“गा़लिब” बुरा न मान जो वाइज़ बुरा कहे
ऐसा भी कोई है कि सब अच्छा कहें जिसे.

ज़िंदगी की हक़ीक़त को अपने शेरो-शायरी से बयां करना तो कोई मिर्ज़ा ग़ालिब से सीखे. इनके इन्हीं शेरों ने (Mirza Ghalib Sher) आजतक उन्हें लोगों को एहसासों में ज़िंदा रखा है. 19वीं शताब्दी के सबसे बड़े कवि और शायर मिर्ज़ा ग़ालिब ने अपनी लेखनी से जो कमाल किया है वो शायद ही कोई दूसरा शायर कर पाया हो. ग़ालिब के लेखन में बात ही कुछ ऐसी है कि उनके शेर तब भी वास्तविक प्रतीत होते थे और आज भी होते हैं. ग़ालिब ने अपने शेरों के ज़रिये ज़िंदगी के हर पहलू को बाख़ूबी कलम से काग़ज़ पर उतारा है.

Mirza Ghalib
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आज हम आपके लिए मिर्ज़ा ग़ालिब के 15 बेहतरीन शेर लेकर आए हैं. (Mirza Ghalib Sher)

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शाम की चाय की चुस्की के साथ ग़ालिब के शेर (Mirza Ghalib Sher) का लुत्फ़ उठाइए.

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