जर्मन शासक एडोल्फ़ हिटलर (Adolf Hitler). हिटलर तानाशाही प्रवृति का था और अब तक हमने उससे जुड़ी कई कहानियां भी सुनी हैं. हांलाकि, फिर भी हम जर्मन तानाशाह के बारे में बहुत कुछ नहीं जानते. ख़ासकर हिटलर द्वारा बनवाये गये ख़ास होटल के बारे में. वो होटल जिसे लेकर हिटलर ने काफ़ी सपने देखे थे. होटल बना कर तैयार भी हुआ, पर अफ़सोस आज तक उस होटल में कोई नहीं रुक पाया है.

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कैसा था तानाशाह के सपनों का आलीशान होटल? 

कहते हैं कि हिटलर अपने सैनिकों के लिये एक आलीशान होटल बनवाना चाहता था. वो चाहता था कि उसके सैनिक समुद्र के आस-पास रहकर थोड़ा रिलेक्स करें. इसलिये उसने ‘Colossus of Prora’ बनाने का हुक़ुम दिया. होटल बनाने के लिये लगभग 9 हज़ार मज़दूर काम पर लग गये. हिटलर का होटल बन कर तैयार हुआ ही था कि द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ गया. ये होटल जर्मनी के रुगेन द्वीप पर बनाया गया था. 

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1930 में हिटलर के होटल का डिज़ाइन Clemens Klotz ने तैयार किया था, जो कि बेहद ख़ूबसूरत था. हिटलर ने होटल का नाम प्रोरा भी सोच समझ कर रखा था. Prora का मतलब होता है, बंजर जमीन. चूंकि, होटल समुद्र के बीच रेतीले स्थान पर बनाया गया था. इसलिये तानाशाह ने इसका नाम प्रोरा रख डाला.

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कहते हैं कि हिटलर के ख़ूबसूरत होटल को बनने में 3 साल का समय लगा और लगभग 237.5 मिलियन जर्मन करंसी खर्च हुई. आलीशान होटल में सारी सुविधाएं थीं. होटल में सिनेमा हॉल भी था. बस फे़स्टिवल हॉल और स्विमिंग पूल बनना बाक़ी रह गया था. तभी दूसरा विश्व युद्ध छिड़ा. होटल का काम रुका और मजदूर सेना की मदद को चले गये.

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उस दिन के बाद से न होटल का काम दोबारा शुरु हुआ और न ही कोई सैनिक मौज-मस्ती कर पाया है. युद्ध के दौरान सैनिकों ने होटल को बैरक की तरह यूज़ किया. सैनिकों के साथ-साथ आम जनता भी जान बचाने के लिये होटल में छिपने लगी. धीरे-धीरे हिटलर का आलीशान होटल जर्जर होने लगा. युद्ध के दौरान यहां कई लोगों की जानें भी गईं. इसलिये लोग इसे भुतह जगह भी मानने लगे.

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काफ़ी कोशिशों के बाद 2004 से होटल के अलग-अलग हिस्सों को बेचने का काम शुरू कर दिया गयाजाने जाना लगा और इस तरह हिटलर का ख़ूबसूरत सपना, सपना ही रह गया.