नेताजी सुभाषचंद्र बोस (Subhas Chandra Bose) ने देश की आज़ादी के लिए सन 1943 में ‘आज़ाद हिंद फ़ौज़’ का गठन किया था. नेता जी ने अपनी इसी सेना के दम पर देश को आज़ाद करने की कसम खाई थी. नेजा जी के नेतृत्व वाली इस जांबाज़ सेना ने न सिर्फ़ अंग्रेज़ों का जमकर मुक़ाबला किया, बल्कि देश को अपने तरीक़े से आज़ादी दिलाने में अहम भूमिका भी निभाई थी.

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इतिहासकारों के मुताबिक़, ‘आज़ाद हिंद फ़ौज़’ का गठन पहली बार राजा महेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा 29 अक्टूबर 1915 को अफ़गानिस्तान में किया गया था. मूल रूप से उस वक्त ये ‘आज़ाद हिंद सरकार’ की सेना थी, जिसका लक्ष्य अंग्रेज़ों से लड़कर भारत को स्वतंत्रता दिलाना था. इसके बाद ‘आज़ाद हिंद फ़ौज़’ की स्थापना का विचार सर्वप्रथम मोहन सिंह के मन में आया था. इसी बीच विदेशों में रह रहे भारतीयों के लिए ‘इंडियन इंडिपेंडेंस लीग’ की स्थापना की गई, जिसका प्रथम सम्मेलन जून 1942 में बैंकॉक में हुआ. 

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‘द्वितीय विश्व युद्ध’ के दौरान सन 1943 में जापान की सहायता से टोकियो में रासबिहारी बोस ने भी भारत को अंग्रेज़ों के कब्ज़े से स्वतन्त्र कराने के लिये ‘आज़ाद हिंद फ़ौज़’ या ‘इंडियन नेशनल आर्मी’ (INA) नामक सशस्त्र सेना का संगठन किया. इस सेना के गठन में कैप्टन मोहन सिंह, रासबिहारी बोस एवं निरंजन सिंह गिल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 

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इसके बाद सन 1943 की शुरुआत में जापान के सहयोग से नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने क़रीब 40,000 भारतीय को प्रशिक्षित करने का काम शुरू किया. फिर नेताजी ने सन 1943 में सिंगापुर में ‘आज़ाद हिंद फ़ौज़’ की नींव रखी. इसके बाद ‘आज़ाद हिंद फ़ौज़’ ने जापान के समर्थन से अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ आज़ादी की जंग छेड़ दी थी. 14 अगस्त 1945 में जापान द्वारा आत्मसमर्पण करने के बावजूद ‘आज़ाद हिंद फ़ौज़’ ने हार नहीं मानी और अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ जंग जारी रखी. 

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नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 4 जुलाई 1944 को रंगून (बर्मा) के ‘जुबली हॉल’ में अपने ऐतिहासिक भाषण के दौरान ही ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा’ और ‘दिल्ली चलो’ का नारा दिया. ‘आज़ाद हिंद फ़ौज़’ मित्र देशों (एलॉयड पॉवर्स) से लड़ने वाली आख़िरी सेना थी. लेकिन सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु के दावे के बाद ही ‘आज़ाद हिंद फ़ौज़’ को पराजय झेलनी पड़ी थी. ‘आज़ाद हिंद फ़ौज़’ को ‘आर्ज़ी हुक़ूमत-ए-आज़ाद हिंद’ के नाम से भी जाना जाता है.

‘आज़ाद हिंद फ़ौज़’ के बारे में तो जान लिया चलिए अब इस जांबाज़ सेना की इन 20 तस्वीरों को भी देख लीजिए-

1- सन 1943, नेताजी ‘आज़ाद हिंद फ़ौज़’ की महिला ब्रिगेट के साथ

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2- सन 1943, नेताजी ‘आज़ाद हिंद फ़ौज़’ की पुरुष ब्रिगेट के साथ

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3- सन 1942, नेताजी को हाथ जोड़े सैनिक और आम लोग

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4- सन 1944, नेताजी ‘आज़ाद हिंद फ़ौज़’ की एक टुकड़ी के साथ  

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5- सन 1943, नेताजी सुभाषचंद्र बोस जर्मन सेना के अधिकारियों के साथ

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6- सन 1943 ‘आज़ाद हिंद फ़ौज़’ के जवान हाथ में तिरंगा थामे

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7- सन 1943, ‘आज़ाद हिंद फ़ौज़’ के जवान मोर्चा संभाले हुए  

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8- सन 1944, ‘आज़ाद हिंद फ़ौज़’ का एक जवान निशाना लगाते हुए  

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9- सन 1944, नेताजी जर्मन सेना के अधिकारियों के साथ हंसी मज़ाक करते हुए 

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10- सन 1944, ‘आज़ाद हिंद फ़ौज़’ के जवान

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11- सन 1944, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ‘वॉर फ़ील्ड’ का जायज़ा लेते हुए   

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12- सन 1943, नेताजी जर्मन सेना के अधिकारियों के साथ 

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13- सन 1944, ‘आज़ाद हिंद फ़ौज़’ के जवान मोर्चे पर तैनात

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14- सन 1944, ‘आज़ाद हिंद फ़ौज़’ के दो जवान निशाना साधते हुए

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15- सन 1943, नेताजी ‘आज़ाद हिंद फ़ौज़’ के जवानों के बीच

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16- सन 1943, नेताजी जापानी सेना के अधिकारियों के साथ

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17- सन 1944, नेताजी अपनी सैन्य यूनिट का जायज़ा लेते हुए

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18- सन 1944, नेताजी रंगून (बर्मा) के ‘जुबली हॉल’ में अपने ऐतिहासिक भाषण देते हुए

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19- सन 1944, नेताजी सुभाषचंद्र बोस अज पने जवानों के साथ तस्वीर खिंचवाते हुए

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20- सन 1943 ‘आज़ाद हिंद फ़ौज़’ के जवान  

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जय हिंद!