भारत को विविधताओं का देश कहा जाता है. खान-पान से लेकर यहां पहनने-ओढ़ने तक में विविधता दिख जाएगी. वहीं, अगर हम भाषाओं की बात करें, तो यह देश इसमें भी धनी है. Censusindia की वेबसाइट के अनुसार, भारत में कुल 121 भाषाएं और 270 बोलियां बोली जाती हैं. है न कमला की बात! वहीं, वैश्वीकरण के दौर में कई भारतीय भाषाओं को भारत के अलावा अन्य देशों में भी बोला जाता है. आइये, इसी क्रम में हम आपको बताते हैं भारत की उस प्राचीन भाषा के बारे में जिसे सात देशों में बोला जाता है.    

विश्व की प्राचीन भाषाओं में से एक   

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दक्षिण भारत में बोली जाने वाली तमिल भाषा को न सिर्फ़ भारत बल्कि विश्व की प्राचीन भाषाओं में से एक माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि यह प्राचीन भाषा 5000 साल पहले भी अस्तित्व में थी, यानी इसे उस समय भी लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जाता था.   

तमिल भाषा से जुड़े शिलालेख   

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वहीं, तमिल भाषा से जुड़े जो शिलालेख प्राप्त हुए हैं उनसे पता चलता है कि यह तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व की भाषा हो सकती है यानी यह एक प्राचीन जीवंत भाषा है, जिसका अस्तित्व आज भी जारी है, जबकि कई प्राचीन भाषाओ का अस्तित्व समय के साथ अस्तित्व ख़त्म हो गया.   

एक लोकप्रिय भाषा   

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भारत के तमिलनाडु राज्य की यह ऑफ़िशियल भाषा है. वहीं, यह विश्व के कई देशों में भी बोली जाती है, जिनमें श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर, मॉरीशस, रियूनियन और वियतनाम शामिल हैं. वहीं, जानकर आश्चर्य होगा सिंगापुर और श्रीलंका में तमिल को आधिकारिक भाषा का दर्जा मिला हुआ है. इसके अलावा, मिस्र में भी तमिल बोलने वाले कई लोग दिख जाएंगे.  

बोलने वालों की संख्या  

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एक अनुमान के तौर पर तमिल को पहली भाषा के रूप में 6 करोड़ 80 लोग इस्तेमाल करते हैं. वहीं, 90 लाख से अधिक लोग इसे दूसरी भाषा के रूप में प्रयोग में लाते हैं.   

कई अख़बारों की भाषा   

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तमिल का प्रभाव इस तथ्य से भी लगाया जा सकता है कि तमिल भाषा में कई अख़बार और पत्रिकाएं भी निकलती हैं. इसके अलावा तमिल भाषा के कई न्यूज़ चैनल्स भी हैं. 

संस्कृत भी है प्राचीन भाषा   

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सिर्फ़ तमिल ही नहीं संस्कृत को भी विश्व की सबसे प्राचीन भाषाओं में गिना जाता है. हालांकि,  संस्कृत ज़्यादा पुरानी है या तमिल, इस विषय को लेकर अभी भी बहस जारी है. वहीं, कुछ लोग ऐसी भी हैं जो इन दोनों भाषाओं को समकालीन बताते हैं. वैसे बता दें कि संस्कृत लुप्त होती नज़र आ रही है. एक अनुमान के अनुसार इस भाषा को बोलने वालों की संख्या अब 14135 रह गई है.