हवाई-जहाज़ का बनना किसी बड़ी क्रांति से कम नहीं था. इसके आविष्कार ने कई घंटों का सफ़र मिनटों में बदल दिया. विश्व को जोड़ने के लिए इसने एक अहम भूमिका निभाई. भारत ने भी हवाई सेवा के ज़रिए विश्व में अपने पंख फैलाए, जिसे हम ‘एयर इंडिया’ के जरिए आसानी से समझ सकते हैं. भारत की पुरानी एयरलाइन ‘एयर इंडिया’ से इतिहास के कई दिलचस्प पन्ने जुड़े हैं. 

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वैसे क्या आपको पता है एयर इंडिया ने कब और कहां के लिए अपनी सबसे पहली अंतरराष्ट्रीय उड़ान भरी थी? नहीं पता, तो हम आपको बताते हैं अपने इस ख़ास लेख में. साथ ही इससे जुड़ी कई दिलचस्प बातों को भी आपको बताएंगे.  

‘एयर इंडिया’ की अंतरराष्ट्रीय उड़ान

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‘एयर इंडिया’ ने अपनी सबसे पहली अंतरराष्ट्रीय उड़ान 8 जून 1948 को भरी थी. इस विमान में 35 यात्री थे, जिनमें नवाब और महाराजाओं की संख्या ज्यादा थी. भले ही आज एक स्टॉप के साथ लगभग 12 घंटे में लंदन पहुंचा जा सकता है, लेकिन उन दौरान एयर इंडिया ने लंदन पहुंचने में दो दिन का वक्त लिया था. इस फ़्लाइट ने काहिरा और जेनेवा होते हुए लंदन में प्रवेश किया था. बता दें कि आज़ादी से पहले यह टाटा एयरलाइंस के नाम से जानी जाती थी. बाद में भारत सरकार ने इसे ले लिया था.   

  नवानगर के नवाब भी थे यात्रा में   

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कहा जाता है कि ‘एयर इंडिया’ की इस अंतरराष्ट्रीय उड़ान का आनंद लेने के लिए नवानगर के नवाब जाम साहिब भारी भरकम सामान के साथ हवाईअड्डे पहुंचे थे. जाम साहिब यूरोप की यात्रा पर निकले थे और उन्हें विश्वास था कि यह यात्रा यादगार रहेगी. वो अपना सामान अपनी लिमोजिन में लेकर आए थे.   

हवाईअड्डे पर जमी थी भीड़   

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इतिहास रचने जा रही ‘एयर इंडिया’ को कवर करने के लिए कई पत्रकार और फ़ोटोग्राफ़र हवाईअड्डे पर मौजूद थे, जो जाने वाले यात्रियों से सवाल पूछ रहे थे और उनकी तस्वीरें खींच रहे थे. वो मंज़र देखने लायक़ था.  

मालाबार प्रिंसेस    

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जिस विमान के साथ यह इतिहास रचने जा रहा था, उसका नाम था मालाबार प्रिंसेस. यह Lockheed L-749 Constellation विमान था, जिसमें 40 सीटें थीं. इस ऐतिहासिक उड़ान की जिम्मेदारी विमान के कप्तान केआर गुजदार के कंधों पर थी. उन्हें 5000 मील का सफ़र तय करना था. इस विमान में 35 यात्री थे, जिनमें से 29 लंदन जा रहे थे, जबकि 6 को जेनेवा उतरना था.   

की गई थी काफ़ी तैयारियां   

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अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय उड़ान के लिए एयर इंडिया नें काफ़ी तैयारियां की थीं. अच्छे क्रू मेंबर्स का चुनाव किया गया और स्टाफ को बढ़ाया गया. साथ ही लंदन, काहिरा और जेनेवा में अपना दफ़्तर खोला. वहीं, इस उड़ान के लिए महीनों तक प्लानिंग की गई थी.    

लंदन तक का किराया   

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उड़ाने से पहले 3 जून 1948 को Times of India में एक बड़ा विज्ञापन प्रकाशित किया गया. इस विज्ञापन में यात्रियों का स्वागत किया गया था. वहीं, जानकारी के लिए बता दें कि इस पहली अंतरराष्ट्रीय उड़ान का किराया था 1720 रुपए.   

खानपान की अच्छी व्यवस्था   

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इस विमान में यात्रियों के खानपान की भी अच्छी व्यवस्था थी. मुख्य खाने के साथ-साथ स्नैक्स व स्वादिष्ट मिष्ठान भी यात्रियों को दिए गए थे.   

एयर होस्टेस की ड्रेस   

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इस विमान की एयर होस्टेस नीले कोट, आसमानी रंग की स्कर्ट और शार्ट स्लीव ब्लाउज में थीं. ये एयर होस्टेस बहुत ही ख़ूबसूरत नज़र आ रही थीं. बता दें कि इस ड्रेस को 1960 तक ‘एयर इंडिया’ ने रखा, फिर इसके बाद से ‘एयर इंडिया’ की एयर होस्टेस साड़ी में नज़र आने लगीं.   

‘टाटा’ भी बने इस ऐतिहासिक दिन के गवाह   

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इस ऐतिहासिक दिन के गवाह मिस्टर जेआरडी टाटा भी बने, जो उस वक़्त ‘एयर इंडिया’ के चेयरमैन थे. वहीं, इस विमान में महाराजा दलीप सिंह भी थे, जो टेस्ट मैच देखने लंदन जा रहे थे.   

सफलतापूर्वक पहुंचा लंदन   

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मालाबार प्रिंसेस सफलतापूर्वक 10 जून 1948 को लंदन पहुंचा. इस लैंडिंग ने इस दिन को ऐतिहासिक और यादगार बना दिया. यात्रियों के स्वागत के लिए तत्कालीन भारतीय उच्चायुक्त कृष्ण मेनन वहां मौजूद थे.