कोको शनैल: वो डिज़ाइनर जिसने औरतों के कपड़ों को ही नहीं, बल्कि सोच को भी बदलकर रख दिया

Abhay Sinha

जैसे-जैसे समाज बदलता है, फ़ैशन भी बदल जाता है. मग़र बहुत कम ऐसा होता है, जब फ़ैशन अपने साथ समाज की सोच को भी बदलकर रख दे. मशहूर डिज़ाइनर कोको शनैल कुछ ऐसी ही फ़ैशन की झंडाबरदार थीं. 

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आज की पीढ़ी शायद शनैल को सबसे ज्यादा सिर्फ़ परफ़्यूम के लिए ही जानती है लेकिन शनैल वो शख़्स थीं जिन्होंने पश्चिमी फ़ैशन में क्रांति ला दी थी. शैनल ने सिर्फ़ कपड़े ही नहीं, बल्कि जूतों से लेकर हैंडबैग और जूलरी तक सब बदल कर रख दिया. 

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महिलाओं को पहनाई पैंट्स

उनकी सबसे बड़ी सफ़लता थी ‘लिटल ब्लैक ड्रेस’, एक सीधी शालीन सी काले रंग की ड्रेस जो आज के लिए बिलकुल भी ख़ास नहीं है लेकिन जिस जमाने में शनैल ने इसे पेश किया था उस ज़माने में ये फ़ेमिनिस्ट मूवमेंट की निशानी बन गई थी.  

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ये वो वक़्त था, जब पश्चिमी जगत में महिलाएं बड़ी बड़ी ड्रेस पहना करती थीं जिनमें वे तंग कॉर्सेट के अंदर कैद होती थीं. फ्रांस की शनैल ने उन्हें इस कैद से छुड़वाया और महिलाओं के लिए पुरुषों जैसे लिबास बनाए. शनैल की ही बदौलत आज महिलाएं पतलून पहनती हैं. 

अनाथालय से फ़ाइव स्टार होटल तक का सफ़र

फ़्रांस के Saumur में जन्मी शैनल का शुरुआती जीवन अनाथालय में बीता. उस वक़्त किसी को ये अंदाज़ा नहीं था कि ये बच्ची आगे चलकर फैशन की दुनिया में क्रांति लाने वाली थी. शैनल ने धीरे-धीरे फ़ैशन इंडस्ट्री में अपना नाम कमाना शुरू कर दिया था. जब उनके हालात ठीक हुए तो उन्होंने 1937 में होटल रिट्स में रहना शुरू कर दिया. 

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फैशन जगत में इतनी बड़ी क्रांति लाने वाली शनैल के जीवन में एक काला अध्याय भी था. फ्रांस में कई लोगों का मानना था कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने नाजियों का साथ दिया. फ्रांस में शनैल जितनी लोकप्रिय रहीं, उतनी ही विवादों में भी घिरी रहीं. इसी कारण वे फ्रांस छोड़ कर स्विट्जरलैंड में जा कर रहने लगीं. 

हालांकि, वो बाद में वापस भी लौटीं. उन्होंने 1971 में 87 साल की उम्र में अपनी आंखिरी सांस उसी होटल में ली, जहां उन्होंने 35 साल गुज़ारे थे. अपने आंखिरी वक़्त में भी शलैन एक कलेक्शन को पूरा करने में लगी थीं. आखिरी बार उनके स्टाफ ने उन्हें एक दिन पहले देखा था जब वे देखने आई थीं कि उनके डिजाइन किए कपड़े ठीक से बने हैं या नहीं.

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अंतिम संस्कार में भारी भीड़ जुटी थी

मौत से पहले वे कह गईं थी कि उनके कमरे में कोई ना आए. बस उनकी बहन के बच्चों को मृत शरीर को देखने की इजाज़त दी गई. उनके स्टाफ़ का कहना था कि अपने आखिरी दिनों में उन्होंने इतनी जल्दबाजी में कलेक्शन का सारा काम कराया जैसे वे जानती हों कि उनका वक़्त करीब ही है और जाने से पहले वे सारा काम खत्म करना चाहती थीं.  

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तीन दिन बाद 13 जनवरी को उनके अंतिम संस्कार के लिए पेरिस के चर्च के बाहर खूब भीड़ जमा हुई. उनके सभी 250 कर्मचारियों के अलावा, फैशन जगत के सभी बड़े नाम वहां मौजूद थे. उनके बाद मशहूर जर्मन डिजाइनर कार्ल लागरफेल्ड ने उनका काम संभाला और उनकी कंपनी को 100 अरब डॉलर की कंपनी में तब्दील किया.  

कोको शनैल ने अपनी जिंदगी के शुरुआती साल अनाथालय में बिताए थे. वहां से फाइव स्टार तक का उनका सफ़र किसी परीकथा जैसा है. ना केवल उन्होंने महिलाओं को पतलून पहनना सिखाया, बल्कि बालों को छोटा काटना भी. फैशन में रिस्क लेने से और जिंदगी में बंदिशों को तोड़ने से वे कभी पीछे नहीं हटीं.   

Source: DW

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