Old Eco-Friendly Products of India: एक वक़्त था जब इंसान पूरी तरह प्रकृति के अनुरूप चला करता था. खाने से लेकर आश्रय तक सब प्राकृतिक हुआ करता था. लेकिन, इंसान के तेज़ दिमाग़ ने और उसकी बढ़ती इच्छाओं ने इंसान को प्रकृति से विपरित दिशा की ओर मोड़ने का काम किया है. परिणामस्वरूप आज इंसान प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ मानव जनित आपदाओं से बुरी तरह घिर हुआ है. 

इंसान भूलता जा रहा है कि हमें पर्यावरण के अनुरूप चलना कितना ज़रूरी है. भारत की बात करें, तो भारत शुरू से ही एक इको-फ़्रेंडली (Eco-Friendly Culture of India) देश रहा है, लेकिन आधुनिकता की चकाचौंध और पश्चिमी संस्कृति ने बहुत ज़्यादा प्रभावित किया है. 

आइये, आपको 10 चीज़ों (Old Eco-Friendly Products of India) के ज़रिये बताते हैं कि भारत और भारतीय कितने इको-फ़्रेडली हुआ करते थे. 

1. कुल्हड़ 

Old Eco-Friendly Products of India: भारत में कुल्हड़ का इस्तेमाल सदियों से होता आया है. मिट्टी से बनने वाले कुल्हड़ का इस्तेमाल पानी, चाय व अन्य पेय पदार्थ के लिए किया जाता रहा है. आज भी इसका इस्तेमाल होता है, लेकिन बहुत कम. 

2. सिलबट्टा 

Silbatta
Image Source: kolkatatimes

आज शहरों में और यहां तक कि गांवों में भी मसाला पीसने के लिए इलेक्ट्रिक ग्राइंडर का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन, पुराने वक़्त की बात करें, तो मसाला पीसने के लिए पत्थर से बने सिलबट्टे का ही इस्तेमाल होता था. हालांकि, आज भी भारत के बहुत से परिवार सिलबट्टे का प्रयोग करते हैं. 

3. दातून 

Datun
Image Source: news18

Old Eco-Friendly Products of India: आज ओरल प्रोडक्ट वाली कंपनियां हर्बल के नाम महंगे-महंगे टूथ पेस्ट ग्राहकों को पकड़ा रही हैं. वक़्त की सुईं पीछे घुमाएं, तो पता चलेगा कि दांतों के लिए हम हर्बल चीज़ का ही इस्तेमाल करते थे, जो हमें सीधे प्रकृति से मिलती थी. नीम से बना दातून न सिर्फ़ दांत साफ़ करने का काम करता है, बल्कि दांत संंबंधी कई समस्याओं को ठीक करने में भी मदद कर सकता है. 

4. साल और केले के पत्तों पर खाना 

saal ke patte ki plate
Image Source: Amazon

Old Eco-Friendly Products of India: आज स्टील की थालियों के अलावा थर्माकोल और प्लास्टिक की प्लेटों का इस्तेमाल होता है. थोड़ा पीछे जाएं, तो पता चलेगा कि भारत में साल के पत्तों और केले के पत्तों पर खाना खाने का चलन रहा है. इससे भोजन के साथ-सथ पत्तों में मौजूद पोषक तत्व भी व्यक्ति को मिलते हैं. लेकिन, आधुनिकता की दौड़ने इनके चलन को एकदम कम कर दिया है. 

5. जूट की बोरी 

joot ki bori
Image Source: liveaaryaavart

आज प्लास्टिक से बने बोरों का इस्तेमाल सामान रखने के लिये किया जाता है. वहीं, जब ये फट जाते हैं, तो इन्हें बाहर फ़ेंक दिया जाता है, जिसने पूरी तरह नष्ट होने में कई सालों का वक़्त लग जाता है. साथ ही ये मिट्टी की उर्वरता को भी नष्ट करते हैं. पहले सामान जैसी सब्जियों या चावल-चीन के लिए जूट के बोरों का इस्तेमाल होता था, लेकिन आज इनका इस्तेमाल न के बराबर रह गया है. 

6. कपड़ों के बैग 

kapdo ka beg
Image Source: thebetterindia

Old Eco-Friendly Products of India: जिन कपड़ों से पहने के लिए वस्त्र बनाए जाते थे, उससे सामान लाने के लिये बैग भी बना लिए जाते थे. हालांकि, आज बैग बनाने के लिए Synthetic Polymers का इस्तेमाल किया जाता  है, जो पूरी तरह पर्यावरण के अनुरूप नहीं है. 

7. धातु के बर्तन 

copper utensil
Image Source: epicurious

Eco-Friendly Culture of India: पहले के वक़्त में घर के बर्तन कांसे और पीतल के ही हुआ करते थे. आज इनका स्थान स्टील के साथ-साथ प्लास्टिक ने लिया है. 

8. नारियल की झाड़ू 

coconut broom
Image Source: alibaba

पहले हर घर में नारियल का झाड़ू एकदम दिख जाती थी, आज इसकी जगह प्लास्टिक ने ले ली है. हालांकि, बहुत से परिवार आज भी नारियल का झाड़ू का इस्तेमाल करते हैं. 

9. नारियल के छिलकों से बर्तन धोना 

coconut fiber
Image Source: lampoonmagazine

बर्तन धोने के लिये पहले नारियल के धिलकों का ही इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन आज Cellulose, Nylon और Spun Polypropylene Fiber से बने बर्तन धोने वाले उत्पादों का इस्तेमाल किया जाता है. 

10. मूढ़ा 

mudha
Image Source: bhaskar

आज हर घर में आपको प्लास्टिक से बने चेयर नज़र आज जाएंगे. एक वक़्त था जब घरों में मूढ़े (Eco-Friendly Product) दिखा करते थे, जो पूरी तरह प्राकृतिक चीज़ों का इस्तेमाल करके ही बनाए जाते हैं. 

दोस्तों, हमें आज ज़रूरत है कि हम अपनी पुरानी संस्कृति को वापस लाएं, ताकि प्रकृति के तेज़ी से हो रहे दोहन पर अंकुश लगाया जा सके.