Why Shakuni Want To Destroy Kuru Vansh: महाभारत (Mahabharat) के बारे सब जानते हैं. जिन्होंने पढ़ी नहीं है, उन्होंने भी टीवी शो के ज़रिए इसे देखा है. अगर आपने भी टीवी पर महाभारत देखी है तो शकुनी मामा (Shakuni Mama) याद ही होंगे. ये क़िरदार गूफ़ी पेंटल (Gufi Paintal) ने निभाया था. शकुनी को ही महाभारत के महायुद्ध का विलेन और ज़िम्मेदार माना जाता है. शकुनि जानते थे कि महाभारत युद्ध में कौरव कभी भी पांडवों से जीत नहीं सकते, उसके बाद भी अपनी बहन के खानदान का सर्वनाश करवा दिया. (Who Kill Shakuni In Mahabharat)
दरअसल, शकुनी का असली मक़सद ही यही था. वो शुरू से ही कुरु वंश का नाश चाहते थे. मगर शकुनी ने क्यों अपनी ही बहन का परिवार ख़त्म करवा दिया, आज हम आपको इसी सवाल का जवाब देंगे.
गांधार के राजकुमार थे शकुनी
शकुनी, गांधारी का भाई था. धृतराष्ट्र उसके जीजा थे. ख़ुद वो गांधार नरेश सुबलराज का बेटा था. जब गांधारी की शादी धृतराष्ट्र से हुई तो शकुनी भी साथ में आ गया. चालाक तो वो शुरू से ही था और भांजे दुर्योधन को अपने जाल में पूरी तरह फांस रखा था. दुर्योधन भी अपनी मामा की कपटी बातों में ऐसा उलझा कि उन्हें मंत्री बना बैठा.
शकुनी ने पांडवों को तबाह करने के लिए कई चालें चलीं. जुंआ खेलने में एक्सपर्ट था तो उसने पांडवों के ख़िलाफ़ इसका ख़ूब इस्तेमाल किया. शकुनी युधिष्ठिर को खूब उकसाता था. ताकि वो सब कुछ अपना दांव पर लगा दे. ऐसा ही हुआ भी. पांडव अपना सबकुछ हार गए. पत्नी द्रौपदी को भी.
द्रौपदी का चीरहरण भी शकुनी के उकसावे में ही हुआ. वनवास काट कर लौटे पांडवों को पांच गांव देने के निर्णय में शकुनि अड़ंगा बना, यहां तक कि उसने शांतिदूत बनकर आए कृष्ण को भी बैरंग लौटने के दुर्योधन के फैसले को प्रभावित किया. शकुनी ने वो सब कुछ किया, जिससे पांडव और कौरवों के बीच युद्ध हो जाए.
धृतराष्ट्र से बदला लेना चाहता था
शकुनी ने अपनी सारी चालें पांडवों के ख़िलाफ़ ज़रूर चलीं, मगर उसका मक़सद कुरु वंश का नाश करना था. दरअसल, शकुनी को अपनी बहन गांधारी का विवाह नेत्रहीन राजा धृतराष्ट्र से होना कतई पसंद नहीं आया. क्योंकि, ये विवाह बल से हुआ था. गांधार नरेश सुबलराज मजबूरी में राजनीतिक उद्देश्य के लिए धृतराष्ट्र से अपनी बेटी गांधारी की शादी की थी. लेकिन इस बेमेल विवाह को शकुनि ने कभी पसंद नहीं किया.
वहीं, दूसरी वजह बना था शकुनी के पूरी परिवार का अंत, जो धृतराष्ट्र के ग़ुस्से की वजह से हुआ. दरअसल, गांधारी धृतराष्ट्र से शादी करने से पहले एक बकरे की विधवा थीं. किसी प्रकोप से मुक्ति के लिए ज्योतिषियों ने गांधारी का विवाह एक बकरे से करवाया था और फिर उस बकरे की बलि दे दी गई और उसके बाद धृतराष्ट्र से विवाह हुआ.
ये जानकारी जब धृतराष्ट्र को हुई तो उन्होंने गांधार राज्य पर हमला कर दिया. शकुनि समेत उनके पिता और सारे भाइयों को जेल में डाल दिया. जेल में ही सारा परिवार ख़त्म हो गया. सिर्फ़ राजा सुबलराज की विनती पर शकुनी को छोड़ा गया. हालांकि, इसके पहले शकुनी का पैर उसके परिवार वालों ने ही तोड़ दिया. ताकि राजमहल की चकाचौंध में शकुनि अपना प्रतिशोध ना भूल जाए.
आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस पासे का शकुनी ने पांडवों को हराने के लिए इस्तेमाल किया, वो उसके पिता की रीढ़ की हड्डी से ही बना था. उसके पिता ने ही उसे ऐसा करने के लिए कहा था. राजा सुबल ने कहा था कि ये पासे हमेशा तुम्हारी आज्ञा मानेंगे और कोई तुमको हरा नहीं सकेगा. साथ ही इन्हीं पासों से धृतराष्ट्र के वंश का अंत हो जाएगा.
कौरवों के साथ ख़ुुद भी ख़त्म हो गया शकुनी
शकुनी कुरु वंश को तो नहीं ख़त्म कर पाया, मगर उसने कौरवों को ज़रूर मरवा दिया. साथ ही, ख़ुद भी मारा गया. महाभारत युद्ध के 18वें दिन कौरवों की सेना को बहुत नुकसान हुआ. ऐसा लग रहा था कि अब कौरवों की हार तय थी. जब शकुनि और उसका पुत्र उलूक, सहदेव की ओर दौड़े तो सहदेव के भाले से उलूक का सिर खंडित हो गया. उलूक तुरंह मर गया.
बेटे की मौत का आघात झेलने के बाद शकुनी तेज़ी से लड़ने लगा. युद्ध लड़ते-लड़ते आख़िरकार शकुनी भी सहदेव के हाथों मारा गया.
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