भारत में एक से बढ़कर एक कवि, लेखक और उपन्यासकार हुये हैं, लेकिन लोगों की रग-रग में बस जाने का काम तो सिर्फ़ एक शायर ही कर सकता है. मिर्ज़ा ग़ालिब से लेकर राहत इंदौरी तक देश में ऐसे कई मशहूर शायर हुए हैं, जिनकी शायरियों की कोई न कोई पंक्ति अक्सर हम यार दोस्तों के बीच अपने मुख द्वार से गुनगुनाते रहते हैं. यहां तक कि हम प्रेम का इज़ाहर करते हुए भी कविताएँ या शेर भेज देते हैं, लेकिन हम ये भूल जाते हैं कि जिन शायरों की शायरी हम अपनी ख़ुद की लिखी शायरी बोलकर तारीफ़ पाने की कोशिश में लगे रहते हैं. जानते हो वो असल में कैसे दिखते हैं? 

तो चलिए आज हम आपको देश के कुछ ऐसे शायरों की तस्वीरों (Famous Indian Shayar Photo’s) से भी रूबरू करा देते हैं जिनकी हमने केवल शायरियां पढ़ी हैं-

1- मिर्ज़ा ग़ालिब  

हाथों की लकीरों पे मत जा ऐ ‘ग़ालिब’,

नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होते.

indianexpress

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2- निदा फ़ाज़ली

होशवालों को ख़बर क्या बेख़ुदी क्या चीज़ है,

इश्क कीजिये फिर समझिये ज़िंदगी क्या चीज़ है. 

thequint

3- राहत इंदौरी  

लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के संभलते क्यों हैं

इतना डरते हैं तो फिर घर से निकले क्यों हैं,
मैं ना जुगनू हूं ना दीया हूं ना कोई तारा हूं
रोशनी वाले मेरे नाम से जलते क्यों हैं.

indiatoday

4- फ़िराक़ गोरखपुरी

आये थे हंसते खेलते मैख़ाने में ‘फ़िराक़’,

जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गये.

tribuneindia

5- बशीर बद्र

उजाले अपनी यादों के

हमारे साथ रहने दो,
न जाने किस गली में
ज़िंदगी की शाम हो जाए.

poetistic

6- मुनव्वर राणा 

किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकान आई,

मैं सबसे छोटा था घर में मेरे हिस्से में मां आई. 

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Famous Indian Shayar Photo’s

7- वसीम बरेलवी

तुझे पाने की कोशिश में

कुछ इतना खो चुका हूं मैं,
कि तू मिल भी अगर जाए तो
अब मिलने का गम होगा. 

youtube

8- साहिर लुधियानवी

कभी ख़ुद पे कभी हालात पे

         रोना आया
बात निकली तो हर एक बात पे
         रोना आया. 

filmcompanion

9- मजरूह सुल्तानपुरी  

कोई हम दम न रहा

कोई सहारा न रहा,
हम किसी के न रहे
कोई हमारा न रहा. 

bollywoodhungama

Famous Indian Shayar Photo’s

10- अकबर इलाहाबादी 

आह जो दिल से निकाली जाएगी,

क्या समझते हो कि ख़ाली जाएगी.

indiatimes

तोड़ा कुछ इस अदा से

ताल्लुक़ उसने ‘ग़ालिब’, 
कि सारी उम्र अपना क़सूर ढूंढते रहे – मिर्ज़ा ग़ालिब