बोझ बन चुके Abusive रिश्ते से निकल कर, आज Amsterdam में वो आज़ाद सांसें ले रही है

Komal

Haritha आज Amsterdam में एक इंजीनियर है, अपने मन की ज़िन्दगी जी रही है. आज उसे देख कर कोई कह नहीं सकता कि वो क्या सह कर यहां तक पहुंची है. भारत में उसके साथ जो हुआ, वो यहां रह रही कई लड़कियों की सच्चाई है.

वो हर लड़की Haritha हो सकती है, जो घरवालों के दबाव में आ कर शादी कर लेती है, किसी ऐसे इंसान से जिसे ठीक से जानती भी नहीं. आज हज़ारों लोग Haritha की कहानी शेयर कर रहे हैं, क्योंकि कभी न कभी हम सबने खुद को ऐसी जगह फंसा पाया है, जहां हम होना नहीं चाहते, पर वहां से निकलने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाये. Haritha की कहानी, कहानी है एक असफल शादी की, ऐसे अपनों की, जो शादी के बाद लड़की को अपना मानना छोड़ देते हैं.

Humans of Amsterdam के Facebook पेज पर ये कहानी शेयर की गयी थी.

ज़्यादातर भारतीय मां-बाप की तरह, Haritha के मां-बाप का भी जैसे एक ही मकसद था- उसके लिए एक अच्छा पति और ससुराल खोजना. पर वो शादी नहीं करना चाहती थी, वो एक Ambitious लड़की थी, इंजीनियर के तौर पर अपने करियर पर फोकस करना चाहती थी. पर उसके मां-बाप के लिए उसके करियर, उसकी इच्छा और हर बात से ज़्यादा ज़रूरी था, उसे शादी के बंधन में बांधना.

जब Haritha ने शादी से मना किया, तो घर का माहौल ही अजीब सा हो गया, नौबत यहां तक आ गयी कि उसके पिता ने उससे बात तक करना बंद कर दिया. अपने मां-बाप की ख़ुशी के लिए उसे शादी के लिए मानना पड़ा. उसकी शादी एक ऐसे आदमी से करा दी गयी, जिसे वो ठीक से जानती तक नहीं थी, प्यार तो बहुत दूर की बात था.

Haritha और उसके पति में कोई आपसी लगाव, Understanding या प्यार जैसा कुछ भी नहीं था. मां-बाप कहते थे ‘शादी के बाद सब ठीक हो जाता है, प्यार भी हो जाता है’, सो वो भी खुद को ये ही समझाती रही, सोचा एक दिन उनकी शादी में भी प्यार आ ही जाएगा.

ससुरालवाले ले लेते थे सारी सैलरी 

दिक्कत सिर्फ ये ही नहीं थी कि प्यार नहीं था, उसके ससुराल वाले हद से ज़्यादा Controlling थे. उसे अपनी सैलरी अपने ससुरालवालों को देने के लिए फ़ोर्स किया गया. ये ही नहीं, उससे कहा गया कि अपने पिता से दहेज़ भी मांगे. पति भी इस सब में अपने घर वालों का साथ देता था. उसका फ़ोन हमेशा चेक किया जाता था, पति ने कई बार उस पर बदचलन होने का आरोप भी लगाया. जब कभी उसे देर तक काम करना पड़ता, उसका पति उससे कहता कि आज किसके साथ सेक्स कर रही थी? ऐसा अपमान सहना अब रोज़ की बात हो गयी थी.

आज किसके साथ सेक्स कर रही थी?

इस सबके बावजूद वो अपने काम पर ध्यान देने की पूरी कोशिश करती थी, एक काम ही तो था, जो उसे सुकून देता था. उसने हर वो मुमकिन कोशिश की कि सब ठीक हो जाए. वो खुद अपने पैसों से कई बार अपने पति को ट्रिप्स भी कराने ले कर गयी, उसे लगता था कि और जगहों का कल्चर देख कर शायद उसका पति बदल जाये, या कुछ सीख जाए. दुर्भाग्यवश उसकी हर कोशिश नाकाम हुई.

