विदिशा बालियान: मिस डेफ़ वर्ल्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला

Sanchita Pathak

कहते हैं अगर इंसान की इच्छाशक्ति मज़बूत हो तो वो कुछ भी हासिल कर सकता है. अगर दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो कई बार शारिरिक क्षमताएं भी रुकावट की तरह आड़े नहीं आतीं.

कुछ ऐसी ही कहानी है विदिशा बालियान की.  

कौन हैं विदिशा? 

उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर की विदिशा न सिर्फ़ एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर की टेनिस खिलाड़ी हैं, बल्कि आत्मविश्वास शब्द की प्रतीक हैं.

एक रिपोर्ट के मुताबिक़, विदिशा ने नेशनल गेम्स में कई पदक जीते हैं. 2017 में तुर्की में हुए Deaflympics में वे 5वां पायदान हासिल किया. स्पोर्ट्स से मोहब्बत है विदिशा को. ज़िन्दगी में कुछ नया करने की नीयत से विदिशा ने मॉडलिंग शुरू की. सारी मुश्किलों को पार करते हुए विदिशा ने 2019 में दक्षिण अफ़्रिका में हुए मिस डेफ़ वर्ल्ड का ख़िताब जीता. 
जन्म के साथ ही सुनने की क्षमता खो चुकी विदिशा ने स्कूल में Bullying भी झेली. 

मेरा सफ़र आसान नहीं था. मेरे एक कान से 100% और दूसरे कान से 90% सुनने की क्षमता नहीं है और इस वजह से लोग मेरे से बात भी नहीं करते थे. वो बस मेरा मज़ाक उड़ाते थे. मैं स्कूल और कॉलेज में टीचर्स के लिप्स पढ़कर ही समझती थी. 

-विदिशा

विदिशा ने अपनी सुनने की क्षमता की समस्या के बावजूद उससे लड़ने में अपनी पूरी ताक़त लगा दी. 

पढ़ाई में रहीं पीछे तो स्पोर्ट्स को लगाया गले 
5 साल की आयु में विदिशा के माता-पिता को उसके सुनने की क्षमता और बोलने की क्षमता की परेशानी का पता चला. डॉक्टर्स ने विदिशा को स्पेशल स्कूल में डालने को कहा पर वो नहीं माने. विदिशा के माता-पिता चाहते थे कि वो आम बच्चों की तरह बड़ी हों. 

मुझे Lessons याद करने में काफ़ी समय लगता था. मैंने स्कूल के बाद ट्यूशन्स लेना शुरू किया. मेरे माता-पिता भी मेरे साथ काफ़ी वक़्त बिताते, वे ज़ोर-ज़ोर से किताबों के चैप्टर्स पढ़ते. मेरी स्पीच थेरेपी भी चल रही थी. इस सबके बावजूद पढ़ाई मुश्किल थी. बस फिर मैंने स्पोर्ट्स में अपनी क़िस्मत आज़माने की सोची 

-विदिशा

Daily Hunt

12 वर्ष की आयु में विदिशा ने वॉलीबॉल, टेनिस और बास्केटबॉल खेलना शुरू किया. विदिशा को टेनिस ज़्यादा पसंद आया क्योंकि इसमें टीम एफ़र्ट कम था. फिर क्या था विदिशा की उड़ान और ऊंची होती गई.


विदिशा ने उत्तर प्रदेश टेनिस एसोसिएशन की स्टेट-लेवल टूर्नामेंट में हिस्सा लिया और प्रतियोगिता में रनर-अप रहीं. 2016 के नेशनल गेम्स में उन्होंने 2 रजत पदक जीते.  

यूं की मॉडलिंग की शुरुआत

21 साल की उम्र में विदिशा Summer Deaflympics में चुनी गईं पर उनके सपने बिखर गए. 

मैंने Gala Event की तैयारियों में Lower Back चोटिल हो गया. इसके बावजूद मैंने ट्रेनिंग जारी रखी. वो बहुत मुश्किल समय था पर मैंने हिम्मत नहीं हारी. 

-विदिशा

इसके ठीक 1 साल बाद, 2017 में तुर्की में विदिशा ने मल्टी-स्पोर्ट इवेंट में हिस्सा लिया और इस प्रतियोगिता में 5वें दर्जे पर रहीं.


इस प्रतियोगिता के बाद डॉक्टर ने विदिशा को स्पोर्ट्स से सालभर का ब्रेक लेने को कहा. रेस्टिंग फ़ेज़ के दौरान ही विदिशा को The Miss Deaf Pageant के बारे में पता चला और विदिशा ने क़िस्मत आज़माने का निर्णय लिया. 

विदिशा मिसाल हैं उन सब लोगों के लिए जो ज़रा-ज़रा सी बातों को समस्या बनाकर ज़िन्दगी में कोशिशें करना छोड़ देते हैं.  

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