प्रेम माथुर: भारत की पहली महिला कमर्शियल पायलट, जिसने महिलाओं के लिए आसमान के दरवाज़े खोले

Sanchita Pathak

स्पेसक्राफ़्ट से लेकर हाई-स्पीड बाइक्स तक आज महिलाएं सारे वाहन चला रही हैं. एक समय था जब जेंडर के आधार पर महिलाओं को उनके इच्छानुसार काम नहीं करने दिया जाता था.


मुश्किल दौर में भी कुछ महिलाओं ने पहल की और भविष्य की महिलाओं के लिए नये रास्ते खोले.  

ऐसी ही एक महिला थीं. प्रेम माथुर. 

YouTube

कौन थीं प्रेम माथुर? 


प्रेम माथुर का जन्म 1924 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ. पिता के तबादले के बाद प्रेम और उनका पूरा परिवार इलाहाबाद चला गया और प्रेम का पूरा बचपन वहीं बीता. 5 भाई-बहनों में सबसे छोटी थी प्रेम ने बहुत छोटी उम्र में अपनी मां को खो दिया था. प्रेम ने स्कूल की पढ़ाई, एनी बेसेंट स्कूल, इविंग क्रिश्चयन कॉलेज से की और ग्रैजुएशन इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से किया. 

YouTube

ऐसे मिली पायलट बनने की प्रेरणा 


एक लेख के अनुसार, प्रेम के एक भाई फ़्लाइंग इंस्ट्रक्टर थे और एक बिज़नेस करते थे. दूसरे विश्व युद्ध के बाद प्रेम के बिज़नेस कर रहे भाई ने युद्ध में इस्तेमाल हुए कुछ पुराने हवाईजहाज़ ख़रीदे. उन्होंने Lanka Flying Club को हवाईजहाज़ बेचे और Delhi Flying Club के कैप्टन अटल को फ़्लाइट को कोलंबो तक ले जाने की ज़िम्मेदारी दी. कैप्टन अटल ने ही प्रेम के अंदर पायलट बनने की इच्छा जगाई. 

कैप्टन अटल, प्रेम को डराने के इरादे से राइड पर ले गये थे और हर तरह के हवाई करतब दिखाए थे. प्रेम पूरे राइड में डरी नहीं उल्टे उन्हें काफ़ी आनंद आया. अगले राइड पर कैप्टन अटल ने उन्हें कन्ट्रोल दिया और हवाईजहाज़ उड़ाने के सभी इंस्ट्रक्शन दिये. जब वे घर लौटे तो अटल ने उन्हें एक नोट दिया जिसमें लिखा था, 
‘तुम एक मज़बूत महिला हो. तुम पायलट बन सकती हो. तुम कोशिश क्यों नहीं करती?’ 

प्रेम को यहीं से पायलट बनने की प्रेरणा मिली. 

Pinterest

एयरलाइंस से मिला नकारात्मक जवाब 


1947 में Allahabad Flying Club से प्रेम ने फ़्लाइंग लाइसेंस प्राप्त किया. शुरुआत में उन्हें एयरलाइन्स से ‘खेद जताने वाली चिट्ठियां’ मिली. एयरलाइन्स एक महिला को नौकरी पर रखने का रिस्क नहीं उठाना चाहती थीं. प्रेम ने हार नहीं मानी और Club से महिलाविरोधी व्यवहार त्यागने की अपील की. Club टस से मस नहीं हुआ और प्रेम भी अड़ी रहीं. प्रेम ने कई एयरलाइन्स को चिट्ठियां लिखीं और हर बार उन्हें एक जैसा जवाब ही मिलता- 
‘महिलाएं पुरुषों की भांति एमर्जेंसी सिचुएशन हैंडल नहीं कर सकतीं.’

कुछ एयरलाइन्स तो ये बहाना भी बनाते कि अगर एक महिला कॉकपिट में बैठेगी तो यात्री असहज महसूस करेंगे. 

Blogspot

हैदराबाद के निज़ाम से मिला पहला ऑफ़र 


प्रेम को डेकन एयरवेज़, हैदराबाद के निज़ाम की एयरलाइन से पहले ऑफ़र मिला. प्रेम से हवाईजहाज़ उड़ाने से जुड़े कई सवाल किए गए और उन सब में प्रेम पास हो गईं. ये प्रेम की पहली नौकरी थी और उन्होंने झंडे गाड़ दिए. डेकेन एयरवेज़ में काम करने के दौरान प्रेम ने इंदिरा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री और लेडी माउंटबैटन जैसे वीआईपी लोगों की फ़्लाइट्स उड़ाईं. 

2 अक्टूबर, 1953 को प्रेम ने इंडियन एयरलाइन्स में बतौर को-पायलट जॉइन किया और इस तरह भारत किसी महिला पायलट को नौकरी देने वाला पहला देश भी बन गया. 

22 दिसंबर, 1992 को प्रेम ने दुनिया को अलविदा कह दिया. 

आपको ये भी पसंद आएगा
Success Story: बिहार की इस बिटिया ने 5 दिन में 5 सरकारी नौकरी हासिल कर रच दिया है इतिहास
पिता UPSC क्लियर नहीं कर पाए थे, बेटी ने सपना पूरा किया, पहले IPS फिर बनी IAS अधिकारी
मिलिए ओडिशा की मटिल्डा कुल्लू से, जो फ़ोर्ब्स मैग्ज़ीन में जगह पाने वाली एकमात्र भारतीय ‘आशा वर्कर’ हैं
पिता ठेले पर बेचते हैं समोसा-कचौड़ी, बेटी ने जीता ‘ब्यूटी कॉन्टेस्ट’, प्रेरणादायक है प्रज्ञा राज की कहानी
मिलिए नेपाल की प्रगति मल्ला से, जिन्हें मिल चुका है दुनिया की बेस्ट ‘हैंड राइटिंग’ का ख़िताब
बिहार के एक किसान की 7 बेटियों ने पुलिस ऑफ़िसर बनकर पेश की एक अनोखी मिसाल