An Indian Tribe ‘Asur’ Unknown Facts And Photos: असुर जनजाति झारखंड की सबसे प्राचीन और छोटी कम्युनिटी है. इस जनजाति के लोग छोटा नागपुर में रहते हैं और अधिकांश जनसंख्या पलामू जिले के पास रहती है. इस जनजाति से जुड़े ऐसे बहुत से फैक्ट्स हैं. इनका लाइफ़स्टाइल और कल्चर भी हम लोगों से काफ़ी अलग है. पुराणों में भी इस जनजाति का उल्लेख है. चलिए हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से इस जनजाति से जुड़ी कुछ रोचक बातें बताएंगे.
ये भी पढ़ें: Santhal Tribe: पूर्वज थे महान सेनानी, डांस है इनकी पहचान, जानिए संथाल जनजाति के 9 दिलचस्प Facts
चलिए जानते हैं असुर जनजाति के फैक्ट्स (Asur Tribe Unknown Facts and Photos)-
1- इस जनजाति के लोग लोहा गलाने और कृषि कार्य बहुत समय से करते आ रहे हैं. कहते हैं कि ये इनकी परंपरा में है. साथ ही कहा जाता है कि असुर जनजाति ने अपनी इस कला से महाभारत के युद्ध के लिए हथियार बनाए थे.
2- असुर जनजाति के विद्या का स्तर बहुत कम है. इस जनजाति के लोग ज़्यादा पढ़े-लिखे नहीं होते हैं. इसी वजह से ये लोग अपना सुख-दुख, निराशा, हंसना सब कुछ बोलकर प्रकट करते हैं. उनका साहित्य भी बिलकुल ‘मौखिक’ है. उन्होंने ये साहित्य केवल अपने इस्तेमाल के लिया बनाया है.
3- बिछाना गांव खूंटी जिले (झारखंड) से 10 किलोमीटर दूर है. ये जगह इसीलिए इतनी ख़ास है क्योंकि असुर सबसे पहले इसी जगह पर आकर बसे थे.
4- अब जब सबकुछ बोल कर प्रकट करते हैं, इस जनजाति के लोगों की ज़िंदगियों में ‘म्यूज़िक’ बहुत अहम भूमिका निभाता है. उनके गानों का चाहे कोई मतलब हो या नहीं, लेकिन उनमें भावनाएं होती है. इस जनजाति में हर सीज़न के लिए अलग गाना होता है. जिसे वो सिर्फ़ उसी सीज़न में गाते हैं.
5- रावण और महिषासुर असुरों के पूर्वज थे. इसीलिए जब भी हिंदू नवरात्री के पावन अवसर पर पूजा करते हैं तो असुर अपने राजा महिषासुर की मृत्यु का शोक मानते हैं.
ये भी पढ़ें: बैगा जनजाति: जंगल को बचाने के लिए पेड़ों को भाई-बहन बनाया, MP के इस जनजाति की कहानी है दिलचस्प
6- पुराणों के अनुसार, असुरों को भगवान शिव का भक्त कहा गया है. माना जाता है कि कांची नदी के किनारे और आंजन गांव में शिवलिंग की सीरीज़ की खुदाई असुरों ने ही की थी.
7- इस जनजाति के लोग खाने में ज़्यादातर जानवरों के मांस और चावल खाते हैं.
8- इस जनजाति के लोग भूत-प्रेत, काला जादू जैसी चीज़ों में बहुत विश्वास रखते हैं. सिंगबोंगा इस जनजाति के सर्वोच्च भगवान हैं.