Lakshman Rekha according to the Ramayana: आप सभी ने रामायण में लक्ष्मण रेखा के बारे में तो सुना होगा. वही रेखा, जिसे भगवान श्रीराम के भाई लक्ष्मण ने मां सीता को सुरक्षित रखने के लिए खींचा था. मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि ना तो वाल्मीकि रामायण में और ना ही तुलसीदास जी की रामचरितमानस में लक्ष्मण रेखा का ज़िक्र है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ये रेखा वास्तविक नहीं थी और क्यों फिर इसकी चर्चा हर तरफ़ होती है. (Laxman Rekha For Sita)

आइए आज आपको लक्ष्मण रेखा का सच बताते हैं. (Ramayana Story)

Lakshman Rekha according to the Ramayana

क्या है लक्ष्मण रेखा की कहानी

कहते हैं कि.एक सुनहरा हिरण कुटिया के सामने आता है. सीता जी के कहने पर भगवान राम उसको पकड़ने निकल जाते हैं. मगर असल में वो कोई सुनहरा हिरण नहीं था, बल्क़ि मारीच नाम का राक्षस था.

जब राम जी बहुत देर तक नहीं आते तो मां सीता परेशान हो जाती हैं. वो लक्ष्मण से उन्हें देख कर आने को बोलती हैं. मगर लक्ष्मण, मां सीता को अकेले छोड़ कर नहीं जाना चाहते. मजबूरी में उन्हें जाना पड़ता है तो वो कुटिया के बार एक रेखा खींच देते हैं. ये एक ऐसी रेखा थी जो ऐसी ताकत से लैस थी कि जो भी इसे पार करता, वो जलकर भस्म हो जाता.

रामायण और रामचरित मानस में नहीं है ज़िक्र

वाल्मीकि की रामायण में लक्ष्मण रेखा को बिल्कुल भी ज़िक्र नहीं हुआ है. इसमें सिर्फ़ इतना कहा गया कि सीता के नाराज़ होने पर जब लक्ष्मण बड़े भाई की तलाश में निकल गए. वाल्मीकि रामायण कहीं नहीं लिखती कि लक्ष्मण ने जाते हुए कोई रक्षा रेखा खींची.

वहीं, रामचरितमानस में भी इसका सीधा उल्लेख नहीं है, बल्क़ि लंका कांड में इसका ज़िक्र रावण की पत्नी मंदोदरी द्वारा किया गया है.

फिर क्या है लक्ष्मण रेखा का सच

शास्त्रों के मुताबिक, लक्ष्मण को ऐसी रेखा बनाना आता था. ये एक अभिमंत्रित रेखा थी. इसका असली नाम ‘सोमतिती विद्या’ है. माना जाता है कि ये वेदमंत्र एक कोड है, जो सोमना कृतिक यंत्र से जुड़ा है. कहते हैं कि पृथ्वी और बृहस्पति के बीत कहीं अंतरिक्ष में वो केंद्र है, जहां यंत्र को स्थित किया जाता है.

वो यंत्र जल, वायु और अग्नि के परमाणुओं को अपने अंदर सोखता है. कोड को उल्टा कर देने पर एक विशेष प्रकार से अग्नि और विद्युत के परमाणुओं को वापस बाहर की ओर धकेलता है. तब लेज़र बीम जैसी किरणें उस रेखा से निकलने लगती हैं.

माना जाता है कि लक्ष्मण इस विद्या में इतना माहिर हो गए थे कि बाद में ये रेखा लक्ष्मण रेखा के नाम से मशहूर हुई.

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