कुरुक्षेत्र वो कर्मभूमि जहां महाभारत का भीषण युद्ध लड़ा गया था. भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश भी कुरुक्षेत्र में ही दिया था. महाभारत ख़त्म हो गई, लेकिन इसका ज़िक्र आज भी होता रहता है. धर्म और अधर्म की लड़ाई के कई क़िस्से आज भी रहस्य बने हुए हैं. जैसे भगवान कृष्ण ने महाभारत के युद्ध के लिए कुरुक्षेत्र को ही क्यों चुना? आखिर धरती पर बहुत सी जगहें थीं जहां आसानी से युद्ध किया जा सकता था, लेकिन फिर भी कुरुक्षेत्र ही क्यों?

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चलिये आज महाभारत से जुड़े इस रहस्य से भी पर्दा उठाते हैं. जानते हैं कि आखिर क्यों कुरुक्षेत्र की धरती पर ही महाभारत का युद्ध लड़ा गया था? 

कुरुक्षेत्र का रहस्य? 

हम सब जानते हैं महाभारत में कौरवों और पांडवों के बीच हुए युद्ध में लाखों-करोड़ों योद्धा मारे गये थे. इस युद्ध के लिये भूमि ढूंढने का ज़िम्मा भगवान श्रीकृष्ण पर था. कौरवों और पांडवों के बीच होने वाले युद्ध के लिये कृष्ण जी को एक ऐसी ज़मीन चाहिये थी, जिसका इतिहास काफ़ी भयानक रहा हो. वो जानते थे कि ये युद्ध भाइयों और घनिष्ठ लोगों के बीच होने वाला था. रणभूमि में अपनों को मरते देख योद्धाओं के मन में समझौते की भावना पैदा हो सकती थी. इसलिये वो एक ऐसी रणभूमि चाहते थे, जिसका इतिहास क्रोध और द्वेष से भरा हो. 

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ऐसी ज़मीन खोजने के लिये भगवान कृष्ण ने चारों दिशाओं में अपने दूत फैला दिये. इस दौरान एक दूत भगवान के पास कुरुक्षेत्र की जानकारी लेकर पहुंचा. दूत ने बताया इस स्थान पर बड़े ने अपने छोटे भाई को खेत की मेंढ़ से बहते पानी को रोकने का आदेश दिया. वहीं छोटे भाई ने अपने भाई की बात मानने से इंकार कर दिया. छोटे भाई को बात न मानते हुए देख बड़ा भाई क्रोधित हुआ और उसने छूरा लेकर अपने ही भाई की हत्या कर दी. यही नहीं, उसने अपने ही भाई की लाश को मेंढ़ के पास लगा कर पानी रोक दिया.  

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दूत की बात सुनने के बाद भगवान ने निश्चित कर लिया कि भाई-भाई के युद्ध के लिये इससे उपयुक्त स्थान हो नहीं सकता. बस इसलिये महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में लड़ा गया.