Bhoot Puja: भारत में अलग-अलग तरह की धार्मिक मान्यताओं को मानने वाले लोग रहते हैं. बड़ी संख्या में देवी-देवताओं की पूजा करते हैं. इनसे जुड़ी कई अनोखी मान्यताएं भी प्रचलित हैं. मगर आपने कभी ‘भूतों की पूजा’ के बारे में सुना है? जी हां, ये बात चौंकाने वाली ज़रूर है, मगर सच है. पश्चिम बंगाल में एक गांव ऐसा है, जो ‘भूत पूजा’ के लिए मशहूर है. (Ghost Prayer In West Bengal India )

भूत पूजा के दौरान लगता है मेला

पश्चिम बंगाल के नादिया के फुलिया तालतला में बड़ी संख्या में लोग भूत पूजा देखने आते हैं. यहां बड़ा मेला भी लगता है. शांतिपूर, रानाघाट, हबीबपुर और फुलिया से काफ़ी लोग यहां आयोजित मेले में इकट्ठा होते हैं. भूत पूजा चैत्र मास के शुरू होने पर मनाया जाता है. (Weird Traditions)

Bhoot Puja Ghost Prayer In West Bengal India

इस दौरान संन्यासी लोग शिव के मंत्र का उच्चारण करते हुए परिक्रमा करते हैं. ‘भुक्त’ जिसमें चावल, दाल और दूसरे अनाजों को अलग अलग जगहों से इकट्ठा किया जाता है. सूरज ढलते ही लोग एक जगह जमा होकर भोजन पकाकर खाते हैं.

बिना सिर वाली मूर्ति

हर साल गांव के लोग अपने हाथों से ‘मूर्ति’ बनाते हैं. हालांकि, ये कोई आम मूर्ति नहींं होती. क्योंकि, इस मूर्ति में सिर और गर्दन नहींं होते. आंख, नाक, मुंह ये सब शरीर के निचले हिस्से में होते हैं. मूर्ति को ज़मीन पर स्थापित कर इसकी पूजा करते हैं. पूजा वर्ष के शुरुआत में की जाती है.

सदियों पुरानी है भूत पूजा की परंंपरा

कहते हैं कि इस पूजा की शुरुआत पांचवीं सदी में यादव सन्यासी ने की थी. पहले ये बांग्लादेश में होती थी. मगर बंटवारे के दौरान 1950 और 1952 के बीच पूर्वी पाकिस्तान से यहां बहुत लोग आए और इस क्षेत्र में बस गए. फिर यहां भी ‘भूत पूजा’ का आयोजन करने लगे.

दिलचस्प बात ये है कि लोगों का मालूम ही नहीं है कि इस पूजा को क्यों किया जाता है. लोग अब ‘भूत पूजा’ को शिव की पूजा जैसा मानकर करते हैं. उनका मानना है कि बांग्ला नववर्ष के शुरू में इस पूजा के आयोजन से बुरे ख़यालों को त्यागकर नयी ऊर्जा के साथ नए कार्यों को अपनाते हैं.

शांतिपूर, रानाघाट, हबीबपुर और फुलिया से काफ़ी लोग यहां इस उम्मीद से आते हैं कि इस पूजा में भाग लेने से उनकी मनोकामनाएं पूरी होंगी. आज भी इस पूजा को लेकर लोगों में वही उत्साह बना हुआ है.

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