इंसान की ये ख़ासियत है कि वो हमेशा आगे बढ़ता रहता है, मगर अपने पीछे ख़ुद के होने के निशान भी छोड़ता चलता है. ये निशान ही उसके इतिहास को भविष्य से जोड़ते हैं. यही वजह है कि हज़ारों साल बाद भी उनके शरीर न सही, मगर नाम और काम ज़िंदा हैं. 

आज हम आपके लिए ऐसी ही हज़ारों साल पुरानी चीज़ों की तस्वीरें लेकर आए हैं, जिनका इस्तेमाल कभी प्राचीन लोग किया करते थे. 

1. रोसेटा स्टोन (196 ई.पू.)

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ये बेसाल्ट की एक विशाल स्लैब है, जिसे नेपोलियन बोनापार्ट की सेना द्वारा मिस्र के अभियान के दौरान खोजा था. इस पर किंग टॉलेमी वी (204-181 ईसा पूर्व) का एक फरमान तीन अलग-अलग भाषाओं में लिखा गया है. ये भाषाएं मिस्र की चित्रलिपि, मिस्र के डेमोटिक (लोगों की भाषा), और प्राचीन ग्रीक (मिस्र के ग्रीको-मैसेडोनियन शासकों की भाषा) हैं. इस स्टोन को मिस्र की भाषा की कुंजी भी माना जाता है.

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2. एंटीकाइथेरा तंत्र (200-1 ई.पू.)

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ये एक खगोलीय कैलकुलेटर यानि एंटीकाइथेरा सिस्टम है. क़रीब 2000 साल पुराने इस तंत्र का इस्तेमाल प्राचीन यूनानी लोग सूर्य और चंद्र ग्रहण को ट्रैक करने के लिए करते थे. साथ ही, इससे ग्रहों की चाल का चार्ट तैयार करने में भी मदद मिलती थी. 

3. किंग तूतनखामेन का उल्कापिंड डैगर (14वीं शताब्दी ईसा पूर्व)

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मिस्र के फराओ तूतनखामेन की ममी के साथ दो खंजर मिले थे. एक सोने का और दूसरा लोहे का. मगर दिलचस्प बात ये है कि लोहे का खंजर सोने से ज़्यादा क़ीमती है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, लोहे का खंजर उल्कापिंड के टुकड़े से तैयार किया गया था. खंजर जिस मेटल से बना है, उसमें निकेल ज्यादा मात्रा में है. उन्होंने उस समय के मिले उल्कापिंडों की मेटल से भी खंजर के मेटल का मिलान किया. इनमें भी निकेल और कोबाल्ट की वैसी ही मात्रा थी जैसी खंजर में मिली है.

4. द ब्लैक पिरामिड ऑफ़ दशर (1820 ईसा पूर्व)

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ये पिरामिड दशर में अमेनेमहट III के पिरामिड के पास मलबे में मिला था, जिसे कभी-कभी काला पिरामिड कहा जाता है. ब्लैक पिरामिड काफ़ी जर्जर हालत में है. वहीं, ग्रेनाइट का पिरामिड अपेक्षाकृत अच्छे आकार में है, और इसके चारों ओर लिखे शिलालेख पढ़े जा सकते हैं. वर्तमान में काहिरा में मिस्र के संग्रहालय में रखा गया है.

5. गौजियन की तलवार (771-403 ईसा पूर्व)

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2500 साल से अधिक पुरानी होने के बावजूद ये चीनी डैगर अभी भी बिल्कुल नई जैसी है. 1965 में इसे चीन में एक मकबरे में खोजा गया था. इसे बनाने में तांबा, टिन, ब्लू क्रि्स्टल और फ़िरोज़ा का इस्तेमाल हुआ था.  तलवार पर शिलालेख से मालूम पड़ता है कि राजा यू वांग वांगियन द्वारा इस्तेमाल किया गया था. 

6. विश्व का बेबीलोनियन मानचित्र (छठी शताब्दी ईसा पूर्व)

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लगभग 700 ईसा पूर्व की ये क्ले टैबलेट पर विश्व का नक्शा बना है, जो चारों तरफ़ से पानी ‘कड़वी नदी’ से घिरा है. इसमें आयत, वृत्त और त्रिकोणीय वर्गों के ज़रिए दुनियाभर की जगहों को दिखाया गया है. 

7. पेसे डोंगी (8000 ई.पू.)

