Janmashtami 2022: भगवान श्रीकृष्ण (Shri Krishna) का जन्म मथुरा में वासुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से हुआ था. श्रीकृष्ण, विष्णु के नौवें अवतार माने जाते हैं, जो धरती को कंस के अत्याचारों से मुक्त कराने आए थे. चूंकि कंस अपनी काल भविष्यवाणी के चलते देवकी के सभी बच्चों को मार देता था, इसलिए श्रीकृष्ण को वासुदेव यमुना पार नंद के यहां गोकुल में छोड़ आए. यहां उनका लालन-पालन मां यशोदा ने किया. उन्होंने अपना बचपन वृंदावन के पास बिताया और गोकुल में ही रहे.

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श्रीकृष्ण का बचपन गोकुल में ही बीता, फिर वो द्वारका चले गए. ख़ैर, भगवान कृष्ण के जन्म से जुड़ी कहानी तो आप सब जानते हैं. ये भी जानते हैं कि कैसे उन्होंने कंंस का वध किया और महाभारत में पांडवों को जीत दिलाई. भगवत गीता में दिये उनके ज्ञान का तो कोई मुक़ाबला ही नहीं है.

Janmashtami 2022: मगर क्या आप जानते हैं कि भगवान कृष्ण की मृत्यु कहां और कैसे हुई थी?

कहते हैं एक बार कृष्ण बरगद के पेड़ के नीचे आराम कर रहे थे. उस वक़्त जरा नामक एक शिकारी ने श्रीकृष्ण को मृग समझकर बाण चला दिया. ये ज़हरयुक्त तीर उनके तलुवों में लगा. ये जगह ‘भालका तीर्थ’ (Bhalka Teerth) थी, जो सौराष्ट्र में मौजूद द्वादश लिंगों में से एक सोमनाथ मंदिर से महज़ 5 किमी. दूरी पर है.

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कहा जाता है कि बाण लगने से घायल भगवान कृष्ण भालका से थोड़ी दूर पर स्थित हिरण नदी के किनारे पहुंचे. हिरण नदी सोमनाथ से महज़ डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर है. मान्यता है कि उसी जगह पर भगवान पंचतत्व में ही विलीन हो गए. इस जगह को ‘देहोत्सर्ग तीर्थ’ (Dehotsarg) के नाम से जाना जाता है.

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भले ही भालका तीर्थ श्रीकृष्ण के अंतिम दिनों का गवाह हो, मगर भक्तों के लिए ये पवित्र स्थल है. यहां मंदिर में बनी भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा उनके आखिरी वक्त को बयां करती है. जिस बहेलिये के तीर ने भगवान श्रीकृष्ण को मारा था, उसकी क्षमा मांगते हुए प्रतिमा भी उनके सामने ही हाथ जोड़े स्थापित है, जो कृष्ण पर बाण चलाकर पछता रहा था.आज भी हज़ारों की संख्या में कृष्ण भक्त हर रोज़ यहां आते हैं और ये मान्यता है कि सच्चे मन से मांगी गई कोई भी मुराद यहां कभी अनसुनी नहीं रहती.