What Happened To Sanjay After Mahabharata War: संजय, महाभारत के वो अहम क़िरदार थे, जो धृतराष्ट्र (Dhritarashtra) को युद्ध की लाइव अपडेट दे रहे थे. संजय के पास दिव्य दृष्टि थी, इसलिए उन्हें रणभूमि में ना होकर भी वहां होने वाली हर चीज़ साफ़-साफ़ नज़र आती थी. पेशे से संजय कौरवों के मंत्री भी थे, मगर नेक इंसान थे. इसलिए धृतराष्ट्र और पांडवों दोनों को प्रिय थे. मगर सवाल ये है कि महाभारत युद्ध में जब कौरव हारे तो उसके बाद संजय का क्या हुआ, आख़िर वो कहां गए? (Sanjay Role In Mahabharata)

आइए इसी बारे में आपको जानकारी देते हैं-

What Happened To Sanjay After Mahabharata War

श्रीकृष्ण के परम भक्त थे संजय

संजय विद्वान गावाल्गण नामक सूत के पुत्र और जाति से बुनकर थे. महर्षि वेदव्यास से उन्होंने शिक्षा हासिल की थी. ख़ुद भी वो एक बुद्धमान शख़्स थे. भले ही वो धृतराष्ट्र की राज्यसभा के सदस्य थे, मगर श्रीकृष्ण के वो परम भक्त थे. धृतराष्ट्र ने महाभारत युद्ध से ठीक पहले संजय को पांडवों के पास बातचीत करने के लिए भेजा था. वहां से आकर उन्होंने धृतराष्ट्र को युधिष्ठिर का संदेश सुनाया था. वो भी धृतराष्ट्र और उनके पुत्रों अधर्म से रोकने के लिये कड़े से कड़े वचन कहने में हिचकते नहीं थे. मगर बावजूद इसके युद्ध को टाला नहीं जा सका. (Pandavas And Kaurava War)

धृतराष्ट्र को सुनाया युद्ध का आंखों देखा हाल

संजय को महर्षि वेदव्यास से दिव्य दृष्टि मिली थी. इसी की बदौलत उन्होंने हस्तिनापुर में बैठ कर नेत्रहीन धृतराष्ट्र को युद्ध के बारे में पल-पल की जानकारी दी. उन्होंने युद्ध की संरचना और बारीकियों के साथ बताने के साथ तब ग्रहों की स्थितियां, प्रभाव के बारे में भी बताया. दिव्य दृष्टि की बदौलत ही संजय ने श्रीकृष्ण के उस विराट रूप को भी देखा था, जो उनके अलावा सिर्फ़ अर्जुन ही देख पाए थे.

महाभारत युद्ध के बाद संजय का क्या हुआ?

युद्ध के बाद संजय की दिव्य दृष्टि ख़त्म हो गई थी. कई सालों तक वो युधिष्ठर के राज्य में रहे. इसके बाद वो धृतराष्ट्र, गांधारी और कुंती के साथ संन्यास लेकर चले गए. पौराणिक ग्रंथ कहते हैं कि धृतराष्ट्र की मृत्यु के बाद संजय ने संन्यास ले लिया और हिमालय चले गए थे.

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