बात 70 के दशक की है. सपनों की नगरी मुंबई में रिमझिम बारिश हो रही थी. मशहूर विज्ञापन निर्माता कैलाश सुरेंद्रनाथ मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज जा रहे थे. इस दौरान उन्हें रास्ते में एक महिला मिलीं, जो टैक्सी का इंतज़ार कर रही थीं. दरअसल, इस महिला को मशहूर एडवरटाइजिंग एजेंसी ‘लिंटास‘ में जाना था, जो नरीमन पॉइंट के एक्सप्रेस टॉवर्स में थी. इतने में कैलाश ने महिला को लिफ़्ट ऑफ़र की और वो कार में बैठ गईं. इस दौरान दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ और महिला ने कैलाश से उनका पेशा तो बताया बताया कि वो विज्ञापन बनाते हैं, लेकिन उनका करियर बस शुरू ही हुआ है. महिला के कहने पर कैलाश ने उन्हें अपना पोर्टफ़ोलियो दिखाया जो महिला को काफ़ी पसंद आया.
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दरअसल, ये महिला कोई और नहीं, बल्कि मशहूर विज्ञापन कंपनी ‘लिंटास’ की फ़िल्म चीफ़ ‘मुबी इस्माइल’ थीं. इत्तेफ़ाक़ से मुबी और कैलाश की इस मुलाकात ने दुनिया को ऐसा ऐड दिया, जिसे आज भी विज्ञापन जगत की पहचान के तौर पर जाना जाता है. हम बात कर रहे हैं 80 के दशक के मशहूर ‘लिरिल साबुन‘ के विज्ञापन की.
बात 1975 की है. हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड यानी HUL अपना फ्रेशनेस सोप लॉन्च कर रहा था, जिसका नाम लिरिल (Liril) था. ये पहली बार था जब इंडियन मार्केट में कोई ‘लाइम सोप’ पेश हो रहा था. ऐसे में ‘हिंदुस्तान यूनिलीवर’ नहीं चाहता था कि इस बेहतरीन मौके को भुनाने में कोई कोर कसर छूटे. इसलिए उसने ‘लिरिल’ का ऐड बनाने के लिए विज्ञापन जगत की नामी कंपनी ‘लिंटास’ से संपर्क किया. लिंटास के लिए ये एक बड़ी चुनौती थी. (Karen Lunell)
हिंदुस्तान यूनिलीवर ने डील फ़ाइनल करने के लिए ‘लिंटास’ को प्रेजेंटेशन देने को भी कहा. इस दौरान ‘हिंदुस्तान यूनिलीवर’ के प्रॉडक्ट की ख़ासियत थी ‘ताजगी’. इस लिहाज ‘लिंटास’ को एक ऐसे चेहरे की ज़रूरत थी, जिसे देखते ही लोगों के चेहरे खिल जाएं. ऐसे में मुबी ने मॉडल और लोकेशन ढूंढने का ज़िम्मा कैलाश सुरेंद्रनाथ को सौंपा. कैलाश की टीम ने तय किया कि किसी समुद्री लोकेशन पर लड़कियों के एक ग्रुप के साथ इस ऐड को शूट करेंगे. इस दौरान सुरेंद्रनाथ ने जुहू बीच पर क़रीब 20-30 लड़कियों का स्क्रीन टेस्ट भी लिया लेकिन, इस शूट से उन्हें कुछ ख़ास हासिल नहीं हुआ.
सुरेंद्रनाथ की मुलाक़ात एक दिन मुंबई के ‘यूएस क्लब’ में 18 साल की करेन लुनेल (Karen Lunell) से हुई. लुनेल की ख़ूबसूरती देख सुरेंद्रनाथ ने तय कर लिया कि लिरिल के ऐड में दिखेगी तो बस सिर्फ़ ये लड़की. लुनेल की शख़्सियत में अजीब सी कसक थी, किसी को भी अपनी ओर खींच लेने वाली. लुनेल की इसी खूबी ने उन्हें जूस ब्रैंड ‘डिपीज’ का ऐड भी दिलाया था. इसके बाद कैलाश की टीम ने टीम ने फैसला किया कि अब इस ऐड को समुद्र के बजाय किसी झरने के पास फ़िल्माया जाएगा. ऐड में लड़कियों की भीड़ नहीं दिखाई जाएगी, केवल ‘करेन लुनेल’ के साथ ही इस ऐड को फ़िल्माया जायेगा.
कैलाश सुरेंद्रनाथ की टीम अब लोकेशन की खोज में निकल पड़ी. टीम 10 दिन तक देशभर में घूमी. इस दौरान जिस भी अच्छी लोकेशन के बारे में जानकारी मिलती, टीम वहां पहुंच जाती. टीम ने देश के कई झरनों को अपने कैमरे में क़ैद किया. इस दौरान टीम को तमिलनाडु के कोडैकानल के रास्ते में एक झरना दिखाई दिया जो सड़क से काफ़ी दूर था. ये झरना कोई और नहीं बल्कि ‘टाइगर फ़ॉल्स’ था. सुरेंद्रनाथ को ये लोकेशन काफ़ी पसंद आई क्योंकि वहां केवल झरना ही नहीं, हरियाली, चट्टानें वो सब चीज़ थीं जो आंखों को सुकून देने वाली थी, लेकिन उस जगह पर ऐड फ़िल्माने में एक दिक्कत थी.
