भारतीय बज़ार में हर दिन कई तरह के प्रोडक्ट्स आते-जाते रहते हैं. पर आज भी बहुत से ब्रांड्स ऐसे हैं, जो सदियों से हिंदुस्तानियों के दिलों में राज कर रहे हैं. इन्हीं ब्रांड्स में से एक हम सबका चाहेता ब्रांड Vicco भी है. बचपन से लेकर अब तक हम न जाने कितनी चीज़ें और आदतें बदलते हैं, लेकिन बस Vicco को नहीं बदल पाये.
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शायद ही कोई भारतीय घर ऐसा होगा जहां आपको Vicco के प्रोडक्ट्स न दिखाई दें. इसकी वजह है इस ब्रांड पर बनाया गया हमारा भरोसा. सदियों से Vicco ने प्रोडक्ट्स की क्वालिटी के साथ समझौता नहीं किया. सिर्फ़ हिंदुस्तान ही नहीं, बल्कि Vicco बेहतरीन क्वालिटी की वजह से अब इंटरनेशनल ब्रांड बन चुका है.
आइये जानते हैं कि कैसे एक छोटी सी दुकान से खड़ा कर दिया गया Vicco का करोड़ों का व्यापार:
केशव अब नये रास्ते पर निकल चुके थे. उन्होंने सबसे पहले दांतों की सफ़ाई के लिए एक आयुर्वेद पाउडर तैयार किया. जिसमें बिल्कुल केमिकल नहीं था और इसे बच्चे से लेकर बूढ़े तक यूज़ कर सकते थे. उस समय प्रोडक्ट का प्रचार घर-घर जाकर किया जाता था. केशव और उनके बच्चे घर-घर जाकर Vicco टूथ पाउडर बेचने लगे.
उन्हें पता था आगे जाकर लोग पाउडर की जगह टूथपेस्ट यूज़ करेंगे. इसलिये उन्होंने बेटे गजानन पेंढरकर से जड़ी-बूटी वाला टूथपेस्ट बनाने के लिये कहा. गजानन पेंढरकर ने फ़ार्मेसी की डिग्री ले रखी थी. विको अब ब्रांड बनने लगा था. इसका विज्ञापन भी इतना क्रिएटिव था कि घर-घर प्रचलित हो गया. विको प्रोडक्ट्स की लोकप्रियता बढ़ती जा रही थी और 1994 में कंपनी ने 50 करोड़ रुपये के टर्नओवर को पार कर लिया.
केशव और उनके बेटे का एक ही मकसद था कि आयुर्वेद के गुणों को लोगों तक सही मायने में पहुंचाया और वो अपनी सोच में कामयाब भी रहे. विको के 50 से अधिक उत्पाद आज 45 से अधिक देशों में बेचे जा रहे हैं. 2025 तक कंपनी अपने इस लक्ष्य को और बढ़ाना चाहती है. कंपनी की शुरुआत करने वाले केशव पेंढरकर का 1971 में देहांत हो गया था, जिसके बाद से उनके बेटे गजानन पेंढरकर ने कंपनी की कमान संभाली थी.
आप भी विको यूज़ करते हैं न?