आगरा शहर में बहुत सी ऐसी ऐतिहासिक जगहें हैं जिनके बारे में हम सुनते-पढ़ते आये हैं. हांलाकि, कई जगहें अभी भी ऐसी हैं, जिनका रोचक इतिहास कम ही लोगों को पता है. इन्हीं ऐतिहासिक जगहों में से एक ‘गुरुद्वारा गुरु का ताल’ भी है.

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‘गुरुद्वारा गुरु का ताल’ शहर के पुराने धार्मिक स्थलों में से एक है, जिसकी लोगों के बीच काफ़ी मान्यता है. कहते हैं कि गुरुद्वारे का निर्माण 1970 में संत बाबा साधू सिंह जी मुनी के नेतृत्व में किया गया था. यही वो जगह हैं, जहां सिख समुदाय के 9वें गुरु, गुरु तेग़ बहादुर को 9 दिनों तक बंदी बना कर रखा गया था. इस बात का सबूत वहां जल रही है अंखड ज्योति है.

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क्या है इसका रोचक इतिहास? 

अगर आप यहां जायेंगे, तो पायेंगे कि गुरुद्वारे में एक तालाब है. इसी तालाब में गुरु तेग़ बहादुर साहब ने अपनी बाजुओं को रख, ख़ुद को औरंगजेब की सेना को दे दिया था. इस बात का महत्व सिख समुदाय से बेहतर कौन समझ सकता है. गुरु तेग़ बहादुर की याद में बनाया गया गुरुद्वारा लाल पत्थर से निर्मित है, जिसकी बनावट मुग़ल वास्तुशिल्प शैली से प्रेरित है.

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इसलिये गुरुद्वारा की बनावट फ़तेहपुर सिकरी और आगरा क़िले सी दिखती है. गुरुद्वारे को लेकर ये भी कहा जाता है कि यहां एक ऐसी शक्ति है, जिससे हर किसी की मनोकामना पूरी होती है. इसी विश्वास के कारण यहां आने वाले श्रद्धालाओं का तांता लगा रहता है. जो भी यहां सच्चे मन से आता है, उसकी कामना ज़रूर पूरी होती है.

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गुरु तेग़ बहादुर को लेकर कहा जाता है कि, उन्होंने औरंगजेब के शासन में मुस्लिम धर्म न अपनाकर ख़ुद की जान का बलिदान दे दिया था. गुरु तेग़ बहादुर साहब का बलिदान हमें सदा याद रहेगा और अगर आपकी बार आप आगरा जायें, तो एक बार गुरुद्वारे ज़रूर जाइयेगा. यकीन मानिये दिल से अच्छा लगेगा.