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ये दुनिया में सबसे पुरानी-ज्ञात नाव मानी जाती है और निश्चित रूप से ऐतिहासिक रिकॉर्ड में सबसे पुरानी डोंगी. ये डच प्रांत ड्रेन्थे के एक गांव पेसे में मिली थी. ऐसी ही एक पुरानी नांव नाइजीरिया के भी एक गांव में मिली थी, जिसे 2 हज़ार साल पहले का बताया गया.

8. उर का रॉयल गेम (2600-2400 ईसा पूर्व)

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हजारों साल पहले भूमध्यसागरीय और मध्य पूर्व में लोकप्रिय उर का रॉयल गेम प्राचीन लोगों के लिए एक लोकप्रिय शगल था. प्राचीन समय में ज़्यादा मनोरंजन के साधन नहीं थे, ऐसे में ये गेम काफ़ी लोकप्रिय रहा था. ये एक तरह से प्राचीन लोगों का प्लेस्टेशन था. 

9. वॉयनिच पांडुलिपि (15 वीं शताब्दी ईस्वी)

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इसे कभी-कभी ‘दुनिया की सबसे रहस्यमय किताब’ कहा जाता है. ये 15 वीं शताब्दी का कोडेक्स एक अज्ञात लेखक द्वारा अज्ञात लिपि में लिखा गया है. किताब में वनस्पति प्रजातियों से लेकर खगोलीय चार्ट और महिला जीव विज्ञान जैसे विषय तक शामिल हैं. इस किताब को लिखने का मकसद आज भी समझ नहीं आया है. कुछ लोग इसे धोखा तो कुछ इस किताब को एलियंस का काम मानते हैं. 

10. अल्फ्रेड ज्वेल (नौवीं शताब्दी ईस्वी)

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इसकी खोज 1693 में इंग्लैंड के सॉमरसेट में एक एरिया में हुई थी ये शाही अवशेष किंग अल्फ्रेड द ग्रेट (871-899 ईस्वी) के शासनकाल का है. इसमें शिलालेश में लिखा है कि इसे अल्फ्रेड ने मुझे बनाने का आदेश दिया है. एशमोलियन संग्रहालय के अनुसार, ज्वेल मूल रूप से एक एस्टेल, या पॉइंटर का हिस्सा था, एक ऐसा उपकरण जिसका उपयोग पांडुलिपियों को पढ़ने के लिए किया जाता था. 

11. ओल्डोवन चॉपर्स (1.7 मिलियन वर्ष पहले)

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देखने में ये भले ही साधारण चट्टान लगें, लेकिन इन्हें धरती पर मौजदू सबसे पुराने पत्थर के औजार माना जाता है. ये औजार 2.5 से 1.2 मिलियन वर्ष पहले होमो सैपियंस के पूर्वज होमो हैबिलिस द्वारा बनाए गए थे. सबसे पहले इन्हें तंजानिया में पाया गया था.

12. हैंड ऑफ़ ग्लोरी (18वीं शताब्दी ई.) 

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व्हिटबी संग्रहालय का हैण्ड ऑफ़ ग्लोरी विशेष रूप से प्राचीन नहीं है, लेकिन ये एक सदियों पुरानी गुप्त प्रथा का एक अच्छी तरह से संरक्षित उदाहरण है. माना जाता है कि यूरोप में पहले किसी अपराधी को फांसी पर लटकाने के बाद उसका दाहिना हाथ काट लिया जाता था. बाद में इसका इस्तेमाल कैंडल या कैंडल होल्डर के रूप में किया जाता था. माना जाता था कि इसमें जादूई गुण होते हैं. 

13. ट्यूरिन का कफ़न (14वीं शताब्दी ई.)

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ट्यूरिन में सेंट जॉन द बैपटिस्ट का कैथेड्रल ट्यूरिन के कफ़न के लिए फ़ेमस है. ट्यूरिन का कफ़न एक लिनन का कपड़ा है, जिस पर किसी शख़्स की नकारात्मक छवि अंकित है. वैज्ञानिक अब तक यह प्रमाणित करने में विफल रहे हैं कि ये छवि कैसे बन गई. कैथोलिक समुदाय के कुछ लोग दावा करते हैं कि ये ईसा मसीह का जला हुआ कफ़न है.  इस कपड़े पर खून के धब्बे भी बने हैं. कैथोलिक समुदाय के लिए ये कपड़ा काफ़ी पवित्र है. हालांकि, अभी तक ठोस रूप से कुछ नहीं कहा जा सका है और ट्यूरिन के कफ़न का रहस्य अभी भी बरकरार है.