Gaurav Yadav NDA Gold Medalist: आर्मी में भर्ती को लेकर देश सेवा करने का जुनून अलग लेवल का होता है. हमने ऐसी बहुत सी कहानियां सुनी भी हैं, जहां हमें पता चलता है कि आर्मी में जाने के लिए लोग करोड़ों की नौकरियों और प्रतिष्ठित संस्थान को तक को ठोकर मार देते हैं. ऐसा ही राजस्थान के रहने वाले गौरव यादव ने भी किया. हालही में, गौरव को नेशनल डिफेंस एकेडमी में गोल्ड मेडल (NDA Gold Medal) से नवाज़ा गया है. जिसके बाद उनके संघर्ष की कहानी वायरल होने लगी है. चलिए हम गौरव यादव की Struggle Story को विस्तार से पढ़ते हैं-

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चलिए जानते हैं Gaurav Yadav की IIT का सपना छोड़ Army में जाने की कहानी-

गौरव यादव अलवर जिले (राजस्थान) के जाजौर गांव के रहने वाले हैं

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गौरव अलवर जिले (राजस्थान) के जाजौर गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने अपनी स्कूलिंग केरला पब्लिक स्कूल (रेवाड़ी) से पूरी की थी. जहां 10वीं में उनके A+ और 12वीं में उनके 96% आए थे. उनके पिता एक किसान हैं, जो जाजौर-बास के रहने वाले हैं. गौरव का आर्मी में जाने के जूनून ने उन्हें झूठ बोलने पर भी मजबूर कर दिया था.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनका प्रतिष्ठित संस्थान IIT की परीक्षा क्लियर हो चुका था. लेकिन उन्होंने इतनी बड़ी बात अपने परिवार से छुपा कर रखी और दिल्ली में जाकर किसी कॉलेज में दाख़िला ले लिया. लेकिन कहते हैं न ‘झूठ छुपाए नहीं छुपता है’ और आखिर में सच सबके सामने आ ही जाता है.

घर की दीवार को समझा SSB पैनल

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रिपोर्ट्स के मुताबिक, गौरव ने दो बार NDA की परीक्षा को पास किया था. लेकिन वो कभी NDA संस्थान में सेलेक्ट नहीं हो पाए. क्योंकि सर्विस सेलेक्शन बोर्ड (SSB) इंटरव्यू स्टेज में वो असफ़ल हो रहे थे. लेकिन इस हार को उन्होंने अपनी प्रेरणा बनाई और तीसरे मौके में उन्होंने NDA की परीक्षा को पास कर लिया.

बुधवार को आयोजित हुए NDA पासिंग डे पर गौरव ने बताया कि “मैं अपने कमरे की दीवार के सामने खड़ा हो जाता था और सोचता था कि मैं SSB पैनल को इंटरव्यू दे रहा हूं और उनके सवालों का जवाब दिया करता था.”

गौरव के बड़े भाई उनके लिए परेशान थे

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गौरव के बड़े भाई विनीत भी इंडियन आर्मी में हैं और उन्होंने बताया कि, ‘एक समय के बाद हमारा पूरा परिवार गौरव के लिए चिंतित था”. उन्होंने ये भी बताया, “मैंने अपने भाई से IIT के परिणाम के बारे पूछा था, लेकिन उसने कहा कि मैं IIT की परीक्षा क्लियर नहीं कर पाया” और उनके भाई ने उनपर विश्वास भी कर लिया. “लेकिन NDA क्लियर करने के बाद उसने हमे ये बताया कि उसने IIT भी क्लियर कर लिया था. लेकिन उसने जो मुकाम हासिल की है और हमें उस पर बहुत नाज़ है”.

NDA पास करने के बाद, गौरव एकडमिक में नहीं बल्कि मिलिट्री ट्रेनिंग में भी अव्वल रहे थे. इसी वजह से उन्हें गोल्ड मेडल से नवाज़ा गया था और परेड को कमांड करना तो मानो उनके लिए सोने पर सुहागा था.

उन्होंने इंटरव्यू में बताया, “ये कुछ ऐसा था जो मैंने एकेडमी में जाने से पहले नहीं सोचा था. शुरुआत में, एकेडमी ट्रेनिंग शेड्यूल के साथ तालमेल करना बहुत मुश्किल था और मैं मिलिट्री ट्रेनिंग को लेकर भी संकोच में था. लेकिन मैंने हमेशा खुद को मोटिवेटेड रखा”.

कैसी लगी आपको गौरव की सफलता की कहानी? हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं.