Mysterious Pyramid: दुनियाभर में कई ऐसी चीज़ें हैं जो आज भी लोगों के लिए रहस्य का विषय बनी हुई हैं. कुछ रहस्य तो ऐसे भी हैं जिन्हें आज तक कोई पूरी तरह से जान तक नहीं पाया है. ऐसा ही एक रहस्य मैक्सिको के युकाटन इलाक़े में बने दुनिया के सबसे पुराने पिरामिड से भी जुड़ा हुआ है. इस पिरामिड को ‘चिचेन इट्जा चिर्प’ के नाम से जाना जाता है.
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आज भी ‘Chichen Itza’ मैक्सिको की सबसे रहस्यमयी कलाकृति मानी है. दुनिया का ये सबसे पुराना पिरामिड अपने भीतर कई रहस्यों को समेटे हुए है. इस रहस्यमयी पिरामिड के आगे ताली बजाने पर चिड़ियों की चहचहाहट सुनाई देती है. इसके रहस्यों को आज तक वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए हैं.
दरअसल, चिचेन इट्जा एक कोलंबियाई मंदिर है, जिसे ‘माया सभ्यता’ के लोगों ने बनवाया था. इस मंदिर की सबसे बड़ी ख़ासियत ये है कि इसके सामने खड़े होकर अगर कोई ताली बजाता है तो उसकी आवाज़ रिफ्लेक्ट हो जाती है और उसके बाद ये चिड़ियों की चहचहाहट में बदल जाती है. ‘माया सभ्यता’ के लोग बारिश के देवता को पूजते थे, इसलिए ये को-इंसिडेंट नहीं हो सकता है. इस पिरामिड से तरह-तरह की आवाज़ें सुनाई देती हैं.
हर बार अलग-अलग तरह की आवाज़
अगर आप ‘Chichen Itza’ के बेस में खड़े होकर कोई ड्रम बजाते हैं या चिल्लाते हैं तो हर बार अलग-अलग तरह की आवाज़ रिफ़्लेक्ट होती हैं. ऐसे में ये कहना बेहद कठिन है कि ‘माया सभ्यता’ के लोगों को इन सब बातों की जानकारी थी या फिर उन्होंने ऐसी आवाज़ों को रिफ़्लेक्ट होने के लिए इस पिरामिड का निर्माण कराया था. इसके अलावा जब पिरामिड की तरफ़ जाने वाली सीढ़ियों पर सूरज की रोशनी पड़ती है, तो वो सांप जैसी दिखती हैं.
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सन 1998 में कैलिफ़ोर्निया के ध्वनि विशेषज्ञ डेविड लुबमैन ने ‘Chichen Itza’ पर शोध किया. इस दौरान उन्होंने पाया कि सच में पिरामिड के सामने ताली बजाने पर आवाज़ रिफ़्लेक्ट होकर क्विज़टल नामक पक्षी की आवाज़ में बदल जाती है. इतना ही नहीं अगर कई लोग एक साथ ताली बजाते हैं, तो लगता है मानो ढ़ेर सारी चिड़ियाएं चहचहा रही हों.
बेल्जियम यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक मीको डी-क्लार्क भी इस पिरामिड पर शोध कर चुके हैं. इस शोध में उन्होंने बताया कि पिरामिड की सीढ़ियां चढ़ने पर ऐसी आवाज़ निकलती है, जैसे बाल्टी में बारिश का पानी गिर रहा हो. इसके अलावा भी इस पिरामिड में कई अन्य तरह की आवाज़ें आती हैं, जो बेहद हैरान करने वाली हैं.
इनके अलावा भी कई ध्वनि विशेषज्ञ भी यहां शोध करने आए लेकिन वो सभी किसी नतीज़े पर नहीं पहुंच सके. आज तक कोई वैज्ञानिक ये नहीं बता पाया कि ‘चिचेन इट्जा’ में ताली बजाने पर चिड़ियों की तरह आवाज़ क्यों रिफ़्लेक्ट होती है.