भारत (India) में ‘नॉर्थ ईस्ट’ के सभी राज्य बेहद ख़ूबसूरत माने जाते हैं. इन्हीं में से एक त्रिपुरा (Tripura) भी है. ये भारत के सबसे ख़ूबसूरत राज्यों में से एक है. त्रिपुरा का प्राकृतिक सौंदर्य देखने लायक है. ये पर्टयन की दृष्टि से भी ‘नॉर्थ ईस्ट’ के प्रमुख राज्यों में से एक है. त्रिपुरा में कई ख़ूबसूरत और ऐतिहासिक पर्यटन स्थल हैं. इन्हीं में से एक उनाकोटी (Unakoti) भी है, जो अपने एक रहस्य के लिए काफ़ी मशहूर है.

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चलिए जानते हैं आख़िर त्रिपुरा का ‘उनाकोटी’ इतना रहस्यमयी क्यों है?

क्यों ख़ास है त्रिपुरा का ‘उनाकोटी’ 

त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से क़रीब 145 किलोमीटर की दूरी पर उनाकोटी (Unakoti) नाम की जगह मौजूद है. ये जगह केवल त्रिपुरा में ही नहीं, बल्कि देशभर में भी काफ़ी मशहूर है. ‘उनाकोटी इसलिए भी ख़ास है क्योंकि यहां के जंगलों में चट्टानों पर आपको ढेर सारी हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां देखने को मिल जाएंगी. इनकी संख्या 100 या 1000 नहीं, बल्कि यहां 99 लाख 99 हज़ार 999 मूर्तियां मौजूद हैं.

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क्या है उनाकोटी का रहस्य?

उनाकोटी की चट्टानों पर बनीं भगवान शिव और गणेश की ये 99 लाख 99 हज़ार 999 मूर्तियां आज भी रहस्य का विषय बनीं हुई हैं. इन सभी मूर्तियों का इतिहास में कोई उल्लेख नहीं मिलता है. ये केवल पौराणिक कथाओं पर आधारित हैं. इसके अलावा ‘उनाकोटी’ में कुछ ऐसे रास्ते भी हैं जिनके रहस्य को बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाएं हैं.  

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कालभैरव की मूर्ति है बेहद ख़ास  

उनाकोटी में भगवान शिव और गणेश जी की मूर्तियों के अलावा ‘कालभैरव’ की भी एक विशाल मूर्ती है. ये सभी मूर्तियों में सबसे बड़ी है. इसीलिए कालभैरव की ये मूर्ती पर्यटकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र है. इसकी ऊंचाई क़रीब 30 फ़ीट है.

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उनाकोटी के कई किलोमीटर इलाक़े तक कोई मानव आबादी नहीं रहती है. यहां बस घना जंगल और दलदल है. यहां ज़्यादातर मूर्तियां भगवान शिव और गणेश जी की हैं. ये सभी मूर्तियां बड़े और छोटे आकार की हैं. ऐसे में सोचने वाली बात ये है कि आख़िर इतनी सुनसान जगह पर इतनी सारी मूर्तियां किसने और क्यों बनवाई हैं? इन मूर्तियों को बनाने वाले ने पूरी 1 करोड़ मूर्तियां क्यों नहीं बनाई? इस सवाल का जवाब इतिहास में भी कहीं नहीं मिलता है.

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1 मूर्ति कम बनने के पीछे का रहस्य

पौराणिक कहानियों के मुताबिक़, ‘उनाकोटी’ की चट्टानों पर बनीं मूर्तियों को ‘कालू’ नाम के एक शिल्पकार ने बनाई थीं. कहा जाता है कि जब वो भगवान शिव के साथ कैलाश जाने की जिद करने लगा तो शिव जी के कई बार मना करने के बाद भी वो नहीं माना. इसके बाद शिवजी ने एक शर्त रखी कि ‘अगर तुम एक रात में 1 करोड़ मूर्तियां बना दोगे तो मैं तुम्हें अपने साथ कैलाश लेकर जाऊंगा’. भगवान शिव की इस शर्त के लिए ‘कालू’ राजी हो गया और वो रातभर मूर्तियां बनाने में जुट गया. सुबह जब उसने मूर्तियों को गिना तो 1 मूर्ति कम थी और वो भगवान शिव के साथ कैलाश नहीं जा पाया.

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‘भारतीय पुरातत्व विभाग’ के मुताबिक़, ये मूर्तियां क़रीब 1200 साल पुरानी हैं. वहीं वैज्ञानिकों के अनुसार, ये मूर्तियां 8वीं से लेकर 9वीं शताब्दी में बनाई गई थीं.

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