कल्पना सरोज: ग़रीबी व घरेलू हिंसा को सह कर भी ख़ुद को किया बुलंद, आज है करोड़ों का साम्राज्य

Nripendra

Success Story of Indian Entrepreneur Kalpana Saroj in Hindi: “मुसीबत से तू ज़्यादा डर या खौफ़ न रख, तू जीतेगा ज़रूर एक दिन बस हौसला रख.” इंसान के जीवन में कभी-कभी परिस्थिति ऐसी आ जाती हैं, जब इंसान पूरी तरह टूट जाता है और इस हालत में कुछ लोगों की ज़िंदगी तबाह भी हो जाती है. लेकिन, कुछ लोग इन हालात से किसी तरह लड़कर बाहर निकलते हैं.

ऐसी की कहानी महाराष्ट्र की कल्पना सरोज (kalpana Saroj Life in Hindi) की है, जिन्होंने न सिर्फ़ ग़रीबी देखी, बल्कि घरेलू हिंसा का शिकार भी रहीं, लेकिन उन्होंने ख़ुद को इतना बुलंद किया कि आज एक वो एक सफल नारी हैं. 

आइये, लेख में आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि आख़िर कैसे कल्पना सरोज (Success Story of Indian Entrepreneur Kalpana Saroj in Hindi) ने ख़ुद को अंधेरे से निकाल किया बुलंद. 

12 साल की उम्र में हो गई थी शादी 

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Success Story of Indian Entrepreneur Kalpana Saroj in Hindi: ये कहानी है अकोला ज़िले (महाराष्ट्र) के छोटे से गांव रोपरखेड़ा से संबंध रखने वाली कल्पना सरोज (Success Story of Kalpana Saroj in Hindi) की, जिन्होंने कई सालों तक ग़रीबी, घरेलू हिंसा और समाज के ताने सहे. लेकिन, हौसला बनाए रखा और आज वो एक सफल महिला हैं. कल्पना को बचपन से पढ़ाई का शौक़ था, लेकिन परिवार की ग़रीबी की वजह से वो बड़े स्कूल में पढ़ न सकीं, इसलिए उन्होंने गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ना शुरू किया, लेकिन दलित होने की वजह से स्कूल के बच्चे उन्हें चिढ़ाया करते थे. इस वजह से उन्होंने स्कूल जाना बंद कर दिया. 

वहीं, 12 साल की उम्र में कल्पना की शादी कर दी गई. कल्पना की शादी 10 साल बड़े लड़के से की गई. शादी के बाद वो मुंबई के झुग्गी में रहने लगीं, लेकिन पति छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई करता था और उन्हें पीटता था. घरेलू हिंसा का शिकार कल्पना पूरी तरह टूट चुकी थीं. 

समाज के ताने कल्पना और उनके पिता ने सहे

 

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Past Life of kalpana Saroj in Hindi: शादी के बस 6 महीने ही हुए थे. एक बार उनके पिता बेटी के घर आए, पिता को देख कल्पना गले लगकर बहुत रोई और सारी बातें बताईं.  इसके बाद कल्पना के पिता उन्हें घर लेकर आ गए. लेकिन, समाज के लोग लगातार ताने देते रहे, क्योंकि समाज के लोगों के लिए शादी-शुदा औरत का मायके में रहना किसी अपराध से कम न था. कल्पना इतनी हार चुकी थीं कि उन्होंने आत्महत्या करने की कोशिश की, लेकिन समय रहते उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया और उनकी जान बच गई. 

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2 रुपए की मज़दूरी 

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kalpana Saroj Life in Hindi: कल्पना अब कुछ करना चाहती थीं. पिता कांस्टेबल थे, तो उन्होंने फ़ोर्स में भर्ती होने का सोचा, लेकिन कम पढ़-लिखे होने की वजह से वो ये न कर पाईं. इसके बाद उन्होंने होजरी बनाने वाली एक कंपनी में 2 रुपए दिहाड़ी में काम करना शुरू किया. 

पैसों की तंगी के कारण उन्होंने बहन ने दम तोड़ते देखा. कल्पना ने कुछ अब बड़ा करने का सोचा. उन्होंने 50 हज़ार कर्ज़ पर लिए और सिलाई मशीन ख़रीद ली. काम अच्छा चला, तो उन्होंने एक बुटीक खोल लिया. 

22 साल की उम्र में कल्पना (Success Story of Kalpana Saroj in Hindi) ने फ़र्नीचर का व्यापार शुरू किया और साथ ही एक स्टील के व्यापारी संग दूसरा विवाह भी कर लिया. उनसे उन्हें एक बेटा और बेटी हुए. लेकिन, 1989 में पति का निधन हो गया, लेकिन तब तक कल्पना अपने पैरों पर खड़ी हो चुकी थीं. 

‘कमानी ट्यूब्स’ जब कल्पना के हाथों में आया

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Success Story of Indian Entrepreneur Kalpana Saroj: उस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए ‘कमानी ट्यूब्स’, नाम की कंपनी, जो कि 17 सालों से बंद पड़ी थी, उसे मालिकों के हाथ से निकालकर वर्कर्स को चलाने दे दिया. सभी वर्कर्स ने कल्पना से मदद मांगी और कल्पना ने कंपनी को सारे कर्ज़ व विवादों से मुक्त करा दिया. इसके बाद कंपनी की कमान (21 मार्च 2006) कल्पना के हाथों में आ गई. 

कई कंपनियों की मालकिन हैं कल्पना

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Success Story of Indian Entrepreneur Kalpana Saroj in Hindi: वर्तमान में कल्पना न सिर्फ़ कमानी स्टील्स बल्कि कल्पना बिल्डर एंड डेवलपर्स व केएस क्रिएशंस जैसी कई कंपनियों की मालकीन हैं. साथ ही वो एक समाजसेवी भी हैं. उन्हें पद्म श्री और राजीव गांधी रत्न के साथ कई अन्य अवार्ड से भी नवाज़ा जा चुका है.  

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