भारत का गौरवशाली इतिहास कई पौराणिक घटनाओं से होकर गुज़रता है. इन घटनाओं को याद करते ही मस्तिष्क में वही दृश्य उभर कर सामने आते हैं. इनमें एक ऐतिहासिक लड़ाई भी शामिल है, जिसका नाम है महाभारत, जो पांडवों और कौरवों के मध्य लड़ी गई थी. आज भी मंदिर, गुफ़ाओं व कुंड के रूपों में महाभारत काल से जुड़े कई साक्ष्यों को देखा जा सकता है. आइये, इस ख़ास लेख के ज़रिए हम आपको उन पहाड़ी स्थलों की सैर पर ले चलते हैं जिनसे जुड़ा है महाभारत काल का रहस्यमयी इतिहास.       

1. हिडिम्बा मंदिर 

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यह तो आपको पता ही होगा कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने अपना कुछ समय घने जंगल में बिताया था. यहीं हिडिंब नाम का एक राक्षस का घर भी था. माना जाता है कि बलशाली भीम ने इस राक्षस को मार दिया था, जिसका बदला लेने हिडिंब की बहन हिडिंबा पांडवों के पास पहुंची थी. लेकिन, भीम को देखते ही वो उन पर मोहित हो गई. इसके बाद दोनों ने विवाह कर लिया था. आज भी हिडिंबा के नाम से एक मंदिर हिमाचल प्रदेश के मनाली में स्थित है. यहां का कुल्लू राजवंश हिडिंबा को अपनी कुल देवी मानता है और उसकी पूजा करता है.     

2. अर्जुन गुफ़ा   

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हिमाचल प्रदेश में ही एक और स्थल है जिसका संबंध भी महाभारत काल से जुड़ा है. यह है अर्जुन गुफ़ा, जो मनाली से कुछ किमी दूर स्थित पिरनी नामक गांव में है. माना जाता है यह वोही गुफ़ा है जहां अर्जुन से तपस्या की थी और जिसके बाद उन्हें ‘पशुपति अस्त्र’ प्राप्त हुआ था.  

3. व्यास कुंड  

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मनाली से लगभग 17 कि.मी दूर स्थित है ब्यास कुंड. यह प्राचीन नदी ब्यास का उद्गम स्थल है. इस कुंड का संबंध महाभारत ग्रंथ के रचयिता वेदव्यास से है. माना जाता है कि वेदव्यास इस कुंड में रोज़ाना स्नान किया करते थे.   

4. चिखलदरा     

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यह भी एक ऐतिहासिक स्थल है, जो महाभारत से जुड़ा है. यह महाराष्ट्र में स्थित है. माना जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडव यहां कुछ समय तक ठहरे थे. साथ ही द्रौपदी का अपमान करने पर भीम ने कीचक को भी यहीं मारा था.     

5. व्यास गुफ़ा  

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महाभारत से जुड़ा एक और स्थल उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा गांव में मौजूद है. यह है व्यास गुफ़ा. ऐसा कहा जाता है कि महाभारत की रचना वेदव्यास जी ने इसी गुफ़ा में की थी. यहां पास में एक और गुफ़ा है जिसका नाम है गणेश गुफ़ा. इन दोनों गुफ़ाओं को देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक यहां आते हैं.   

6. सूर्य कुंड  

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सूर्य कुंड उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री मंदिर के पास स्थित है. माना जाता है कि सूर्य देवता के आशीर्वाद से कुंती ने अपने पहले पुत्र कर्ण को यहीं जन्म दिया था. हालांकि, कर्ण के जन्म को कई और भी कई पौराणिक कथाएं मौजूद हैं.   

7.द्रोण सागर झील  

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द्रोण सागर झील उत्तराखंड के काशीपुर में स्थित है. मान्यता है कि गुरु-दक्षिणा के रूप में पांडवों ने इस झील का निर्माण गुरु द्रोणाचार्य के लिए किया था. इस झील का पानी पवित्र माना जाता है और दूर-दूर से श्रद्धालु इस पवित्र झील के दर्शन करने के लिए आते हैं.   

8. पंच केदार   

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यह स्थान भी महाभारत काल से जुड़ा है. यह उत्तराखंड के गढ़वाल में मौजूद है. यह पांच शिव मंदिरों का सामूहिक नाम है. मान्यता है कि पंच केदार का निर्माण पांडवों ने किया था.     

तो दोस्तों, ये थे महाभारत काल से जुड़े कुछ पहाड़ी स्थल. उम्मीद है कि यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा.