एलिस थॉमस, वो महिला जिन्होंने हज़ारों बेसहारा बच्चों को सहारा बनकर उन्हें दिखाई नई दिशा

Kratika Nigam

Puducherry Mother Teresa Alice Thomas: समाज को समय-समय पर मदर टेरेसा जैसे व्यक्तित्व की ज़रूरत है, जो इस समाज में रह रहे ग़रीब, बेसहारा, बीमार और अनाथ लोगों के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाएं. मदर टेरेसा एक कैथोलिक नन थीं, जिन्होंने 45 सालों तक समाज सेवा की. इनके पद्चिन्ह्नों पर समाज के कई लोग चले हैं और चलते आ रहे हैं. इन्हीं में से एक हैं, दक्षिण भारत के ख़ूबसूरत शहर की रहने वाली एलिस थॉमस, जो पिछले कई सालों से समाज के गंभीर मुद्दों को सुलझाने का प्रयास कर रही हैं.

द बेटर इंडिया की ख़बर के अनुसार, 53 वर्षीय एलिस थॉमस (Puducherry Mother Teresa Alice Thomas) के बारे में विस्तार से जानते हैं.

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एलिस पुडुचेरी में ‘Udhavi Karangal’ या ‘Helping Hands For Social Cause’ के नाम से एक NGO चलाती हैं, जिसमें उन बच्चों के पुनर्वास का काम किया जाता है, जिनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं है. इसमें सड़कों पर रहने वाले बेसहारा बच्चे, आदिवासी समुदायों के बच्चे, अनाथ, प्रवासी श्रमिकों के बच्चे या यौन हिंसा के शिकार बच्चे रहते हैं. इन्होंने 150 से अधिक बच्चों की शिक्षा और रोज़गार की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अपनी ज़िंदगी के 32 साल लगा दिए.

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एलिस ने NGO की शुरुआत 1991 में की थी. दरअसल, सालों पहले की बात एलिस को सड़क किनारे एक 10 साल का बच्चा रोता दिखा, जिसे रोता देख वो उससे बात करने चली गईं और उससे उसके बारे में पूछा. उस 10 साल के बच्चे को उसके मम्मी-पापा ने शराब न लाने की वजह से बुरी तरह से पीटा था. ग़रीब और पिछड़े वर्ग में बच्चोों के साथ ऐसा दुर्व्यवहार होना आम बात है. इस बच्चे की कहानी ने एलिस को झकझोर कर रख दिया और ऐसे बच्चों के बारे में सोचने लगीं. 

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इस दर्दनाक घटना ने 21 साल की एलिस के जीवन में बड़ा मोड़ ला दिया, बस यहीं से एलिस ने इस तरह के बच्चों की मदद करना शुरू कर दिया और उन्हें शिक्षित करने के साथ-साथ खाना भी खिलाने का फ़ैसला लिया.

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इसके बाद, दूसरा लाइफ़ चेंजिंग इंसीडेंट एलिस के साथ उनके दोस्त के घर पर हुआ जब एक बच्चा उनके दोस्त के घर भीख मांगने आया. एलिस जानना चाहती थीं कि वो ऐसा क्यों करता है? फिर एलिस ने खाने और शिक्षा के वादे के साथ उसे अपने NGO में बुलाया. वो बच्चा अपनी मां को बताना चाहता था, जिसके लिए वो अपने घर गया घर पहुंचते ही मां ने उससे खाना मांगा. खाना नहीं लाने पर उसने बच्चे को ख़ूब पीटा तब उसे एलिस के साथ जाने का फ़ैसला किया.

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ये पल एलिस के जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था. कुछ दिनों बाद, वो दो और संघर्षरत दोस्तों के साथ लौटा. नतीजतन, उन्होंने 1991 में गैर-लाभकारी संगठन ‘Udhavi Karangal’ की स्थापना की और लड़कों के घर के लिए एमजी रोड पर जगह लीज़ पर ली. एलिस के पास शुरुआत में महज़ 10 बच्चे थे. फिर उन्होंने लोगों की मदद लेकर ज़मीन ख़रीदी, जिस पर लड़कों और लड़कियों के लिए दो अलग-अलग शेल्टर होम बनवाए. इन शेल्टर्स में पिछड़े वर्ग के परिवारों के बच्चे को खाना, शिक्षा और रहने की पर्याप्त सुविधाएं दी जाती थीं. 

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द बेटर इंडिया से बात करते हुए एलिस कहती हैं,

मेरी कहानी से ज़्यादा प्रेरणादायक कहानी इन बच्चों की हैं. मेरे पास बड़े हुए कई बच्चे बिना आधुनिक सुविधाओं के भी जीवन में अच्छे मुक़ाम पर पहुंच गए हैं. यही मेरे लिए गर्व की बात है.

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एलिस थॉमस की एक सकारात्मक सोच और मुट्ठीभर साहस ने कई बेसहारा बच्चों का जीवन संवार दिया. आज वो हज़ारों बच्चों की मां हैं और उनके बच्चे काबिल भी बन गए हैं. हर बच्चा अपनी योग्यता के अनुसार काम कर रहा है. कोई शिक्षक है तो कोई नर्स कोई रिक्सा चलाकर अपना जीवनयापन कर रहा है तो कई बच्चे आईटी कंपनी में भी काम कर रहे हैं.

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इनके NGO में कई प्रवासी मज़दूरों के बच्चे भी हैं, तो कई यौन उत्पीड़न या नशे के शिकार बच्चे है, इन सभी की मां बनकर एलिस इनकी परवरिश कर रही हैं. इन सभी बच्चों के लिए वो उनके माता-पिता से बढ़कर, एक गॉडमदर हैं.

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