Merry Christmas 2021: क्रिसमस ऐसा त्यौहार है जो पूरी दुनिया में धूम-धाम से मनाया जाता है. इस दिन लोग क्रिसमस ट्री को लाइट्स, रिबन, गिफ़्ट, टॉफ़ी आदि से सजाते हैं. क्रिसमस(Christmas) के दिन लोग एक-दूसरे के साथ पार्टी करते हैं, घूमते हैं और चर्च में प्रार्थना करते हैं.
25 दिसंबर की रात को यीशू को याद कर उनका जन्मदिन मनाते हैं, लेकिन कभी आपने सोचा है आख़िर 25 दिसंबर को ही क्रिसमस क्यों मनाते हैं और क्या है इसके पीछे की कहानी? चलिए आज आपके इन सवालों का जवाब हम दिए देते हैं.
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Merry Christmas
25 दिसंबर को ही क्यों मनाते हैं क्रिसमस?(Christmas Day History)
Christmas Day History: वैसे तो 25 दिसंबर को इशू का जन्मदिन नहीं होता. बाइबल में भी उनके जन्म की कोई फ़िक्स तारीख़ नहीं बताई गई है. लगभग 3 सदी से अधिक समय तक जीज़स का बर्थडे मनाने की कोई तय तारीख़ नहीं थी. पोप जूलियस प्रथम ने पहली बार 350 ईस्वी में इस तारीख़ को ईश्वर का जन्मदिन मनाने के लिए चुना था. 529 ईस्वी में रोमन सम्राट Justinian ने औपचारिक रूप से 25 दिसंबर को जीज़स का जन्मदिन सेलिब्रेट करने के सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की थी.
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क्रिसमस का महत्व(Christmas Day Importance)
सदियों से क्रिसमस दुनिया के सबसे बड़े त्यौहारों में से एक रहा है. क्रिसमस का ये त्यौहार बॉक्सिंग डे यानी 26 दिसंबर तक चलता है. इस त्यौहार को ईसा मसीह के जन्मदिन के रूम में मनाया जाता है. ईसाई धर्म के लोगों के लिए जीज़स का जन्मदिन बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस दिन ईश्वर ने अपने पुत्र(Nazareth) को धरती पर भेजा था. ईसाई धर्म के लोगों का मानना है कि इस दिन ईश्वर ने अपने पुत्र को पृथ्वी पर भेजा ताकि एक दिन यहां के भूत, भविष्य और वर्तमान के सभी पापों का बलिदान उसके रूप में दिया जा सके.
Merry Christmas
क्रिसमस डे(Christmas Day) ईशू को याद करने और उनकी पूजा का दिन है. क्रिसमस के दिन ईसा मसीह की प्रशंसा में लोग कैरोल गाते हैं. वे प्यार व भाईचारे का संदेश देते हुए घर-घर जाते हैं. विदेशों में क्रिसमस से पहले ही लोगों और बच्चों की स्कूल, कॉलेज और ऑफिस से छुट्टियां कर दी जाती हैं. विदेशों इस पर्व की धूम बाज़ारों और गलियों में भी दिखाई देने लगता है. मार्केट और सड़के क्रिसमस ट्री और लड़ियों से जगमगा उठती हैं.
24 दिसंबर को लोग ईस्टर ईव मनाते हैं और 25 दिसंबर को घर और बाहर पार्टी करते हैं. 25 दिसंबर से शुरु होकर क्रिसमस का त्यौहार 5 जनवरी तक चलता है. यूरोप में 12 दिनों तक मनाए जाने वाले इस त्यौहार को Twelfth Night के नाम से भी जाना जाता है. सभी इस दिन एक दूसरे को Merry Christmas कहते हैं.
क्या है सैंटा क्लॉज़ का इतिहास?(Santa Claus History)
क्रिसमस यानी ईसा मसीह के जन्मदिन और सैंटा का कोई कनेक्शन नहीं है. सैंटा क्लॉज़(Santa Claus) की उत्पत्ति के बारे में किसी को पता नहीं, लोग मानते है संत निकोलस ही सैंटा का असल रूप हैं. Quora के अनुसार, सैंटा क्लॉज़ का जन्म आख़िरी बाईबल लिखे जाने के 100 साल बाद हुआ था. इसलिए उनका ज़िक्र बाईबल में नहीं है. सैंटा उर्फ़ संत निकोलस का जन्म 270AD में हुआ था.
सैंटा क्लॉज़ नाम Saint Nicholas से निकला है. डच भाषा में इसे Sinter Klass कहा जाता है, यहां Sinter संत और Klass का मतलब Nicholas है. जब डच अमेरिका पहुंचे, तो वहां के लोगों ने Sinter Klass को सैंटा क्लॉज़ पुकारना शुरू कर दिया. इस तरह Saint Nicholas सैंटा क्लॉज़ बन गए. Saint Nicholas एक ग्रीक बिशप थे. वो लोगों के बीच अपनी दयालुता के लिए बहुत फ़ेमस थे. उनसे किसी का भी दुख देखा नहीं जाता था.
इसलिए वो रात को छुपकर लोगों को गिफ़्ट दिया करते थे. बच्चों और ज़रूरतमंदों को गिफ़्ट दे कर उन्हें शांति महसूस होती थी. उनसे जुड़ी जूते और जु़राब में रखे सोने के सिक्कों की कई कहानियां तब सुनने को मिलती थी. इसलिए आज भी कहा जाता है कि सैंटा क्लॉज़ आएंगे और बच्चों की जु़राबों और जूतों में गिफ़्ट रख कर चले जाएंगे.
Merry Christmas
यहीं से पूरी दुनिया में क्रिसमस के दिन मोज़े में गिफ़्ट देने यानी सीक्रेट सैंटा(Secret Santa) बनने का रिवाज़ शुरू हुआ था. दुनियाभर में लोग ऑफ़िस और अपने घरों में क्रिसमस पर सीक्रेट सैंटा का आयोजन भी करते हैं. इसमें वो अपने प्रियजनों को चुपके से सीक्रेट गिफ़्ट देकर ख़ुशियां बांटने की कोशिश करते हैं और सबको Merry Christmas विश करते हैं.
क्रिसमस ट्री का इतिहास क्या है?(Christmas Tree History)
क्रिसमस के दिन क्रिसमस ट्री(Christmas Tree) को सजाने का रिवाज़ है. क्रिसमस ट्री की शुरुआत उत्तरी यूरोप में हज़ारों सालों पहले हुई थी. उस दौरान ‘Fir’ नाम के पेड़ को सजाकर इस त्यौहार को मनाया जाता था. 16वीं सदी में जर्मनी में भी क्रिसमस ट्री को सजाने का उल्लेख मिलता है. इसके अलावा बहुत से लोग चेरी के पेड़ की टहनियों को भी क्रिसमस के वक्त सजाया करते थे. ग़रीब लोग जो इन पौधों को ख़रीद नहीं पाते थे वो लकड़ी को पिरामिड का शेप देकर क्रिसमस मनाया करते थे.
इसके साथ ही क्रिसमस ट्री(X-Mas Tree) को सजाने की परंपरा चल पड़ी. क्रिसमस का जो ट्री होता है वो सदाबहार होता है और उसकी पत्तियां कभी मुरझाती नहीं हैं. इस पेड़ को काटकर लोग अपने घर में लाते हैं और कैंडी, चॉकलेट, रिबन, गिफ़्ट, लाइट्स, बेल्स से सज़ाते हैं.
Merry Christmas!