Akshaya Tritiya 2022: वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया या आखा तीज कहते हैं. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा होती है और इस बार अक्षय तृतीया 3 मई को मनाई जाएगी. मान्यता है कि, इस दिन सोना ख़रीदने, दान-पुण्य करने, नदी में स्नान, जप, तप करने से लाभ मिलता है, जो व्यक्ति ऐसा करते हैं वो बड़ी से बड़ी समस्या से पार लग जाते हैं. इस दिन कोई भी शुभ काम किसी भी समय कर सकते हैं क्योंकि सारे ही समय शुभ होते हैं.
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सोने की ख़रीददारी शुभ मुहूर्त
सोना ख़रीदने से घर में सुख समृद्धि आती है, अगर आप सोना नहीं ख़रीद सकते हैं तो जौं ख़रीद लें, उस जौं को भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की मूर्ति के सामने एक लाल कपड़े में बांधकर रख देने से घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती है. इस बार तृतीया के दिन सोना ख़रीदने का सही समय सुबह 5 बजकर 38 मिनट से 4 मई की सुबह 5 बजकर 30 मिनट तक रहेगा.
Akshaya Tritiya 2022
सोने की ख़रीददारी का समय तो पता चल गया, अब जान लेते हैं अक्षय तृतीया के दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि:
अक्षय तृतीया पूजन विधि (Akshaya Tritiya 2022 Poojan Vidhi)
इस दिन व्रत रखने वाले लोगों को सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले स्नान करके पीले कपड़े पहनने चाहिए. इसके बाद, घर के मंदिर के पास पीला आसन बिछाकर उस पर बैठें और विष्णु जी की मूर्ति पर गंगाजल छिड़कें फिर तुलसी और पीले फूल की माला चढ़ाकर धूप अगरबत्ती जलाएं और विष्णु चालीसा का पाठ करें. इसके बाद आरती करके सबमें प्रसाद बांट दें. प्रसाद में गेहूं का सत्तू, ककड़ी और भीगी चने की दाल चढ़ा सकते हैं. इस दिन ग़रीबों को खाना खिलाना या दान देना बहुत शुभ होता है, इससे सारे कष्ट दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
अक्षय तृतीया 2022 का मुहूर्त (Muhurat for Akshaya Tritiya 2022)
द्रिक पंचांग के अनुसार, अक्षय तृतीया की शुरुआत 3 मई को सुबह 5 बजकर 18 मिनट पर होगी, जिसमें पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 39 मिनट से दोपहर के 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगा और अक्षय तृतीया की समाप्ति 4 मई की सुबह 7 बजकर 32 मिनट पर होगी.
50 सालों बाद बना है इतना शुभ संयोग
वैशाख के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली अक्षय तृतीया का हिंदू धर्म में ख़ास महत्व है. ज्योतिषों की मानें तो, मंगलवार को पड़ने की वजह से इस बार की अक्षय तृतीया पर रोहिणी नक्षत्र और शोभन योग के मिलने से मंगल रोहिणी योग बन रहा है, जिसके चलते चार बड़ी राशि अपनी उच्च स्थिति में होंगी. जैसे, चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ, शुक्र अपनी उच्च राशि मीन, शनि अपनी स्वराशि कुंभ और बृहस्पति अपनी स्वराशि मीन में होगा. इस तरह का संयोग 50 सालों में एक बार देखने को मिलता है, इसलिए इस बार की अक्षय तृतीया बहुत ख़ास है.
अक्षय तृतीया का महत्व (Significance Of Akshaya Tritiya)
अक्षय तृतीया का दिन बहुत ही शुभ होता है इस दिन बिना पंचांग देखे कोई भी काम कभी भी किया जा सकता है. जैसे, शादी, गृह-प्रवेश, गहनों या घर की ख़रीददारी, ज़मीन और बाइक या कार की ख़रीददारी करनी चाहिए. पुराणों में लिखा है कि इस दिन अगर पितरों को तर्पण और पिन्डदान किया जाए तो मनचाहे फल मिलते हैं और गंगा स्नान करने से पाप दूर होते हैं. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन त्रेता युग की शुरुआत हुई थी. आमतौर पर, अक्षय तृतीया और भगवान विष्णु के 6ठे अवतार परशुराम जी की जयंती भी इसी दिन होती है. आपको बता दें, कभी-कभी तिथि आगे पीछे होने की वजह से परशुराम जयंती और अक्षय तृतीया आगे पीछे पड़ जाती हैं.
अक्षय तृतीया के दिन दान-पुण्य ज़रूर करें
हिंदू धर्म में कोई भी पूजा या त्यौहार हो ग़रीबों को दान-पुण्य करना शुभ माना जाता है और कई घरों में इसे परंपरा की तरह निभाया जाता है. अक्षय तृतीया पर भी दान-धर्म करना अच्छी बात होती है. ऐसा करने से मनचाहा फल मिलता है. इस दिन, जौ, गेहूं, चना, दही, चावल, फल, अनाज, घड़ी, कलश, चीनी, पंखे, छाते, चावल, दाल, और कपड़े आदि का दान करना चाहिए.
अक्षय तृतीया पर विधि-विधान से पूजा संपन्न करें ताकि भगवान विष्णु और मा लक्ष्मी आप पर अपना अशीर्वाद बनाए रखें.