आज के युग में मां सरस्वती का रूप हैं ये महिलाएं, जो शिक्षा के ज़रिये समाज में क्रान्ति ला रही हैं

Kratika Nigam

शिक्षा का अधिकार सभी को है, चाहे वो लड़का हो या लड़की. उसी अधिकार का इस्तेमाल करते हुए आज महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में नए-नए आयाम स्थापित कर रही हैं. इस समाज की दकियानूसी सोच, जो ये कहती है कि महिलाओं के लिए शिक्षा ज़रूरी नहीं हैं. उसी सोच के मुंह पर तमाचा हैं ये शिक्षित महिलाएं.

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ऐसी ही कुछ शिक्षित महिलाओं की बात करते हैं, जिन्होंने शिक्षा के माध्यम से इस समाज को नई दिशा दी है.

1. पुष्पलता अग्रवाल

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शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने वाली बेटी तो नहीं रही, लेकिन पुष्पलता ने शिक्षा का साथ नहीं छोड़ा. बेटी के दिखाए सपनें को पूरा करने में पुष्पलता ने मेहनत ही नहीं बल्कि अपने गहने तक गिरवी रख दिए. परिवार का सहयोग न होने की वजह से बहुत कठिनाई आई. मगर उन्होंने अपनी लगन के चलते कभी हार नहीं मानी. झांसी से लखनऊ आने के बाद पता चला कि राजाजीपुरम में लड़कियों का कोई स्कूल नहीं है, तब उन्होंने भरसक प्रयास किए और मेहनत रंग लाई नीरू मेमोरियल सोसायटी के अंतर्गत सेंट जोज़ेफ़ स्कूल के नाम से कन्याओं के विद्यालय की स्थापना की. बस फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. एक के बाद एक शहर में स्कूल की पांच शाखाओं की नींव रखी.

2. विमला कौल

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80 साल से ऊपर हो चुकीं विमला कौल सरकारी स्कूल की अध्यापिका थीं. रिटायरमेंट के बाद 1993 में गुलदस्ता स्कूल बनाया. ये स्कूल विमला कौल और उनके पति एचएम कौल की कड़ी मेहनत का नतीजा है जिसमें आज कई गरीब बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं.

3. रोशनी मुखर्जी

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रोशनी मुखर्जी, बेंगलुरू की एक शिक्षक हैं, जो Math, Physics, Chemistry और Biology जैसे Subjects के प्रश्नों को हल करने के लिए एक वेबसाइट examfear.com चलाती हैं. आपको बता दें रोशनी एक आईटी उद्योग में क्वॉलिटी एनालिस्ट थीं. मगर शिक्षा में रूचि उन्हें इस फ़ील्ड में खींच लाई और आज उनके ज़रिए छोटे गांवों और कस्बों के बच्चे भी शिक्षित हो पा रहे है.

4. गीता घर्मराजन

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गीता धर्मराजन एक लेखिका, समाज सेविका, एडिटर और अध्यापिका हैं. उनको स अनुकरणीय काम के लिए पद्मश्री से नवाज़ा जा चुका है. 1988 में कता मैगज़ीन शुरू की थी. आज Katha के कई संस्थाओं के रूप में गरीब बच्चों को शिक्षित कर रहा है. कथा की दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में क़रीब 550 लाइब्रेरी हैं, जहां वॉलंटियर बच्चों को पढ़ाते हैं.

5. वसुधा प्रकाश

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वसुधा प्रकाश V-Excel Trust की फ़ाउंडर हैं. 2011 में 11 स्टूडेंट के साथ शुरू किए गए इस Trust में आज 35000 स्टूडेंट हैं. इस Trust में डिसेबल बच्चों को भी पढ़ाया जाता है. आज V-Excel के 9 सेटेलाइट चैनल हैं चेन्नई, तिरुनावेली, इरोड और नासिक में.

6. मुक्ता दगली

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मुक्ताबेन दगली और उनके पति पंकज दगली दोनों आंखों से देख नहीं सकते हैं. 1996 में शुरू हुई संस्था ‘प्रगनचक्षु’ द्वारा हज़ारों लोगों को जीवन दान दे चुकी हैं. मुक्ता बेन को इस कार्यकाल के दौरान तीन बार ‘राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित’ और अनगिनत अवॉर्ड मिल चुके हैं. आपको बता दें कि मुक्ताबेन को दो साल की उम्र में तेज़ बुख़ार आने से मैनिंजाइटिस चेचक की बीमारी से आंखों की रोशनी चली गई थी. काफ़ी कोशिशों के बाद भी जब उनकी रौशनी वापस नहीं आई तो वो आश्रम चली गईं और अपनी पढ़ाई पूरी की. तब से लेकर आजतक वो नेत्रहीन बच्चों की सेवा में लगी हैं.

ये थीं वो महिलाएं जिन्होंने शिक्षा के माध्यम से इस समाज को ही नहीं बल्कि देश को गौरवांवित कराया है. इन्होंने अपने इस अनुकरणीय काम से समाज में एक ऐसी छाप छोड़ी है, जो कभी नहीं मिट सकती.

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