500 रुपये से चूड़ियों का काम शुरू करने वाली कमल कुंभार, आज 5000 महिलाओं को दे रही हैं रोज़गार

Kratika Nigam

Inspiring Story Of Kamal Kumbhar: ग़रीब परिवार, आर्थिक तंगी और नाक़ाम शादी अगर ये पहचान बना दी जाए तो औरत हो या मर्द दोनों की बुरा लगेगा. क्योंकि ये तीन चीज़ें कभी उस इंसान की पहचान नहीं बन सकते, जिन्हें परिस्थितियों को अपने हक़ में मोड़ना आता हो. ऐसी ही कुछ प्रेरणादायक, संघर्षभरी और सफलता की कहानी है महाराष्ट्र की रहने वाली कमल कुंभार (Kamal Kumbhar) की. कमल ने अपनी ज़िंदगी में बहुत से उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन उनका डटकर सामना किया और समाज में एक Entrepreneur बनकर उभरीं.

Image Source: yourstory

Inspiring Story Of Kamal Kumbhar

ये भी पढ़ें: सीमा देवी: लोगों ने उड़ाए मजाक, ताने कसे, ऐसी है जम्मू की पहली महिला ई-रिक्शा ड्राइवर की कहानी

आइए कमल कुंभार की ज़िंदगी के बारे में जानते हैं कि वो कैसे एक सफल Entrepreneur बनीं?

The Better India के अनुसार, महाराष्ट्र के उस्मानाबाद के एक मज़दूर परिवार में जन्मीं कमल कुंभार ने बचपन से ग़रीबी देखी. आर्थिक तंगी के चलते उन्हें वो शिक्षा नहीं मिली, जिससे वो आगे कुछ कर पातीं. ग़रीब परिवार में खाने वाले पेट ज़्यादा हों तो मां-बाप न चाहते हुए भी लड़कियों की शादी जल्दी कर देते हैं ताकि उनका कुछ भार कम होगा. ऐसा ही कुछ कमल के साथ भी हुआ वो थोड़ी बड़ी हुईं तो उनकी शादी कर दी गई, लेकिन शादी भी विफल रही, जिसके बाद वो अपने घर वापस आ गईं.

Image Source: assettype

घर तो अपना ही था, लेकिन समाज की छोटी सोच शादी के बाद लड़की पराई हो जाती है तो बस कमल को पराई मानकर समाज के लोगों ने ताने देना शुरू कर दिया. मगर कमल इन तानों को अपनी जिंदगी नहीं बनाना चाहती थीं उन्हें कुच करना था, लेकिन कैसे ये वो भी नहीं जानती थीं? क्योंकि उनके पास न तो डिग्री थी, न ही पैसे, फिर 500 रुपये से उन्होंने गांव में चूड़ियां बेचना शुरू की, जब उनके पास औरतें चूड़ियां लेने आतीं तो वो समझ गईं कि वो अकेली नहीं हैं, जो आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं, बल्कि उनके जैसी कई और औरतें भी हैं.

Image Source: blogspot

बस उन्हीं औरतों के लिए कुछ करने की चाह लेकर कमल ने चूड़ियां बेचकर जो पैसे कमाए उसमें कुछ उधार लेकर पैसे जोड़े, जो 2000 रुपये तक हो गए, फिर उन्हीं रुपयों से 1998 में कमल ने कमल पॉल्ट्री ऐंड एकता प्रोड्यूसर्स कंपनी की शुरुआत की और धीरे-धीरे औरतों को उसमें रोज़गार देना शुरू किया. जब इनकी कंपनी तरक्की करने लगी तो, कमल ने महिलाओं के लिए एक स्वयं सहायता समूह खोला.

Image Source: jagranimages

कमल ने रुकना नहीं सीखा. अपने अनुभवों में एक और अनुभव जोड़ते हुए उनके इलाक़े में जब रिन्यूएबल एनर्जी से जुड़ी योजना परियोजना आई तो उन्होंने ‘ऊर्जा विशेषज्ञ’ की ट्रेनिंग ली, जिससे उन्होंने गांव में महिलाओं में जागरुक किया और इसका परिणाम ये रहा कि 3,000 घरों में सोलर लैंप लग गए.

Image Source: webflow

इसके बाद, साल 2012 से 2015 के बीच जब ज़िले में भयंकर सूखा पड़ा तो कमल ने उस आपदा में अवसर देखा और उस सूखी ज़मीन पर बकरी पालन का काम शुरू किया, जिससे ग़रीबी, भुखमरी और सूखे से परेशान किसानों ने आत्महत्या करने की बजाय कमल का हाथ बंटाना शुरू किया.

Image Source: imgix.net

ये भी पढ़ें: पिता को आया ब्रेन स्ट्रोक, तो बेटी ने संभाली सैलून की ज़िम्मेदारी, इमोशनल कर देगी ये कहानी

कमल को पॉल्ट्री फ़ार्म में सफल होते देख गांव के अन्. लोगों ने भी इस काम को शुरू किया. गांव में जागरूकता फैलाने के लिए साल 2017 में UNDP, नीति आयोग ने Serial Entrepreneur कमल कुंभार से जुड़ना चाहा और FICCI ने भी उन्हें सम्मानित किया.

Image Source: thebetterindia

आपको बता दें, कमल के संगठन से आज लगभग 5000 महिलाएं जुड़ी हुई हैं और वो उन्हें आत्मनिर्भर बना रही हैं. कमल को पशुपालन के क्षेत्र में कुशल उद्यमिता के लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, 8 मार्च 2022 को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में 2020 और 2021 के लिए ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ दिया गया.

Image Source: wikimedia

कमल आज कई ऐसी महिलाओं के लिए मिसाल बनकर उभरी हैं, जो पढ़ाई न होने के चलते कुछ करने की हिम्मत नहीं जुटा पाती हैं.

आपको ये भी पसंद आएगा
IAS ऑफ़िसर, पूर्णा सुदंरी जिसने आंखों की रौशनी खोने के बाद भी अपना सपना पूरा करने की ठानी और सफल हुई
आयशा ख़ान: पति ने छोड़ा, बच्चों की ज़िम्मेदारी ली, पर हारी नहीं और झारखंड की ADJ बन कायम की मिसाल
मिलिए महज़ 22 साल की उम्र में IAS ऑफ़िसर बनने वाली निडर और दबंग स्वाति मीणा से
दुर्गाबाई व्योम की कहानी है इंस्पायरिंग, झाड़ू-पोछा करने से लेकर पद्म श्री तक ऐसा रहा सफ़र
लोगों के ताने सुने पर हारी नहीं, मिलिए सीता देवी से जिसने ‘इलेक्ट्रीशियन देवी’ बन अपना घर संभाला
बर्तन धोए, 20 सालों तक घरों पर किया काम, कड़ी मेहनत से महिला ने परिवार के लिए खरीदा घर