बिहार की ‘किसान चाची’, जिन्होंने तय किया साइकिल पर अचार बेचने से लेकर ‘पद्मश्री’ तक का सफ़र

Nripendra

Padma Shri Kisan Chachi From Bihar: अगर बुलंद इरादा और हौसला हो, तो हर इंसान अपने सपने पूरे कर सकता है और बाकी लोगों को लिए प्रेरणास्रोत बन सकता है. अगर आप अतीत के पन्ने पलटाएं, तो आपको ऐसे कई व्यक्तियों का ज़िक्र मिलेगा, जिन्होंने कम संसाधन के बावजूद हैरान कर देने वाले काम करके दिखाये. बिहार के दशरथ मांझी, जिन्हें लोग पागल समझने लगे थे, उन्होंने पहाड़ को काटकर रास्ता बना दिया. उत्तराखंड के जगत सिंह जंगली, जिन्होंने बंज़र पहाड़ी ज़मीन पर घना जंगल उगा दिया.


इस कड़ी में हम बिहार की उस महिला के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने साइकिल पर अचार बेचना शुरू किया और लंबे संघर्ष के बाद अपना एक बिज़नेस खड़ा कर अलग पहचान बनाने में कामयाब हुईं. उन्हें ‘पद्मश्री’ से भी नवाज़ा जा चुका है.

आइये, अब लेख में आगे बढ़ते हैं और जानते हैं बिहार की किसान चाची (Padma Shri Kisan Chachi From Bihar) के बारे में. 

बिहार की किसान चाची   

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Padma Shri Kisan Chachi From Bihar: हम जिस महिला के बारे में आपको बताने जा रहे हैं उनका नाम है राजकुमारी देवी, जिन्हें लोग ‘किसान चाची’ (Rajkumari Devi Kisan Chachi) और ‘दुलारी चाची’ के नाम से भी पुकारते हैं. पद्म श्री किसान चाची बिहार के मुजफ़्फ़रपुर ज़िले के आनंदपुर गांव (सरैया प्रखंड) की रहने वाली हैं. राजकुमारी देवी 65 साल की हो चुकी हैं, लेकिन आज भी वो आराम से नहीं बैठती हैं. वो कहती हैं, “मुझे थोड़ी देर के लिए भी शांत बैठना पसंद नहीं, मैं आज भी अन्य महिलाओं के साथ मिलकर अचार बनाती हूं.”

बनाई अपनी अलग पहचान

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Padma Shri Kisan Chachi From Bihar: किसान चाची के बारे में कहते हैं कि उन्होंने पती के साथ 1990 में परंपरागत खेती शुरू की थी. उन्होंने फिर जैविक खेती के ज़रिये इस काम को उन्नत किया. अपनी मेहनत से उन्होंने खेती का उत्पादन बढ़ाने का काम किया. इससे आसपास के किसानों में वो काफ़ी लोकप्रिय हो गईं.


इसके बाद राजकुमारी देवी ने अचार बनाने का काम शुरू किया. राजकुमारी देवी कहती हैं कि, “अचार बनाना हर महिला को आता है, लेकिन इसे बिज़नेस कैसे बनाया जाए, इसकी जानकारी उस वक़्त नहीं थी मुझे.” इस काम के लिए उन्होंने विज्ञान केंद्र से फ़ूड प्रॉसेसिंग की ट्रेनिंग ली और अपना काम शुरू कर दिया.

विभिन्न प्रकार के अचार बनाना सीखने के साथ-साथ किसान चाची ने साइकिल भी चलाना सीखा. वो साइकिल से अचार बेचा करती थीं और छोटे-छोटे पैकेट में लोगों को अचार भी देती थी, ताकि वो अचार के स्वाद को चखने के बाद वो उनसे अचार ख़रीदें.

वहीं, किसान चाची का साइकिल से अचार बेचना समाज को मंज़ूर न था. कहते हैं कि समाज  बाजार जाने लगीं, जो समाज ने उनका विरोध किया और उनका बहिष्कार किया, लेकिन राजकुमारी देवी किसी की बात पर ध्यान नहीं दिया और आज वो इस मुक़ाम पर पहुंची हैं कि समाज के लोग ही उनकी बहुत इज़्जत करते हैं. 

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किसान चाची नाम का टैग

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Rajkumari Devi Kisan Chachi: राजकुमारी देवी अपने काम को पूरी निष्ठा और मेहनत के सात कर रहीं थी. इसके अलावा, कृषि विज्ञान केंद्र के मेलों में भी हिस्सा लिया करती थीं. इसकी बीच वो महिलाओं के कई समूहों से भी मिलीं. वहीं, उन्हें वर्ष 2006 में ‘किसान श्री सम्मान’ से नवाज़ा गया, जिसके बाद वो राजकुमारी देवी से ‘किसान चाची’ बन गईं. किसानी चाची के अचार और मुरब्बे काफ़ी फ़ेमस होने लगे.

अन्य महिलाओं को आगे बढ़ने का दिया हौसला

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Padma Shri Kisan Chachi From Bihar: किसान चाची (Rajkumari Devi Kisan Chachi) अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बनीं. राजकुमारी देवी ने खेती के जो-जो तरीक़े सीखे और अपनाए, वो सब उन्होंने आसपास की महिलाओं को सिखाने का काम किया, ताकि अन्य महिलाएं भी आत्मनिर्भर बन सकें. किसान चाची कहती हैं कि, “वैसे तो गांव की अमूमन महिलाएं खेती में सहयोग करती हैं, लेकिन इस काम का उन्हें पैसा मिलता है और न ही उनकी ज़्यादा कद्र की जाती है. इसलिए, मैंने उन्हें समझाया कि जितना भी तुम्हें वक़्त मिले, कुछ न कुछ उत्पाद बनाओ, ताकि पैसा कमा पाओ और आत्मनिर्भर बन सको.”


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पद्मश्री से किया गया सम्मानित

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Padma Shri Kisan Chachi From Bihar: किसानी चाची को कई समाजिक संगठनों, राज्य और केंद्र सरकार द्वारा सम्मानित किया जा चुका है. वर्ष 11 मार्च 2019 में उन्हें पद्मश्री से नवाज़ा गया था. वहीं, उससे कई बड़े नेता मुलाक़ात कर चुके हैं.

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