किसी भी जानी-मानी हस्ती की गुज़र जाने के बाद आपने अक्सर देखा होगा कि ट्विटर, फ़ेसबुक से लेकर इंस्टाग्राम-Whatsapp स्टेटस तक ‘RIP’ शब्द से भर जाते हैं. वैसे आजकल हर कोई किसी के गुज़र जाने पर RIP का मैसेज सबसे पहले भेजता है. आपने भी भेजा होगा, है ना.


मगर आज हम आपको बताते हैं कि इसकी शुरुआत कैसे हुई और क्यों लिखा जाता है RIP. 

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RIP क्यों लिखते हैं? 

अगर आप अंजाने में ये सोचते आये हैं कि ये RIP अंग्रेजी का ‘Rip’ शब्द है, जिसका अर्थ ‘काटना’ होता है तो आप ग़लत हैं. RIP दरअसल एक Acronym है जिसका Full-Form होता है – Rest In Peace. ये लैटिन वाक्यांश (Phrase) Requiescat In Pace से आया है, जिसका अर्थ होता है – शांति से सोना,  और इस संदर्भ में – आत्मा को शांति मिले.

पारंपरिक ईसाई सेवाओं और प्रार्थनाओं में RIP शब्द का इस्तेमाल किसी दिवंगत व्यक्ति की आत्मा की आराम और शांति की कामना के लिए होता आया है. 18वीं शताब्दी में मृतकों की कब्र पर रखे जाने वाले पत्थर पर RIP लिखवाना आम चलन बन गया था, जो आज भी जारी है.

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कैसे हुई RIP लिखने की शुरुआत?

RIP एक प्रार्थनापूर्ण अनुरोध है कि मृत व्यक्ति की आत्मा को परलोक में शांति मिले. ये उस ईसाई धारणा से जुड़ा है जिसके मुताबिक़ मृत्यु पर आत्मा शरीर से अलग हो जाती है, लेकिन ये आत्मा और शरीर Judgment Day के दिन फिर से मिल जाएंगे.

पहले-पहल 5वीं शताब्दी में कब्रों पर RIP या Requiescat In Pace शब्द के उल्लेख मिलते हैं. शुरुआत में इसका अर्थ ये होता था कि कोई व्यक्ति चर्च की शांति में स्वर्ग सिधार गया है और एक दिन जीसस क्राइस्ट से उसकी आत्मा का मिलान होगा.

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आज के दौर में हर धर्म के लोग शोक व्यक्त करने के लिए RIP शब्द का इस्तेमाल करते हैं. अब ये शब्द न सिर्फ़ ग्लोबल हो गया है बल्कि मीम और पॉप कल्चर में भी इसका ख़ूब उपयोग होने लगा है.    

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क्या मीम में RIP के इस्तेमाल को आप सही मानत्ते हैं या इसका सिर्फ़ गंभीरता के साथ उपयोग किया जाना चाहिए ? अपनी राय हमें कमेंट सेक्शन में बताएं.