What Happened To Vanar Sena After Ram Ravana War: भगवान राम ने मां सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाने के लिए लंका विजय की थी. इस युद्द में उनकी सहायता वानर सेना ने की थी. कहते हैं कि महान योद्धा सुग्रीव और अंगद के नेतृत्व में क़रीब एक लाख की संख्या में वानर सेना थी. मगर सवाल ये है कि आख़िर युद्ध के बाद इस वानर सेना का क्या हुआ और सुग्रीव और अंगद जैसे योद्धा कहां चले गए? (Lanka War In Ramayana)
What Happened To Vanar Sena After Ram Ravana War-
सुग्रीव बने किष्किंधा के राजा
रामायण के उत्तर कांड में इस बारे में जानकारी मिलती है. कर्नाटक में तुंगभद्रा नदी के किनारे किष्किंधा है. यहां आसपास आज भी ऐसे कई गुफाएं हैं और जगह हैं, जहां राम और लक्ष्मण रुके थे. यहीं पर वानर साम्राज्य भी था. (Where Is Kishkindha)
लंका विजय के बाद जब सुग्रीव वापस लौटे तो श्रीराम ने उन्हें वहां का राजा बना दिया. साथ ही, बालि के पुत्र अंगद को युवराज घोषित किया. वानर सेना में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले नल-नील कई वर्षों तक सुग्रीव के राज्य में मंत्री रहे. सबने मिलकर काफ़ी सालों तक यहां राज किया. हालांकि, इसके बाद उन्होंने कोई बड़ा युद्ध नहीं लड़ा.
वानर सेना का क्या हुआ?
किष्किंधा के ही पास में घने जंगलों वाला इलाका है, जिसे दंडक वन या दंडकारण्य वन कहा जाता है. यहां रहने वाली जनजाति को वानर कहा जाता था. इस वानर सेना का कोई एक राजा नहीं था, बल्क़ि इनके अलग-अलग झुंड थे. ये सेना किष्किंधा ,कोल, भील ,रीछ और वनों में रहने वाले रहवासियों का संयुक्त रूप थी. हर झुंड का एक सेनापति था. जिसे यूथपति कहा जाता था. लंका पर चढ़ाई के लिए सुग्रीव ने ही वानर तथा ऋक्ष सेना का प्रबन्ध किया था.
जब युद्ध ख़त्म हुआ और भगवान राम अयोध्या लौटे तो उनके पास लंका और किष्किंधा दोनों को ही अपने अधीन करने का प्रस्ताव था. मगर उन्होंने मना कर दिया और सुग्रीव को किष्किंधा सौंप दिया.
ऐसे में वानर सेना जो अयोध्या श्रीराम के राज्याभिषेक में आई थी, वो वापस लौट गई और अपने-अपने राज्यों के अधीन हो गई. श्रीराम-रावण युद्ध में योगदान देने वाली वानर सेना सुग्रीव के साथ भी कई वर्षों तक रही.
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