1 मई, 2023 को लंदन के किंग स्ट्रीट पर ऑक्शन हाउस क्रिस्टीज़ द्वारा नीलामी का आयोजन किया गया था. इन दौरान दुनिया के सैकड़ों साल पुराने गहने बिकने के लिए रखे गये थे. इस नीलामी में दुनिया का सबसे पुराना हीरा ‘ब्रोलिटी ऑफ़ इंडिया’ भी शामिल था, जिसकी क़ीमत 63 करोड़ रुपये के क़रीब बताई गई. लेकिन नीलामी में इसे किसने ख़रीदा इसकी जानकारी नहीं मिल सकी. आज भी भारत का ‘कोहिनूर हीरा’ ब्रिटेन के ‘शाही परिवार’ के पास है.

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‘कोहिनूर’ से भी पुराना है ‘ब्रोलिटी ऑफ़ इंडिया’

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, Briolette of India हीरा 90.8 कैरेट का है. इसे ‘कोहिनूर हीरे’ से भी पुराना माना जाता है. इतिहासकारों के मुताबिक़, इस हीरे की पहली मालिक 12वीं शताब्दी में फ़्रांस की महारानी एलेनॉर ऑफ़ एक्वेनटेन को बताया जाता है. इसकी उत्पत्ति आंध्र प्रदेश में हुई थी. दशकों तक गुमनाम रहने के बाद सन 1950 में न्यूयॉर्क के हेनरी विन्सटन ने इसे भारत के किसी राजा से ख़रीद लिया था. इसके बाद 1971 में इस हीरे को हेलमट हॉर्टन ने ख़रीदा था.

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अगर बात ‘कोहिनूर हीरा’ की करें तो ये आज भी ब्रिटेन के ‘शाही परिवार’ के पास है. ब्रिटेन में 6 मई, 2023 को नए प्रिंस चार्ल्स का राजतिलक होने जा रहा है. इसी के साथ वो इस बेशक़ीमती हीरा के मालिक बन जाएंगे. इतिहासकारों के मुताबिक़, कोहिनूर अंग्रेज़ों के हाथ साल 1849 में ‘द्वितीय आंग्ल-सिख युद्ध’ के दौरान लगा था. इसे लॉर्ड डलहौजी ने महाराजा दलीप सिंह से ‘लाहौर संधि’ के तहत हासिल किया था. अंग्रेज़ भारत से केवल ‘कोहिनूर’ ही नहीं, बल्कि कई अन्य बेशक़ीमती चीज़ें भी ले गए थे.

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चलिए जानते हैं अंग्रेज़ भारत से कौन-कौन से बेशक़ीमती चुराकर ब्रिटेन ले गए

1- टीपू सुल्तान की अंगूठी

सन 1799 में टीपू सुल्तान को पराजित कर अंग्रेज़ उनकी सोने से बनी अंगूठी भी ब्रिटेन लेकर चले गये थे. इस अंगूठी पर ‘राम’ लिखा हुआ है. कई सालों तक ‘ब्रिटिश म्यूजियम’ में रहने के बाद साल 2014 में ऑक्शन हाउस क्रिस्टीज़ ने इसे निलामी में बेच दिया था. उस समय ये अंगूठी 1,40,500 पाउंड में बिकी थी.

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2- महाराजा रणजीत सिंह का सिंहासन

प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध के दौरान अंग्रेज़ सिखों के पहले महाराजा रणजीत सिंह का अमूल्य ‘सिंहासन‘ भी अपने साथ ब्रिटेन लेकर गए थे. इस सिंहासन का निर्माण 1820-1830 के बीच हाफ़िज़ मुहम्मद मुल्तानी ने किया था. लकड़ी और रेजिन से बने इस सिंहासन पर सोने की परत चढ़ाई गई थी.

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3- शाहजहां का शराब का कप

अंग्रेज़ों ने मुग़ल सम्राट शाहजहां के इस कप को सन 1857 में भारत के ‘प्रथम स्वतंत्रता संग्राम’ के दौरान हासिल किया और अपने ब्रिटेन ले गये. आज भी ये मदिरा कप ब्रिटेन के एक सरकारी म्यूजियम में रखा हुआ है.

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4- टीपू सुल्तान का टाइगर टॉय

अंग्रेज़ों ने सन 1799 में टीपू सुल्तान को पराजित करने के बाद मैसूर के खजाने को लूट लिया था. इस खजाने में टीपू का प्रसिद्ध ‘टाइगर टॉय’ भी शामिल था. इसमें एक बाघ अंग्रेज़ पर हमला करते दिखाया गया है. इसे ब्रिटेन के ‘विक्टोरिया एवं अल्बर्ट म्यूजियम’ में रखा गया है.

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5- सुल्तानगंज बुद्ध

इतिहासकारों के मुताबिक़, ये ‘गुप्त काल’ की कला की आख़िरी निशानी थी, जिसे अंग्रेज़ों ने भारत से छीन लिया था. गुप्त काल में तांबे से निर्मित बुद्ध की ये प्रसिद्ध प्रतिमा आज भी ब्रिटेन के ‘बर्मिंघम म्यूजियम एंड आर्ट गैलरी’ में रखी हुई है.

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6- हरीहर प्रतिमा

इतिहासकारों के मुताबिक़, अंग्रेज़ सन 1872 में ‘हरीहर प्रतिमा’ को भी भारत से ब्रिटेन ले गए थे. बलुआ पत्थर से निर्मित ये प्रतिमा क़रीब 1000 साल पुरानी बताई जाती है. इसे आज भी एक सरकारी ब्रिटिश म्यूजियम में रखा गया है.

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7- अमरावती मार्बल्स

अंग्रेज़ सन 1840 में भारत से लूटकर अमरावती मार्बल्स प्रतिमाएं भी ब्रिटेन ले गए थे. ये प्रतिमाएं आंध्र प्रदेश के अमरावती स्तूप में लगी थीं. इन्हें आज सर वाल्टर इलियट के नाम से इलियट मार्बल्स भी कहा जाता है.

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8- टीपू सुलतान की तलवार

‘टाइगर ऑफ़ मैसूर’ कहे जाने वाले टीपू सुल्तान का प्रतीक चिन्ह बाघ था. उनकी इस तलवार की मूठ पर रत्नजड़ित ‘बाघ’ बना हुआ है. इसका मतलब था ‘हज़ारों साल सियार की तरह जीने से अच्छा है कि एक दिन बाघ की तरह जिया जाए’. साल 2004 में लंदन में हुई एक नीलामी में विजय माल्या 1.5 करोड़ रुपये में ख़रीदकर इसे भारत ले आये थे.

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