जब हालात बद से बदतर होने लगे, तो उसने अपने मैनेजर से बात कर के अपना ट्रान्सफर Amsterdam में करा लिया. जब वो Amsterdam पहुंची, तो उसे एहसास हुआ जैसे वो फिर सांस ले पा रही है, बंदिशों के बिना उस हवा में वो रिलैक्स्ड महसूस कर रही थी. वहां कुछ नए दोस्त भी बन गए थे.

एक बार वो एक Storytelling Event में गयी, जहां कई औरतों की मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना की कहानी सुन कर उसे एहसास हुआ कि उसकी स्थिति फिर भी बेहतर है और वो अब भी बच सकती है. उसे एहसास हुआ कि अगर अब भी नहीं निकली इस नरक से, तो हो सकता है उसकी हालत भी उन औरतों जैसी हो जाए. उसे अपनी शक्ति का एहसास हुआ और उसने फोन पर अपने पति से कह डाला कि उसे डाइवोर्स चाहिए. ये कह कर उसे जिस उन्मुक्ति का एहसास हुआ, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था. मानों दिल पर से कोई बोझ उतर गया हो. पर ये तो बस शुरुआत थी खुद को दोबारा पा लेने के संघर्ष की.

जब उसके पिता को पता चला कि वो तलाक लेना चाहती है, वो बेहद दुखी हुए. उससे कहा गया कि इंडिया आकर पहले इस बारे में बात करे. वो जानती थी कि अब कुछ भी उसका मन नहीं बदल सकता था, पर तलाक लेने के लिए भी तो उसे भारत जाना ही पड़ता, सो 2 हफ़्ते की छुट्टी लेकर चली गयी भारत. उसके घरवाले उसके फैसले से नाखुश ही नहीं, गुस्सा भी थे. ससुराल दूर था, वो सब बात करने के लिए अगले दिन वहां गए.

गायब कर दिया गया पासपोर्ट और सभी डॉक्यूमेंट्स 

उसे याद आता है कि किस तरह सब उसे घेर के बैठे थे और हर कोई बस यही समझाना चाहता था ‘तलाक मत लो, तलाक बुरा होता है’. ये घंटों तक चला, उस दिन वो अपने पति के घर ही सोयी. वहां होना ही उसे हर उस बात का एहसास दिला रहा था, जिसके कारण उसने ये मुश्किल फैसला लिया था. जब अगले दिन उठी, तो उसका सारा सामान, पासपोर्ट, फ़ोन, क्रेडिट कार्ड्स, सबकुछ गायब था. वो घबरा गयी. जब अपने ससुरालवालों को बताया, तो उससे कहा गया कि शायद किसी ने घर में चोरी कर ली है. तब उसे एहसास हुआ कि उसके साथ क्या हुआ है.

पासपोर्ट दोबारा बनने में कम से कम तीन महीने का समय लगता है, उसकी छुट्टियां भी खत्म होने वाली थीं. पासपोर्ट बनवाने के लिए उसे अपने पिता या पति के साइन की भी ज़रुरत थी. उसे कभी अपनी ज़िन्दगी में इतनी बेबसी महसूस नहीं हुई थी. पर Amsterdam में आज़ाद होने का जो एहसास उसे मिला था, बस वो ही था जो उसे हारने नहीं दे रहा था.

डर लगा रहता था कि ज़बरदस्ती वापस नरक में धकेल  दिया जाएगा 

उसने अपने बॉस को ईमेल कर के 2 हफ़्ते की छुट्टी और मांगी. वो किसी तरह उस घर से निकली और अपने डॉक्यूमेंट दोबारा बनवाने की ठानी. वो पासपोर्ट ऑफिस गयी. दस घंटे इंतज़ार करने के बाद उसकी बारी आई. वो सच नहीं बता सकती थी, इसलिए उसने कहा कि एक मॉल में उसका सामान चोरी हो गया है और उसे नया पासपोर्ट चाहिए. उसके पिता या पति के साइन मांगे गए, उसके लिए भी उसे किसी तरह उन्हें कन्विंस करना पड़ा. उसने कहा कि उसके पिता और पति दोनों ही देश में नहीं हैं. इस झूठ के सहारे उसे 5 दिन बाद आख़िरकार अपना पासपोर्ट मिल गया. पर अब भी उसे Netherlands का Residency Card चाहिए था. उसने Embassy में फोन कर के अपनी सिचुएशन बतायी और किसी तरह उसे Residency Card भी मिल गया. उसके पास पैसे भी ख़त्म हो रहे थे, वो अगले ही दिन फ्लाईट ले कर Amsterdam के लिए निकल गयी. जब तक वहां पहुंची नहीं, उसे हर वक़्त डर लगा रहता था. उसे लगता था कोई उसे पहचान लेगा और उसे फिर ज़बरदस्ती अपने पति के घर भेज दिया जाएगा.

जा चुकी थी नौकरी भी

जब वो Amsterdam में अपने घर पहुंची, तो रोई नहीं. उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि वो अब उस नरक से निकल आई है. सबकुछ एक बुरे सपने जैसा लग रहा था. उसे लौटने में 45 दिन लग गए थे. जब ऑफिस गयी, तो पता चला कि उसकी नौकरी जा चुकी है. वो वकील कर सकती थी पर अब और लड़ना नहीं चाहती थी. उसने अपने Colleagues को गुडबाय कहा और दूसरी नौकरी ढूंढने निकल पड़ी.

वो न तो अब दुखी थी, न ही डरी हुई थी, बल्कि वो तो और स्ट्रोंग फील कर रही थी. 17 दिन लगे उसे नयी नौकरी खोजने में. अब भी उसका तलाक नहीं हुआ है पर वो जानती है कि अब उसे उस नरक में वापस भी नहीं जाना है. मां-बाप से बात तो होती है पर उन पर भी अब वो भरोसा नहीं कर पाती. आज वो एक प्रतिष्ठित कंपनी में सॉफ्टवेर इंजीनियर है. उसके दोस्त ही अब उसका परिवार हैं, वो खुश है.

अकसर एक असफल शादी या तलाक के बाद यहां एक औरत की ज़िन्दगी तबाह सी हो जाती है, क्योंकि लोग मानते हैं कि एक औरत का उसके पति के बिना कोई अस्तित्व नहीं होता. पर Haritha ने सब कुछ झेलने के बाद फिर खुद को खोज लिया और आज वो हर उस औरत के लिए प्रेरणा है, जो किसी न किसी कारण से अपनी असफल शादी से निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पाती या एक सड़ चुके रिश्ते को झेल रही है.

हमारे देश में भले ही तलाक को बुरा माना जाता हो, पर ये एक ऐसे रिश्ते का बोझ ढोते रहने से तो बेहतर है, जिसमें घुटन होती हो, या प्यार ही न बचा हो. आज हज़ारों औरतें ससुराल में किसी न किसी तरह की प्रताड़ना सहती हैं, पर बहुत कम ही हिम्मत जुटा पाती हैं तलाक जैसा फैसला लेने की. हिम्मत करें भी तो कैसे? शादी के बाद घरवाले तो उसे पराया बना देते हैं.

बेटियों को जब सिखाया जाता है कि पति के घर डोली जाती है और अर्थी ही वापस आती है, तो हम उन्हें मजबूर कर देते हैं हर हालात में वहां रहने के लिए. कई औरतें इसे अपनी नियति मान कर ज़िन्दा लाश बन कर उस रिश्ते को निभाती रहती हैं. क्या एक जिंदा लाश बन जाना तलाक से बेहतर है? तलाक इतना बुरा होता है हमारी सोच के कारण, इस मानसिकता के कारण कि पति के बिना औरत का कोई अस्तित्व नहीं होता.

अगर आप भी किसी Haritha को जानते हैं, तो उसके साथ ये ज़रूर शेयर करें, शायद ये पढ़ कर उसे फिर जी उठने की हिम्मत मिल जाए.

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