पाटिल काकी: घर से टेस्टी खाना बनाकर पहुंची Shark Tank India 2 तक, हासिल किया 40 लाख का फ़ंड

Kratika Nigam

Patil Kaki Shark Tank India Season 2: बेटियां घर के काम हों या घर का हिसाब-किताब हमेशा अपनी मां से ही सीखती हैं. वैसे तो मां बेटे और बेटी दोनों की ही पहली गुरू होती हैं, लेकिन जब बात आती है घर के काम की तो वो बेटी के क़रीब ज़्यादा होती हैं. ऐसी ही एक बेटी महाराष्ट्र की रहने वाली गीता पाटिल भी हैं, जिन्होंने बहुत छोटी उम्र में अपनी मां कमलाबाई निवुगले को फ़ूड बिज़नेस करते देखा, इनकी मां घर से ही खाना बनाकर BMC वर्कर्स के लिए भेजती थी. गीता के पिता BMC में कार्यरत थे. बस बचपन से मां को काम करते देख बिज़नेस की थोड़ी बहुत समझ तो गीता में भी आ गई थी, लेकिन उन्होंने बिज़नेस करने की कभी सोची नहीं थी.

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चलिए जानते हैं मां की छोटी सी हेल्पर कैसे एक फ़ूड बिज़नेस चलाने लगीं और अब तो शार्क टैंक इंडिया के दूसरे सीज़न (Shark Tank India Season 2) में पहुंच गईं, जहां उन्हें 40 लाख रुपये का फंड मिला है.

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Patil Kaki Shark Tank India Season 2

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गीता का जन्म मुंबई के विले पार्ले में हुआ था, मां को बचपन से बिज़नेस करते देखा और बिज़नेस को काफ़ी क़रीब से समझा. शादी के बाद वो अपने पति के साथ सांताक्रूज़ रहने लगीं और आस-पड़ोस वालों को अपने हाथ का स्वादिष्ट खाना खिलाकर सबका दिल जीता, लेकिन वो ये सब फ्री में करती थीं, उन्हें बिज़नेस करने का कोई मन नहीं थी. यहां तक कि, कुछ लोग तो उनके हाथ की पूरनपोली, मिठाइयां और चकली बनवाकर अपने घर भी ले जाया करते थे. जब बच्चे बड़े हुए तो उनके लंच को भी स्कूल में ख़ूब पसंद किया जाता था. गीता के दो बेटे हैं.

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साल 2016 गीता के लिए काफ़ी समस्याएं लेकर आया क्योंकि इसी साल इनके पति गोविंद, जो एक डेंटल लैबोरेटरी में क्लर्क के पद पर थे, उनकी नौकरी चली गई. नौकरी जाने के बाद घर को भी चलाना था और बच्चों की पढ़ाई और ज़रूरतों को भी पूरा करना था. बस तभी इन्होंने अपने इस शौक़ को बिज़नेस में बदलने की सोची और बहुत कम लागत के साथ घर की रसोई से बिज़नेस की शुरुआत की और पारंपरिक महाराष्ट्रीयन स्नैक्स और मिठाइयां बनाकर बेचने लगीं.

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गीता ने जब से अपने बिज़नेस की शुरुआत की वो रोज़ अपनी मां को याद करके अपना चूल्हा जलाती थीं. इन्होंने शुरू में BMC के कर्मचारियों को चाय और नाश्ता सप्लाई करना शुरू किया. हालांकि, इनके बिज़नेस की शुरुआत धीमी थी, लेकिन गीता को अपनी मां की सीख और ख़ुद पर विश्वास था तभी तो 2016 से 2020 तक बिना किसी ब्रांडिंग के बिज़नेस को चलाकर ले आईं. शुरू में इतनी कमाई तो हो जाती थी, जिससे घर और बच्चों की पढ़ाई दोनों आराम से चल रहा था.

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गीता के दोनों बच्चों ने उन्हें बचपन से ही मेहनत करते देखा, इसलिए जब इनके विनीत की पढ़ाई पूरी हुई तो उसने मां के बिज़नेस को आगे बढ़ाने की सोची और इसकी शुरुआत बिज़नेस को नाम देने से की, बेटे ने नाम दिया ‘पाटिल काकी’. ब्रांडिंग के बाद बिज़नेस को सोशल मीडिया तक भी पहुंचाया और मार्केटिंग शुरू की, जिससे पाटिल काकी का सालाना रेवन्यू 12 लाख रुपये के क़रीब पहुंच गया. आज मां और बेटे सांताक्रूज़ में 1200 वर्ग फ़ुट की जगह में काम करते हैं.

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आज ‘पाटिल काकी’ बिज़नेस का टर्नओवर 1 करोड़ रुपये हैं और इनका बनाया टेस्टी-टेस्टी फ़ूड क़रीब 30 हज़ार कस्टमर्स तक पहुंच रहा है. अभी तक गीता पाटिल के अंडर में 50 लोग काम करते हैं, जिनमें 70% महिलाएं हैं. पाटिल काकी से आप इनकी Website के ज़रिए भी जुड़ सकते हैं.

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