बॉलीवुड फ़िल्मों में आपने किसी मुस्लिम कैरेक्टर को ‘लाहौल विला कुव्वत’ कहते ज़रूर सुना होगा. आज भी मुस्लिम समुदाय में इसे काफ़ी इस्तेमाल किया जाता है. ‘लाहौल विला क़ुवत’ को हिंदी में अलग अलग ढंग से इस्तेमाल किया जाता है जैसे- लाहोल बिला कूवत, लाहौल बिला कूवत, लाहौल बिला कूबत और लाहौल विला क़ुव्वत. असल में ये उक्ति या वाक्यांश अधूरा है.

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अरबी भाषा में ये पूरा वाक्यांश कुछ इस तरह से है- ‘ला हौल वा ला क़ुव्वता इल्ला बी अल्लाह’. लेकिन हिन्दी के ठेठ देसीपन की वजह से ये ‘लाहौल विला क़ुव्वत’ हो जाता है और इसमें ‘इल्ला’ की जगह ‘बिल्ला’ हो जाता है. लोग भी इसे इसी तरीके से बोलते हैं, जो कि सरासर ग़लत है.

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‘लाहौल विला क़ुव्वत’ का मतलब

‘ला हौल वला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाह’ का अर्थ होता है ‘अल्लाह के सिवाय कोई शक्तिमान’ नहीं है. इसे आसान शब्दों में ऐसे भी कहा जा सकता है कि ‘कोई भी ग़लत काम करने से पहले कम से कम अल्लाह से तो डरिये’. इसमें हुई तो अल्लाह की तारीफ़ थी, मगर लोग इसे अलग-अलग तरीके से इस्तेमाल करने लगे हैं.

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दरअसल, ये अल्लाह की प्रशंसा में कही गई उक्ति है जिसका उल्लेख ‘हदीस’ में मिलता है. शरीयत के 4 प्रमुख स्रोतों में क़ुरान, हदीस, इज्मा और कियास आते हैं. शरीयत में ‘क़ुरान’ और ‘हदीस’ को ही सर्वोपरि माना गया है. ‘क़ुरान’ में पैगंबर साहब के वचनों का संग्रह है और इसे ही खुदाई माना जाता है, जबकि ‘हदीस’ में उनके हवाले से कही गई बातें लिखी गई हैं.

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बता दें कि ‘हदीस’ में पैग़म्बर साहब के हवाले से इस शानदार उक्ति का कई बार उल्लेख होता है जो उन्होंने ईश्वर की प्रशंसा में कही है. लेकिन आज के दौर में ‘लाहौल विला क़ुव्वत’ को कई तरीके से इस्तेमाल किया जाता है. मिसाल के तौर पर ‘मानो कोई काम बिगड़ जाए’, ‘अच्छी भली बात बिगड़ जाए’, ‘किसी की शान के ख़िलाफ़ हिमाक़त की जाए’, ‘कोई बेशर्मी की हदें पार कर दे’ वगैरह-वग़ैरह तो ‘लाहौल विला कुव्वत’ इस्तेमाल किया जाता है.

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कई बार तो लज़ीज़ पुलाव खाते वक़्त दांतों के बीच कंकर आ जाए तो भी ‘लाहौल विला क़ुव्वत’ का इस्तेमाल किया जाता है. आजकल छोटी-छोटी बातों पर भी लोग इसी उक्ति का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन ये इसका सही इस्तेमाल नहीं है.