Musarhawa Baba Temple: हमारे देश में अलग-अलग धर्मों के लोग रहते हैं और सभी धर्मों की अपनी परंपराएं हैं. यहां ऐसे कई मंदिर भी हैं, जिनके बारे में अलग-अलग मान्यताएं हैं. उन मान्यताओं के चलते दूर-दराज से लोग इन मंदिरों के दर्शन करने आते हैं. यहां पर भगवान को ख़ुश करने के लिए लोग फूल से लेकर चादर और दूध तक अनेक चीज़ें चढ़ाते हैं. लेकिन क्या आपने कभी ऐसे मंदिर के बारे में सुना है, जहां लोग ईश्वर को ख़ुश करने के लिए बीड़ी चढ़ाते हैं? अब आप सोच रहे होंगे कि हम आपसे फिरकी ले रहे हैं. लेकिन ये बात 101 प्रतिशत सच है. 

आज हम आपको उसी मंदिर (Musarhawa Baba Temple) के बारे में बता देते हैं, जहां लोग भगवान को फूल या पत्ते नहीं बल्कि बीड़ी चढ़ाते हैं. 

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Musarhawa Baba Temple

बिहार में स्थित है ये मंदिर 

ये मंदिर बिहार के कैमूर जिले के भगवानपुर प्रखंड के 1400 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है. इसे लोग मुसहरवा बाबा मंदिर के नाम से जानते हैं. यहां लोग अपनी यात्रा को कुशल मंगल बनाने के लिए पहले भगवान को बीड़ी चढ़ाते हैं और फिर अपने गंतव्य स्थान पर जाते हैं. यहां ज़्यादातर यूपी, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से श्रद्धालु आते हैं. 

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क्यों है इस मंदिर में बीड़ी चढ़ाने का प्रचलन?

दरअसल, पहले इस इलाके में नक्सली लोग रहते थे. यहां की अधौरा पहाड़ी पर नक्सलियों का राज हुआ करता था. तभी इस मंदिर में बीड़ी चढ़ाने की मान्यता है. इस मंदिर में मुसहरवा बाबा की मूर्ति स्थापित की गई है. यहां पहाड़ी घाटी पर चढ़ने से पहले इस मूर्ति पर बीढ़ी चढ़ाना ज़रूरी है. मान्यता है कि इससे उनकी यात्रा में कोई विघ्न पैदा नहीं होता. अगर किसी के पास बीड़ी चढ़ाने के लिए नहीं होती है, तो वो श्रद्धालु दान पेटी में बीड़ी चढ़ाने के लिए उतना पैसा डाल देता है. 

इस मंदिर के पुजारी का कहना है कि वो 22 सालों से इस मंदिर में पूजा कर रहे हैं. पहले उनके पिताजी वहां पर पूजा करते थे, अब वो ख़ुद करते हैं. ये मंदिर 1400 फीट ऊंची पहाड़ी घाटी चढ़ने पर अधौरा जाने के मेन रास्ते पर पड़ता है. जो भी घाटी चढ़कर इधर से गुज़रता है, वो इस मंदिर में ज़रूर बीड़ी चढ़ाता है. जिनके पास बीड़ी नहीं है, वो कुछ भी पैसा दान में पेटी के लिए डाल देते हैं. जो लोग ऐसा नहीं करते हैं, उनके साथ अमंगल होता है. 

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दर्शन के बाद चढ़ाई जाती है बीड़ी

यहां पर आने के बाद पहले भक्त बाबा के दर्शन करते हैं, फिर ‘बीड़ी‘ की गठरी खोलकर उसे जलाते हैं और बाबा को चढ़ाते हैं. ऐसा माना जाता है कि बीड़ी चढ़ाने से बाबा प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करते हैं. अगर कोई भक्त दर्शन के वक्त यहां बीड़ी नहीं चढ़ा पाता तो, वो वापस जरूर आता है और बाबा को बीड़ी चढ़ाता है.

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इस मंदिर की ये अजीबो-ग़रीब मान्यता हैरान कर देने वाली है.