अंतहीन ज्ञान की कोई सबसे बड़ी किताब है, तो वो है दुनिया. इस खुली किताब को पढ़ने के लिए आपको बैठना नहीं, चलना पड़ता है. हज़ारों किमी की यात्रा और ज़िंदगी के कई बरस तय करके हम इस किताब के कुछ पन्ने ही पढ़ पाते हैं. सदियों से जिज्ञासु लोग इस ज्ञान के सागर में गोते लगाने के लिए लंबी-लंबी समुद्री यात्राएं भी करते रहे हैं.

इनमें से कुछ यात्री सफ़ल हुए और दूसरों के लिए प्रेरणा बन गए. इन्होंने कई अनजान दुनिया से लोगों को वाकिफ़ कराया और इतिहास में अमर हो गए. आज हम आपको ऐसे ही लोगों के बारे में बताएंगे, जिनकी साहसिक यात्राओं ने सही मायने में दुनिया को बदलकर रख दिया. 

1. इब्न बतूता (1304-1369)

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इब्न बतूता को अब तक के सबसे महान खोजकर्ताओं में से एक माना जाता है. इस मोरक्कन यात्री ने अफ्रीका, एशिया और दक्षिणपूर्वी यूरोप के अधिकतर हिस्सों में यात्रा की थी. अपनी यात्रा में वो उत्तरी अफ्रीका, मिस्र, अरब, फ़ारस, अफ़गानिस्तान तक गए. यहां तक वो हिमालाय को पार कर भारत, चीन, दक्षिण-पूर्व एशिया, मालदीव तक घूमे. 

उन्होंने 30 वर्षों में लगभग 120,000 किलोमीटर की दूरी तय की. उनकी इस यात्रा का का सारा लेखा-जोखा ‘रिहला’ में पढ़ा जा सकता है. जिसका मतलब होता है सफ़रनामा. इसमें आपको उन सभी जगहों के लोगों की ज़िंदगी, खान-पान से लेकर रहन-सहन तक पढ़ने को मिलेगा.

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2. ह्वेनसांग (602-664)

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ह्वेनसांग एक चीनी यात्री था. वो 7वीं सदी में भारत आया और बुद्ध के जीवन से जुड़े सभी पवित्र स्थलों का भ्रमण किया. उसने कई बौद्ध धर्मग्रंथों का संस्कृत से चीनी में अनुवाद किया. उसने भारत में क़रीब 17 साल गुज़ारे. इस दौरान वो  गांधार, कश्मीर,पंजाब, कपिलवस्तु,बनारस, गया एवं कुशीनगर गया. हालांकि, ह्वेनसांग का सबसे ज़्यादा वक़्त कन्नौज में बीता था. उस समय वहां के राजा हर्षवर्धन थे. उनकी यात्रा का रिकॉर्ड इतना सटीक था कि इसने 19वीं और 20वीं सदी के वैज्ञानिकों को उनके चार्टर्ड पथ के साथ प्राचीन स्थलों को खोजने में मदद की.

3. मार्को पोलो (1254-1324)

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इतालवी खोजकर्ता मार्को पोलो अपने पिता और चाचा के साथ एशिया के सफ़र पर निकला था. उन्होंने फ़ारस, अफगानिस्तान, मंगोलिया और चीन की यात्रा की. उन्होंने जो रास्ता अपनाया उसे अब सिल्क रूट के नाम से जाना जाता है. मार्को पोलो बीजिंग में बस गए, जहां से उन्होंने चीन के अन्य हिस्सों, तत्कालीन बर्मा और भारत में अभियानों का नेतृत्व किया. बाद में वो सिंगापुर, सुमात्रा और भारत होते हुए इटली वापस चले गए. उनकी 26 साल की लंबी यात्रा ‘लिवरेस डेस मर्वेइल्स डू मोंडे’ या ‘बुक ऑफ द मार्वल्स ऑफ़ द वर्ल्ड’ में दर्ज है.

4. वास्को डी गामा (1460-1524)

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पुर्तगाली खोजकर्ता वास्को डी गामा ने ही यूरोप और एशिया को समुद्री मार्गों को जोड़ा था. 1498 में वो केरल के कालीकट (अब कोझीकोड) पहुंचे. इसे इतिहास की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक माना जाता है. उन्होंने ‘पूर्व’ तक पहुंचने के लिए अटलांटिक और हिंद महासागर को पार किया था. केप ऑफ गुड होप को पार करने वाले पहले व्यक्ति भी थे. उनकी इस यात्रा ने यूरोप से एशिया की समुद्री यात्राओं को खोल दिया.

