भारत के पहाड़ी इलाक़े ख़ासकर हिमालयी क्षेत्र अपनी आकर्षक प्राकृतिक ख़ूबसूरती के साथ-साथ अपने कई रहस्यों के लिए भी जाने जाते हैं. यही वजह है कि यहां घूमने और शोध के लिए देश-विदेश से लोगों का आना-जाना लगा रहता है. इसी क्रम में हम आपको हिमाचल प्रदेश के एक ऐसे रहस्यमयी कुंड के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां बर्फ़ीले दिनों में भी पानी खौलता रहता है. आइये, जानते हैं इस कुंड की से जुड़ी कहानी.   

गुरुद्वारा मणिकर्ण साहिब   

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यह रहस्ययमी कुंड मौजूद है गुरुद्वारा मणिकर्ण साहिब में, जो हिमाचल प्रदेश के कुल्लू ज़िले में पार्वती नदी के पार्वती घाट पर स्थित है. जानकारी के अनुसार, यह 1760 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और कुल्लू मुख्य शहर से यहां तक की दूरी 35 किमी बताई जाती है.   

जुड़ी है पौराणिक कथा

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गुरुद्वारे के मणिकर्ण नाम के पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी है. मान्यता है कि इस धार्मिक स्थल पर भगवान शिव और माता पार्वती ने 11 हज़ार वर्षों तक तपस्या की थी. वहीं, जलक्रीड़ा के दौरान माता पार्वती के कानों की बाली में से एक मणि पानी में गिर गई थी.  

शेषनाग की फुंकार

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भगवान शिव ने शिष्यों को मणि ढूंढ़ने का आदेश दिया, लेकिन शिष्य नाकामयाब रहे. इस बात पर भगवान शिव क्रोधित हुए और उनकी तीसरी आंख खुली. तीसरी आंख खुलते ही वहां नैना देवी शक्ति प्रकट हुई, जिन्होंने बताया कि मणि पाताल लोक में शेषनाग के पास है. इसके बात सभी देवता शेषनाग से वो मणि लेकर आ गए. लेकिन, इस बात पर शेषनाग बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने ज़ोर से ऐसी एक फुंकार भरी कि गर्म पानी की एक धारा वहां से फूट पड़ी.   

गुरु नानक का आगमन   

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ऐसा माना जाता है कि इस पौराणिक स्थल पर एक बार गुरु नानक अपने पांच शिष्यों के साथ पधारे थे. उन्होंने लंगर के लिए अपने एक शिष्य भाई मर्दाना को दाल और आटा मांग कर लाने को कहा. साथ ही ही एक पत्थर भी लाने के कहा. कहते हैं कि जैसे ही भाई मर्दाना ने पत्थर उठाया वहां से गर्म पानी की धार निकलने लगी. कहते हैं कि उस दिन से लेकर गर्म पानी की धार निरंतर बह रही है और वहां एक कुंड का निर्माण भी हो गया है.  

होती है मोक्ष की प्राप्ति 

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यह स्थल सिखों के साथ-साथ हिंदुओं के लिए भी एक धार्मिक स्थल बन चुका है. यहां श्रद्धालुओं का आवागमन लगा रहता है. वहीं, गुरुद्वारे के लंगर के लिए इस गर्म पानी का इस्तेमाल चावल व चने उबालने के लिए किया जाता है. साथ ही ऐसा माना जाता है कि इस पानी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.   

रहने के लिए धर्मशाला   

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यहां श्रद्धालुओं के लिए मुफ़्त धर्मशाला भी है. यहां आने वाले श्रद्धालु, चाहे वो हिंदू हों या सिख इसमें रह सकते हैं. यहां दोनों धर्म के लोगों को कोई आपत्ति नहीं होती. यहां हिंदू श्रद्धालु शिव मंदिर की परिक्रमा लगाते हैं और पवित्र कुंड में स्नान करते हैं.