सेफ़्टी पिन (Safety Pin) होती छोटी सी है, लेकिन है बड़े काम की चीज़. ये छोटी सी पिन भारतीय महिलाओं के सबसे ख़ूबसूरत परिधान साड़ी को बख़ूबी संभालने से लेकर मुसीबत के वक़्त पुरुषों के लिए भी बड़े काम की चीज़ है. क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की कि ‘सेफ़्टी पिन’ का आविष्कार कब, किसने और क्यों किया था? नहीं मालूम, तो चलिए हम बताते हैं-

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बात सन 1849 की है. अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित मार्टिसबर्ग में रहने वाले वॉल्टर हंट (Walter Hunt) बेहद ग़रीबी में जीवन यापन कर रहे थे. तमाम कोशिशों के बावजूद वॉल्टर अपने पूर्वजों द्वारा लिया गया 15 डॉलर का क़र्ज़ समय से चुकाने में असमर्थ थे. इसी के चलते वो बेहद तनाव में अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे.

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‘सेफ़्टी पिन’ बनने की प्रेरणादायक कहानी

वॉल्टर हंट (Walter Hunt) बचपन से ही अपने पिता के साथ लोहे के व्यवसाय से जुड़े हुए थे. इसलिए वो लोहे के काम को बारीकी से जानते भी थे. वॉल्टर हमेशा से ही कुछ अलग करना चाहते थे, लेकिन पुश्तैनी ऋण के दबाव तले वो कुछ नया सोच ही नहीं पा रहे थे. आख़िरकार काफ़ी सोच विचार के बाद वॉल्टर ने महिलाओं की ज़रूरत को समझते हुए ‘सेफ़्टी पिन’ का निर्माण करने का फ़ैसला किया. हालांकि, ‘सेफ़्टी पिन’ से पहले वो Fountain Pen का आविष्कार भी कर चुके थे.

वॉल्टर हंट ने केवल 3 घंटे की रिसर्च के बाद ही ‘सेफ़्टी पिन’ का अविष्कार कर दिया था. इस दौरान उन्होंने सबसे पहले ये पिन ‘डब्लू आर एंड कंपनी’ को बेची. इसके बाद इस कंपनी ने उन्हें एक बड़ी संख्या में ‘सेफ़्टी पिन’ बनाने का ऑर्डर दिया. इस अविष्कार से वाल्टर ने क़रीब 400 अमेरिकी डॉलर कमाए और अपना लोन भी चुकाया.  

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कैसे बनाई थी पहली ‘सेफ़्टी पिन’? 

दुनिया में पहली बार ‘सेफ़्टी पिन’ का आविष्कार करने के बाद भी वॉल्टर हंट को ऐसा नहीं लगा था कि उन्होंने कुछ बड़ी खोज की है. लेकिन ये दुनिया के लिए एक नया आविष्कार ही था. इस दौरान वॉल्टर ने पहली ‘सेफ़्टी पिन’ तक़रीबन 8 इंच लंबे के तांबे के तार से बनाई थी. ये पहली पिन थी, जिसमें पिन को रोकने के लिए बक्कल लगा हुआ था. 

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वॉल्टर हंट (Walter Hunt) ने ‘सेफ़्टी पिन’ के बाद सिलाई मशीन, ट्राम घंटी, आइस बोट, स्पिनर और सड़क साफ़ करने की मशीन का आविष्कार भी किया. इसके अलावा भी तो वॉल्टर के नाम पर कई अन्य अविष्कार पेटेंट हैं. लेकिन वॉल्टर सिलाई मशीन के आविष्कार को कतई पेटेंट नहीं कराना चाहते थे क्योंकि उनका मानना था कि इससे मशीन की कीमत बढ़ जाएगी जिससे ग़रीब लोगों को इसे ख़रीदने में मुश्किल होगी जो बाद में बेरोजगारी का भी कारण बन सकती है.  

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8 जून 1859 को 62 वर्ष की उम्र में वॉल्टर हंट (Walter Hunt) का अमेरिका के न्यूयॉर्क में निधन हो गया, लेकिन वो अपने संघर्ष के माध्यम से पूरी दुनिया को बताने में सफ़ल रहे कि परिस्थितियां चाहे कितनी भी बुरी क्यों न हो, लेकिन इंसान को अपने अंदर कुछ कर गुज़रने का जज़्बा कायम रखना चाहिए. वॉल्टर के हौसले औऱ जज़्बे को हमारा सलाम. 

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