Chaitra Navratri 2022: नवरात्रि आते ही गरबा, धूम-धड़ाका, भक्ति, पूजा-पाठ और व्रत से मन प्रसन्न रहता है. किसी बात की चिंता नहीं होती है क्योंकि मातारानी जो घर में आती हैं, बस सब कुछ उन्हीं के लिए होता है. हिंदू धर्म में नवरात्र के 9 दिनों का बहुत महत्व है. इन दिनों में देवी के 9 स्वरूपों की पूरे विधि-विधान और साज श्रृंगार करके पूजा की जाती है. महिलाएं हों या पुरूष सभी नवरात्रों में पूरी तरह से हिस्सा लेते हैं. सुबह-सुबह मंदिर जाते हैं, माता रानी के दर्शन के बाद ही कुछ खाते-पीते हैं. कहते हैं इन नौ दिनों में मां की सेवा करने से मनचाहे फल मिलते हैं. इस बार नवरात्र 2 अप्रैल से शुरू होकर 11 अप्रैल (Chaitra Navratri 2022 April) को रामनवमी के साथ समाप्त होंगे. आपको बता दें, साल में दो नवरात्र पड़ते हैं, जिनमें शारदीय और चैत्र के नवरात्र होते हैं. 

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चैत्र नवरात्रि में घट स्थापना का बहुत महत्व है, जिसमें जो लोग व्रत करते हैं वो घटस्थापना यानि कलश रखते हैं. इसे भी पूरी विधि-विधान के साथ स्थापित किया जाता है. चलिए, जान लीजिए दुर्गा जी के इन 9 दिनों (Chaitra Navratri 2022 Ashtami Date) की पूजा कैसे की जाती है क्या-क्या सामग्री होनी चाहिए और घटस्थापना कैसे की जाती है?

Chaitra Navratri 2022

चैत्र नवरात्रि की पूजा सामग्री

1. चैत्र नवरात्रि की पूजा करने के लिए सबसे पहले मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर लेकर आएं. 

2. माता रानी के लिए लाल रंग चुनरी, चौकी और आसन के लिए पीला वस्त्र लें. 
3. घट स्थापना के लिए मिट्टी का एक कलश, मिट्टी का ढक्कन, गोबर, जौं, गेहूं, कलावा, आम या अशोक की पत्तियां लें. 4. माता रानी पर चढ़ाने के लिए लाल साड़ी, लाल सिंदूर, श्रृंगार का सामान, फल, गुड़हल का फूल और फूलों की माला लें. 

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5. अगर आपके पास दुर्गा चालीसा या दुर्गा की किताब नहीं है तो वो भी ध्यान से लें. 

6. इसके अलावा, अक्षत, गंगाजल, शहद, रोली, जटावाला नारियल, सूखा नारियल गाय का घी, धूप, अगरबत्ती, पान का पत्ता, सुपारी, लौंग, इलायची, कपूर, बताशा, हवन सामग्री, हवन कुंड, आम की सूखी लड़कियां और आल्ता लें. नवरात्र के दिनों में सुहागिन औरतों को पैरों में आल्ता ज़रूर लगाना चाहिए.

घटस्थापना की विधि

चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2022) के पहले दिन घटस्थापना की जाती है. इस दिन सुबह उठकर सबसे पहले स्नान करने के बाद साफ़ कपड़े पहनें और जहां पर घटस्थापना करनी है उस जगह को साफ़ कर लें या फिर गोबर से लीप लें. इसके बाद, उसी जगह पर थोड़ी सी साफ़ मिट्टी लेकर उसमें सात तरह के अनाज या फिर केवल जौ मिला लें. फिर मिट्टी के कलश में चारों तरफ़ कलावा लपेट दें और स्वास्तिक बना दें. ये सब करने के बाद कलश में जल भर कर उसे ढक दें और ढक्कन पर गेहूं आदि भरें. अगर आपके पास मिट्टी का कलश नहीं है तो तांबे या पीतल का कलश भी ले सकते हैं.

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जब कलश का पूरा काम हो जाए तो नारियल लें और उसे लाल कपड़े से लपेटकर कलश के ऊपर रख दें. फिर गणेश जी और मां दुर्गा की पूजा करते हुए फल, माला, अक्षत, रोली आदि चढ़ाएं. इसके बाद, पान में सुपारी, लौंग, इलायची, बाताशा रखकर चढ़ा दें. कलश को भोग लगाने के बाद जल अर्पित करें. आख़िर में धूप-दीपक जलाकर आरती कर लें और एक घी का दीपक जलाएं जो 9 दिनों तक निरंतर जलते रहना चाहिए.

चैत्र घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 

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इस साल, चैत्र नवरात्रि में घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 2 अप्रैल 2022 की सुबह 6 बजकर 22 मिनट से 8 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा, घटस्थापना को अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 8 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक रहेगा. तो वहीं, प्रतिपदा तिथि 1 अप्रैल 2022 को सुबह 11 बजकर 53 मिनट से शुरू होकर 2 अप्रैल 2022 को सुबह 11 बजकर 58 मिनट तक रहेगी.

कलश को भगवान विष्‍णु का रूप मानते हैं

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नवरात्रि में कलश स्‍थापना या घटस्‍थापना का महत्व भगवान विष्णु से जुड़ा है. कलश को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है, इसीलिए मां दुर्गा से पहले कलश की पूजा की जाती है. नवरात्रि के नौ दिन तक कलश में अखंड ज्योति जलाकर उसकी पूजा की जाती है. कलश स्थापना के बाद ही अन्य देवी-देवताओं का आह्वाहन किया जाता है. मान्यता है कि, जिस घर में घटस्थापना की जाती है उस घर में नौ दिन तक ताला नहीं लगाया जाता है.

इस चैत्र नवरात्रि पर माता रानी आपके सभी दुखों को हर लें और आपके घर ख़ुशियां ही ख़ुशियां आएं.