दरअसल, ये झरना केवल दिसंबर और जनवरी में ही भरा मिलता, लेकिन उस दौरान तापमान काफ़ी कम रहता, तकरीबन 3 या 4 डिग्री सेल्सियस के आसपास. सूरज भी दिन में बमुश्किल 2-3 घंटे ही निकलता था, लेकिन इस दौरान सबसे बड़ी दिक्कत थी उस जगह तक शूटिंग का साजोसमान ले जाना. इन तमाम मुसीबतों के बावजूद सुरेंद्रनाथ ने तय कर लिया कि ‘लिरिल’ के विज्ञापन की शूटिंग ‘टाइगर फ़ॉल्स’ पर ही होगी. इस लोकेशन के लिए मुबी इस्माइल ने भी हामी भर दी. फिर झरने और स्क्रीन टेस्ट की फुटेज को क्लाइंट के सामने पेश किया गया.
ऑडियो विजुअल प्रेजेंटेशन के लिए ‘म्यूज़िक ट्रैक’ तैयार करने की ज़िम्मेदारी दिवंगत म्यूज़िशियन वनराज भाटिया को सौंपी गई. इसके बाद वनराज ने क़रीब 20 मिनट का म्यूज़िक ट्रैक कंपोज किया. बैकग्राउंड म्यूज़िक में सितार और तबले की धुन के साथ वेस्टर्न म्यूज़िक इस्तेमाल किया गया. इस ख़ूबसूरत ट्रैक को प्रीति सागर ने आवाज़ दी. एलिक पदमसी उस वक़्त ‘लिंटास’ के सीईओ हुआ करते थे. ऐसे में उन्होंने ‘हिंदुस्तान यूनिलीवर’ के मार्केटिंग हेड शुनू सेन को प्रजेंटेशन दिखाया. 1 मिनट के ऐड के लिए 20 मिनट का प्रजेंटेशन था. शुनू को काम बेहद पसंद आया और फिर विज्ञापन की शूटिंग कन्फर्म हो गई.
विज्ञापन ने बदल दी ‘करेन लुनेल’ ज़िंदगी
सुरेंद्रनाथ ने मुबी इस्माइल के सामने ऐड में करेन लुनेल (Karen Lunell) को बतौर मॉडल लेने की सिफ़ारिश की. मुबी ने लुनेल का पिछले ऐड देख फौरन हां कर दी. हालांकि, विज्ञापन को फ़िल्माना कतई आसान नहीं था. शूटिंग के लिए लुनेल को झरने के पीछे भी जाना पड़ा. इस दौरान वहां उन्हें कई बार सांप भी दिखे, पर शूटिंग जारी रही. लुनेल के मन में सांप का डर था. इसलिए वो अपनी तरफ़ से पूरी कोशिश करतीं कि शॉट एक ही टेक में ओके हो जाए, ताकि उन्हें रीटेक के लिए दोबारा उस जगह न जाना पड़े. ठंड से ठिठुरने के बावजूद लुनेल की नेचुरल एक्टिंग के साथ ऐड की शूटिंग ख़त्म कर ली गई.
Karen Lunell को ऑफ़र हुई कई फ़िल्में
लिरिल साबुन के इस विज्ञापन के रिलीज़ होते ही करेन लुनेल (Karen Lunell) की ज़िंदगी ही बदल गई. इस ऐड के बाद वो काफ़ी मशहूर हो गईं. लोग उन्हें देखते ही ख़ुशी से सीटी बजाने और ‘लिरिल ऐड’ का जिंगल गाने लगते. इस दौरान लुनेल को कई फ़िल्मों के भी ऑफ़र मिले, लेकिन उन्होंने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. वो एयरलाइन जॉइन करके दुनिया देखना चाहती थीं. वो जब विमान के दरवाज़े पर खड़ी होकर यात्रियों का अभिवादन भी करतीं तो लोग हैरानी से उनकी तरफ़ दोबारा मुड़कर देखने लगते थे. (Karen Lunell)
करेन लुनेल (Karen Lunell) अब कहां हैं और क्या करती हैं?
सन 1976 में करेन लुनेल (Karen Lunell) की मौत की ख़बर ने हर किसी को चूंकि दिया था, लेकिन ये महज एक अफ़वाह थी. इसके बाद 1980 में लुनेल का कार एक्सीडेंट हो गया. इस दौरान उनके सिर में गंभीर चोट आई, चेहरे पर टांके भी लगे. इमरजेंसी वार्ड में लेटे-लेटे उन्हें लगता कि शायद उनके मरने की अफ़वाहें अब सच हो जाएंगी, लेकिन वो जल्दी ही रिकवर हो गईं. करेन लुनेल अब ‘करेन लुनेल हीशी’ बन गई हैं. वो न्यूज़ीलैंड में स्कूल टीचर हैं. लेकिन भारत में आज भी लोग उन्हें ‘लिरिल गर्ल’ के नाम से ही जानते हैं. (Karen Lunell)
70 से लेकर 80 के दशक में ‘लिरिल’ के इस विज्ञापन की चर्चा किसी फ़िल्म से काम नहीं होती थी. उन दिनों टीवी घर-घर नहीं पहुंचा था. सिनेमाहॉल ही विज्ञापन देखने का सबसे बड़ा माध्यम था. लोग इंटरवल में पॉपकॉर्न ख़रीदने भी नहीं निकलते कि कहीं ‘लिरिल’ का ऐड मिस न हो जाए. इसकी लोकप्रियता का आलम यूं था कि ‘टाइगर फ़ॉल्स’ का नाम ‘लिरिल फ़ॉल्स’ हो गया. इसके बाद लगातार 8 साल तक इस ऐड के कई वर्जन आए. (Karen Lunell)
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