Independence Day Celebrations: भारत इस साल आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है. इस ख़ास मौके पर देश ‘अमृत महोत्सव’ के जश्न के लिए तैयारियों में जुटा हुआ है. 75वीं वर्षगांठ के मौके पर ‘हर घर तिरंगा अभियान’ के ज़रिये भी आज़ादी का उत्सव मनाया जा रहा है. लेकिन देश का एक राज्य ऐसा भी है जो दो दिन अपना ‘आज़ादी दिवस’ मनाता है. दरअसल, आज़ाद भारत का राज्य गोवा 15 अगस्त के साथ-साथ 19 दिसंबर को भी अपना ‘स्वतंत्रता दिवस’ मनाता है. इस लिस्ट में गोवा के अलावा भारत के 3 अन्य शहर (राज्य) भी शामिल हैं, जहां देश की आज़ादी के बाद भी ‘स्वतंत्रता दिवस’ नहीं मनाया जाता था.

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चलिए जानते हैं आख़िर गोवा समेत इन राज्यों में 15 अगस्त के दिन स्वतंत्रता दिवस क्यों नहीं मनाया जाता था?  

1- गोवा

भारत 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेज़ों की हुकूमत से पूर्ण रूप से आज़ाद हो गया था, लेकिन गोवा (Goa) एक ऐसा राज्य था जिसे 14 साल बाद 19 दिसंबर, 1961 को आज़ादी मिली थी. 15 सालों तक ये पुर्तगालियों के अधीन रहा था. बता दें कि गोवा पर पुर्तगालियों ने क़रीब 450 सालों तक राज किया था. साल 1510 में पहली बार अलफांसो-द-अल्बुकर्क के नेतृत्व में पुर्तगालियों ने गोवा पर हमला किया था, जिसके बाद से ही गोवा पुर्तगालियों के कब्ज़े में आ गया था. भारत सरकार ने कई बार गोवा को पुर्तगालियों से मुक्त कराने के प्रयास किए, लेकिन पुर्तगालियों ने गोवा छोड़ने से मना कर दिया.

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दरअसल, 20वीं सदी में गोवा मसालों के व्यापार का प्रमुख राज्य माना जाता था. मसालों के कारोबार से पुर्तगालियों को काफ़ी मुनाफा भी होता था. इसलिए वो गोवा अपने अधीन रखना चाहते थे. लेकिन भारत ने गोवा को पुर्तगालियों से आज़ाद के प्रयास लगातार जारी रखे. इस दौरान पुर्तगाली सरकार के साथ भारत सरकार के कई हर प्रयास फेल भी रहे. इसके बाद थक हारकर भारत ने गोवा को आज़ाद कराने के लिए पुर्तगालियों पर न केवल हवाई हमले किये, बल्कि थल सेना से भी अटैक कर दिया. आख़िरकार 19 दिसंबर, 1961 में ‘गोवा’ पुर्तगालियों के कब्ज़े से आज़ाद हो गया.  

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2- हैदराबाद 

ब्रिटिश शासन के दौरान हैदराबाद पर निज़ामों का शासन हुआ करता था. निज़ाम तब देश के सबसे अमीर लोग माने जाते थे. भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय हैदराबाद के निज़ाम ने दोनों देशों की ‘संविधान सभा’ में भाग लेने से इंकार कर दिया था. कई प्रयासों के बावजूद हैदराबाद के निज़ामों ने भारत में शामिल होने से इंकार कर दिया, जबकि वहां के लोग भारत के साथ जाना चाहते थे.आख़िरकार भारत को हैदराबाद पर पुलिस कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा और 13 सितंबर 1948 को ‘ऑपरेशन पोलो’ चलाकर हैदराबाद पर आक्रमण बोल दिया. इस तरह से भारत की आज़ादी के 1 बाद भी हैदराबाद एक स्वतंत्र राज्य रहा था.  

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3- सिक्किम 

भारत की आज़ादी के समय सिक्किम पर ‘चोग्याल वंश’ का शासन था. सिक्किम तब भारत का संरक्षित राज्य हुआ करता था. मतलब भारत इसकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी लेता था, लेकिन 1975 में वहां की राजनीतिक स्थिति बिगड़ गई और राजा ने मनमाने ढंग से शासन करना शुरू कर दिया. इसके जवाब में वहां के प्रधानमंत्री के आह्वान पर भारतीय सेना ने अप्रैल 1975 में राजा की सेना को बंधक बना लिया. इसके बाद एक जनमत संग्रह हुआ, जिसमें अधिकांश लोगों ने राजशाही को खत्म करने और भारत के साथ एकजुट होने के लिए मतदान किया. आख़िरकार ‘सिक्किम’ 16 मई, 1975 को भारत का हिस्सा बन गया. 

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4- भोपाल

ब्रिटिशकाल से पहले से ही भोपाल में भी राजतंत्र था. भारत की आज़ादी के समय नवाब हमीदुल्लाह ख़ान भोपाल के नवाब हुआ करते थे. जब देश आज़ाद हो रहा था तब नवाब हमीदुल्लाह ख़ान को मजबूरन भोपाल के विलय के साधन पर हस्ताक्षर करने पड़े थे. इसके बाद वो पाकिस्तान चले गए. हालांकि, हमीदुल्लाह ख़ान की मुहम्मद अली जिन्ना से निकटता और चैंबर ऑफ़ प्रिंसेस में उनके प्रभाव के कारण आख़िरकार 1 मई, 1949 को भोपाल भारत का हिस्सा बन गया. भोपाल ने भी क़रीब 2 साल तक ‘स्वतंत्रता दिवस’ नहीं मनाया.

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