प्राचीनकाल में दांतों को साफ़ रखने के लिए ‘चबाने वाली छड़ी’ यानी कि ‘दातुन’ का इस्तेमाल किया जाता था. इस दातुन से दांतों को टूथब्रश की तरह रगड़ा नहीं जाता था, बल्कि सिर्फ़ छड़ी को चबाया जाता था. इस तरह के टूथब्रश की शुरुआत 3000 ईसा पूर्व हुई थी.

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आज दुनिया भले ही दातुन से लेकर इलेक्ट्रिक टूथब्रश तक पहुंच गई हो, लेकिन चीन ने दुनिया को ये सौगात 600 साल पहले ही दे दी थी. 26 जून 1498 को पहली बार चीन के एक राजा ने टूथब्रश का पेटेंट कराया था. दुनिया का पहला टूथब्रश सूअर के बालों से बना था. 

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ब्रिसल वाले ये टूथब्रश वास्तव में कठोर होते थे. ये सूअर और हॉग की गर्दन के पीछे से लिए गए मोटे बाल हुआ करते थे. इन बालों को बांस की एक डंडी से बांधकर टूथब्रश बनाये जाते थे. बाद के वर्षों में ये टूथब्रश चीन से निकलकर यूरोप जा पहुंचा. इंग्लैंड ने 20वीं शताब्दी तक चीन से ये टूथब्रश खरीदे थे.

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आधुनिक युग के टूथब्रश का आविष्कार इंग्लैंड के एक कैदी विलियम एडीज ने साल 1780 में किया था. विलियम ने भी सुअर के बाल से ही टूथब्रश तैयार किया था. जेल से छूटने के बाद उसने ‘विस्डम टूथब्रश’ नाम से एक कंपनी की शुरुआत की. इस तरह से इंग्लैंड में भी बड़े पैमाने पर टूथब्रश का उत्पादन होने लगा. आज इस कंपनी में सालाना 7 करोड़ टूथब्रश बनते हैं.

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सन 1938 तक सूअर के बालों वाले ब्रिस्टल टूथब्रश का इस्तेमाल किया जाता था. इसके बाद 1950 के आसपास ड्यूपॉन्ट डी नेमोर्स द्वारा ‘नायलॉन ब्रिस्टल टूथब्रश’ पेश किए गए. दुनिया के पहले ‘नायलॉन टूथब्रश’ को वेस्ट का चमत्कार भी कहा जाता है. 7 नवंबर, 1857 को एच. एन. वाड्सवर्थ टूथब्रश का पेटेंट कराने वाले पहले अमेरिकी थे. अमेरिका में 1885 के आसपास बड़े पैमाने पर टूथब्रश का उत्पादन शुरू होने लगा.

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‘द्वितीय विश्व युद्ध’ के दौरान अमेरिकी सैनिकों की अनुशासित स्वच्छता की आदतों से प्रभावित होकर ‘नायलॉन टूथब्रश’ को भारी मात्रा में अपनाया जाने लगा. इसके बाद सन 1960 में अमेरिकी कंपनी ‘स्क्विब’ ने दुनिया का पहला इलेक्ट्रिक टूथब्रश बनाया था. इसे ‘ब्रोक्सोडेंट’ नाम से अमेरिकी बाज़ार में उतारा गया था.