineer Shakuntala Bhagat) की, जिन्होंने सन् 1953 में मुंबई के वीरमाता जीजाबाई प्रौद्योगिकी संस्थान से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की और पहली महिला सिविल इंजीनियर बनीं. इन्होंने पुल निर्माण के अनुसंधान और विकास में बड़ी भूमिका निभाई है. आइए जानते हैं कि इसकी शुरुआत कहां से और कैसे हुई?

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दरअसल, 1960 में शकुंतला ने पेन्सिलवेनिया यूनिवर्सिटी से ‘सिविल और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग’ में डिग्री ली. इसके बाद, वो मुंबई के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में सिविल इंजीनियरिंग में सहायक प्रोफ़ेसर और ‘हैवी स्ट्रक्चर लैबोरेट्री’ की प्रमुख रहीं. इनकी विवाह अनिरुद्ध भगत से हुआ, जो एक मैकेनिकल इंजीनियर थे. सन् 1970 में, शकुंतला भगत ने अपने पति के साथ मिलकर पुल निर्माण कंपनी ‘क्वाड्रिकॉन’ (Quadricon) की स्थापना की. इस तरह के पुल ज़्यादातर हिमालयी क्षेत्र में देखने को मिलते हैं.

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आधुनिक डिज़ाइन वाली इस फ़र्म ने यूके, यूएसए और जर्मनी सहित दुनिया भर में 200 पुलों को निर्माण किया है. इतना ही नहीं, इस दंपति ने सिविल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपनी सूझ-बूझ से काफ़ी महत्वपूर्ण बदलाव किए, जिनमें से एक ‘टोटल सिस्टम पद्धति का विकास करना था, जो इनका पेटेंट आविष्कार है. इसी पद्धति के साथ कंपनी ने सन् 1972 में हिमाचल प्रदेश के स्पीति में पहले पुल का निर्माण किया. इसके बाद, चार महीनों के अंदर कंपनी ने दो छोटे पुलों का निर्माण किया. 1978 तक कंपनी ने कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक 69 पुलों का निर्माण किया था.

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शकुंतला के अतुल्य योगदान और बदलाव के चलते इन्हें लंदन के ‘सीमेंट एंड कंक्रीट एसोसिएशन’ के लिए शोध करने का मौक़ा मिला साथ ही ‘Indian Road Congress’ की सदस्य भी रहीं. कुछ रिपोर्ट की मानें तो इनकी पद्धति पर सरकारी विभागों सहित कई निवेशकों का विश्वास डगमगा रहा था क्योंकि स्टील पर पेंच कसना या उसे जोड़ना मुश्किल होता है, लेकिन इन्होंने सभी प्रोजेक्ट को व्यक्तिगत जोखिम पर उठाए गए धन के साथ पूरा किया गया था.

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इस दंपति ने हार नहीं मानी और स्टील के पुलों का निर्माण आसानी से हो सके इसके लिए सन् 1968 में, क्वाड्रिकॉन ने ‘यूनीशर कनेक्टर’ बनाया, जो स्टील संरचनाओं को आसानी से जोड़ देता है. इसी आविष्कार के लिए सन् 1972 में शकुंतला ए. भगत और अनिरुद्ध भगत को ‘इंवेंशन प्रोमोशन बोर्ड’ द्वारा सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इसके अलावा, सन् 1993 में, शकुंतला भगत को ‘Women Of The Year’ के ख़िताब से भी नवाज़ा गया था. साल 2012 में 79 वर्ष की आयु में शकुंतला का निधन हो गया.

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