5. क्रिस्टोफ़र कोलंबस (1451-1506)

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15वीं सदी में इटली का नाविक क्रिस्टोफ़र कोलंबस भारत की खोज पर निकला. हालांकि, वो ग़लती से अमेरिकी द्वीप पर पहुंच गया और उसे इंडीज़ का नाम दे दिया. दरअसल, वो बहामास का आइलैंड सैन सल्वाडोर था. कोलंबस ने यहां का बार-बार दौरा किया. कई बार अटलांटिक महासागर को पार किया और यूरोप और अमेरिका के बीच प्रमुख व्यापारिक संबंध स्थापित किए.

6. अमेरिगो वेस्पूची (1454-1512)

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अमेरिका महाद्वीप का नाम इटैलियन खोजकर्ता अमेरिगो वेस्पूची के नाम पर रखा गया. क्योंकि  ऐसा इसलिए क्योंकि सबसे पहले इन्होंने ही इसे ‘नई दुनिया’ के रूप में पहचाना था. उन्होंने ये साबित किया कि ब्राज़ील और वेस्टइंडीज पूर्वी एशिया का हिस्सा नहीं है.उन्होंने स्पेन और पुर्तगाल से कई अभियान शुरू किए और अमेज़ॅन के मुहाने की भी खोज की. 

7. जेम्स कुक (1728-1779)

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कैप्टन जेम्स कुक वो शख़्स है, जिसने न्यूफ़ाउंडलैंड (पूर्वी कनाडा) की मैपिंग की और प्रशांत क्षेत्र की तीन यात्राओं का नेतृत्व किया. इस दौरान उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की खोज और न्यूजीलैंड और हवाई का चक्कर लगाया. इसके लिए उन्होंने हज़ारों किमी का समुद्री सफ़र किया. कैप्टन कुक से लंबी यात्री किसी भी खोजकर्ता ने नहीं की. उन्होंने सभी सात महाद्वीपों की यात्रा की, दोनों ध्रुवों को पार किया. कुक की मौत के बाद उनकी उपलब्धियों को नासा ने सम्मान दिया. कुक के जहाज के नाम पर अंतरिक्ष शटल का नाम रखा गया.

8. जीन बेरेट (1740-1807)

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जीन बेरेट दुनिया का चक्कर लगाने वाली पहली महिला हैं. ये फ्रांसीसी वनस्पतिशास्त्री ने आदमी के भेस में लुइस एण्टोइन डि बाउगेनविली के अभियान में शामिल हो गई. इस अभियान में ‘ला बोउडेज’ और ‘एटोइल’ नामक जहाज शामिल थे. इस साहसी नाविक के बारे में ज़्यादा जानकारी जॉन डनमोर द्वारा जीन बेरेट की पहली अंग्रेजी जीवनी 2002 में प्रकाशित होने के बाद हुई. उसके बारे में अधिक जानकारी ग्लाइनिस रिडले की द डिस्कवरी ऑफ जीन बेरेट (2010) में मिलती है.

9. चार्ल्स डार्विन (1809-1882)

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इस शख्स को दुनिया ‘विकासवाद के सिद्धांत’ और उसकी किताब ‘ऑन द ओरिजिन ऑफ स्पीशीज’ के लिए याद करती है. डार्विन ने न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों और अन्य समुद्र तटों का पता लगाने के लिए अटलांटिक और हिंद महासागर की यात्रा की. उनकी इस यात्रा का विवरण उनकी किताब ‘जर्नल एंड रिमार्क्स’ में दर्ज है, जिसे बाद में ‘द वॉयज ऑफ द बीगल’ के नाम से जाना जाने लगा. 

10. फर्डिनेंड मैगलन (1480-1521)

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15वीं सदी में ये पुर्तगाली नाविक पहला इंसान था, जिसने नाव से पूरी दुनिया का चक्कर लगाया था. साथ ही, उत्तर और दक्षिण अमेरिका के माध्यम से अपना रास्ता खोजने और प्रशांत महासागर तक पहुंचने वाले वो पहले व्यक्ति थे. जिस जलमार्ग से उन्होंने ऐसा किया, उसे स्ट्रेट ऑफ मैगलन का नाम दिया गया.