Why Shankh Is Not Blown In Badrinath Temple: हिंदुओं में पूजा-पाठ के दौरान शंख बजाया जाता है. फिर वो चाहें घर की पूजा हो या मंदिर में. शंख का विशेष महत्व रहता है. शुभ काम से पहले इसे ज़रूर बजाते हैं. कहते हैं कि भगवान विष्णु को भी शंख की ध्वनि बेहद पंसद है. हालांकि, इसके बावजूद भगवान विष्णु को समर्पित बद्रीनाथ धाम में शंख नहीं बजाया जाता है. (Mysteries of Badrinath Temple)

ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर क्‍या वजह है, जो उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम (Badrinath Dham) में शंखनाद वर्जित है.

Why Shankh Is Not Blown In Badrinath Temple

धार्मिक मान्यता

बद्रीधाम उत्‍तराखंड के चमोली जिले में अलकनंदा नदी के तट पर है. इस मंदिर का निर्माण 7वीं-9वीं सदी में होने के प्रमाण मिलते हैं. मंदिर में भगवान बद्रीनारायण की एक मीटर लंबी शालिग्राम से बनी मूर्ति स्‍थापित है. मान्यता है कि इसे आदिगुरु शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में नारद कुंड से निकालकर स्थापित किया था.

कहते हैं कि एक बार माता लक्ष्मी बद्रीनाथ धाम में तुलसी रूप में ध्यान कर रही थीं. जब वो ध्‍यानमग्‍न थीं, उसी समय भगवान विष्णु ने शंखचूर्ण नाम के राक्षस का वध किया था. हिन्दू धर्म में जीत पर शंखनाद किया जाता है, लेकिन विष्णु जी लक्ष्मी जी के ध्यान में विघ्न नहीं डालने चाहते थे, इसलिए उन्होंने शंख नहीं बजाया. आज भी इसी बात को ध्‍यान में रखते हुए बद्रीनाथ धाम में शंख नहीं बजाया जाता है. (Why Conch Or Shankh Is Not Blown In Badrinath Temple)

पौराणिक मान्यता

पौराणिक कथा के अनुसार अगसत्य मुनि केदारनाथ में राक्षसों का वध कर रहे थे. तभी वहां से दो राक्षस अतापी और वतापी भाग गए. राक्षस अतापी ने मंदाकिनी नदी में शरण लेकर अपनी जान बचाली. वहीं, राक्षस वतापी बद्रीनाथ मंदिर में रखे शंख के अंदर छुप गया. कहते हैं कि अगर शंख बजाया जाएगा तो वतापी राक्षस बाहर निकल जाएगा. इसलिए आज भी बद्रीनाथ में शंख नहीं बजाया जाता है.

शंख न बजाने के पीछे वैज्ञाानिक कारण

बद्रीनाथ धाम में बर्फबारी के समय पूरा बद्री क्षेत्र बर्फ की सफेद चादर से ढक जाता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, अगर यहां शंख बजता है तो उसकी ध्वनि पहाड़ों से टकराकर प्रतिध्वनि पैदा करती है. इस कारण बर्फ में दरार पड़ने या फिर बर्फीले तूफ़ान आने की आशंका बन सकती है.

साथ ही, खास आवृत्ति वाली ध्वनियां पर्यावरण को काफ़ी नुक़सान पहुंचाती हैं. ऐसे में पहाड़ी इलाकों में लैंडस्लाइड भी हो सकता है. इस वजह से भी यहां आदिकाल से शंख नहीं बजाया जाता.

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