भारत ने 1960 के दशक में एशिया का पहला लड़ाकू विमान बनाया था. इसका नाम था ‘HF24 Marut’ था. ये एशिया महाद्वीप मे बना पहला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान था. इस विमान को ‘Hindustan Aeronautics Limited’ ने बनाया था. इसका डिज़ाइन जर्मन ऐरोनॉटिकल इंजिनियर Kurt Tank ने बनाया था. Kurt Tank वही शख़्स थे जिन्होंने जर्मन लडाकू विमान ‘FW190’ को डिज़ाइन किया था जो ‘द्वितीय विश्वयुद्ध’ के सबसे सफ़ल लडाकू विमानों मे से एक था.

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सन 1960 के दशक में ‘Hindustan Aeronautics Limited’ भारतीय वायुसेना के लिए हल्के ट्रेनर विमान बनाती थी. इस दौरान भारत सरकार ‘इंडियन एयरफ़ोर्स’ के लिए एक स्वदेशी लडाकू विमान चाहती थी जो Mach 2 तक की स्पीड तक उडान भरने मे सक्षम हो, लेकिन ‘हिन्दुस्तान एअरक्राफ़्ट’ के पास ना तो उस समय इसे बनाने का अनुभव था और ना ही तकनिक.

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सन 1960 के दशक में सुपरसोनिक लडाकू विमान बनाने की तकनिक विश्व में केवल 4 देशों अमेरिका, ब्रिटेन, फ़्रांस और सोवियत संघ के पास ही थी. ऐसे में भारत के लिए बिना पश्चिम की मदद के विमान बनाना संभव नहीं था. भारत और जर्मनी के अच्छे राजनैतिक रिश्तों के चलते सन 1956 में तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू (Jawahar Lal Nehru) के कहने पर Kurt Tank अपनी टीम के साथ भारत आए और ‘हिंदुस्तान एअरक्राफ़्ट लिमिटेड के साथ मिलकर काम शुरू कर दिया.

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आज़ाद भारत के पहले ‘HF24’ विमान ने सन 1961 में उडान भरी थी. इसके बाद सन 1967 में इसे भारतीय वायुसेना मे शामिल किया गया. ये विमान 1800 किग्रा. तक के हथियार ले जाने मे सक्षम था. इस दौरान कुल 147 विमान बनाए गए थे. इन फ़ाइटर विमानों ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भाग लिया था. 

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ये लड़ाकू विमान उस दौर के हिसाब से अच्छे तो थे, लेकिन इसमें सबसे बड़ी समस्या इसके इंजन को लेकर थी. इस दौरान भारत के पास ‘जेट इंजन’ बनाने की तकनीक नहीं थी इसलिए भारत को ब्रिटेन से इंजन आयात करने पड़े थे. ब्रिटेन उस समय जगुआर पर काम कर रहा था और उसने देखा कि भारत का ‘HF24 मारुत’ जगुआर से ज़्यादा पावरफुल है तो ब्रिटेन ने इंजन देने से मना कर दिया. इसके बाद भारत ने अमेरिका व रुस से भी इंजन लेने का प्रयास किया लेकिन बात नहीं बनी. 

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सन 1971 के ‘परमाणु परीक्षण’ के बाद भारत पर प्रतिबंध लगा दिया गया. सन 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में राजनीतिक उठा-पटक में ये प्रोजेक्ट कही खो सा गया. इसके बाद भारत के Gas Turbine Research Establishment (GTRE) ने इंजन बनाने का प्रयास किया पर उसे भी सफ़लता नहीं मिली. इस दौरान रक्षा मंत्रालय ने भी इसमें रुचि नहीं दिखाई और ये प्रोजेक्ट राजनीतिक उदासीनता और विदेशी कंपनियों की लॉबिंग की भेट चढ गया. 

चलिए आप भी भारत के पहले फ़ाइटर जेट ‘HF24 मारुत’ को इन पुरानी तस्वीरों के ज़रिए देख लीजिए-

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