हम हिंदुस्तानी मेहनत करने में कभी पीछे नहीं हटते. ख़ास कर तब जब हमें अपनी पसंद की कोई चीज़ चाहिये हो. अपनी इच्छाओं के लिये न तो हम पसीना बहाने से घबराते हैं. न ही लाइन में लगने से. न जानें हमारी ज़िंदगी में ऐसे कितने मौक़े आये हैं, जब हमने अपने आलसा को त्यागा और चुपचाप जाकर लाइन में खड़े हो गये. न दाएं देखा और न बाएं बस इच्छाओं के लिये सघर्ष करने पहुंच गये.

लाइन में लगने का ये चलन का आज का नहीं है, बल्कि दशकों से हम ये काम हंसते-रोते करते आये हैं. कुछ समय पहले ही Reddit पर एक यूज़र ने 1976 की तस्वीर शेयर की. ये दृश्य बेंगलुरु का है, जब HMT की घड़ी लेने के लिये लोग लंबी कतार लगाये खड़े हैं.  

आइये जानते हैं इससे पहले ऐसे दृश्य और कब-कब देखे गये हैं.  

1. खाना लेने के लिये लाइन में खड़े हुए लोग 

1946 में हुए दंगे और लूटपाट के बाद खाना लेने के लिये लाइन में लगे हैं कलकत्ता वाले. 

bbci

2. चावल के लिये लाइन में लगी महिलायें 

ये ब्लैक एंड वाइट तस्वीर 1943 की है. बंगाल की ये महिलाएं चावल लेने के लिये कतार में खड़ी हैं. ये मजबूरी और मजदूरी वाला दौर था.  

richardlangworth

3. भूख के खिलाफ़ जब सड़कों पर उतरी महिलाएं 

28 दिसबंर 1974 को कलकत्ता की सड़कों पर महिलाओं ने अपने बच्चों के साथ एक जुलूस निकाला था. ये जुलूस भूख से मरे रहे ग़रीबों के लिये था. 

livemint

4. माइकल जैक्सन का भारत दौरा 

1 नवंबर 1996 को माइकल जैक्सन भारत के दौरे पर आये थे. इस दौरान उनसे मिलने के लिये लोग घंटों लंबी लाइन लगाये खड़े रहे. अपने फ़ेवरेट स्टार से मिलने के लिए इतना करना बड़ी बात नहीं है. 

wattpad

5. नोटबंदी में झलका दर्द 

8 November 2016 को प्रधानमंत्री मोदी ने देशभर में नोटबंदी का ऐलान कर दिया. इसके बाद बैंकों और एटीएम के बाहर लोगों की जो भीड़ देखने को मिली मन ही घबरा गया था.  

twimg

6. शराब के लिये दिखा लोगों का प्यार  

पिछले साल कोरोना वायरस की वजह सरकार ने पूरे भारत में लॉकडाउन लगा दिया. अब जिनके पास दारू का स्टॉक था, उन्हें दिक्कत नहीं हुई. जिनके पास नहीं था, उन्होंने किसी तरह 2 महीने घर में गुज़ारे. इसके बाद जैसे ही लॉकडाउन खुला और सरकार ने शराब की दुकानें खोलने का ऐलान किया. बाबा रे बाबा दुकान के बाहर लोगों को देख कर ऐसा जैसे मानों ये शराब नहीं, हीरा चुनने आये हैं.

navbharattimes

7. वैक्सीनेशन की जल्दी  

भारत में कोरोना की दूसरी लहर ने हर किसी को डरा दिय. ये लहर पहली से ज़्यादा ख़तरनाक थी. इसलिये सरकार ने वैक्सीनेशन में तेज़ी लाई और हिंदुस्तानी भी बिना देर किये, लाइन में लग कर वैक्सीन लगवाने पहुंच गये.

newindianexpress

8. Coffee के लिये मोहब्बत  

06-Oct-2018 की बात है, Starbucks ने 1 से 7 अक्टूबर तक भारत में प्रोमशन करने के लिये सभी स्टोर्स पर 100 रुपये में कॉफ़ी देने का ऐलान किया. पता नहीं था कि Starbucks की कॉफ़ी पीने के लिये कोलकाता वाले सुबह 6.30 बजे से लाइन लगा कर खड़े हो जायेंगे.

telegraphindia

9. रजनीकांत के लिये लोगों ने त्यागा बेड  

मतलब ये तो हमारी कल्पना से परे था. अभिनेता रजनीकांत साउथ के लोगों के लिये स्टार नहीं, बल्कि भगवान हैं. इस बात का प्रमाण उनकी फ़िल्म ‘क़ाबिल’ है. चेन्नई में जिस ‘क़ाबिल’ रिलीज़ होने वाली थी, लोग सुबह 4 बजे से सिनेमाघरों के बाहर टिकट के लिये खड़े थे. ताकि वो सबसे पहले उनकी मूवी देख सकें.

yourdost

10. ‘बिरयानी’ ही जीवन है 

पिछले साल अक्टूबर में ‘बिरयानी’ प्रेमियों ने हद कर दी. बेंगलुरु में एक रेस्टोरेंट के बाहर ‘बिरयानी’ खाने के लिये लोगों ने 1.5 किमी की लंबी लाइन लगा डाली. वो सुबह 4 बजे से. भला ‘बिरयानी’ के लिये ऐसी भी क्या दीवानगी. 

11. कट्प्पा ने बाहुबली को क्यों मारा?  

‘बाहुबली’ देखने के बाद हर किसी के मन में सवाल था कि आखिर कट्प्पा ने बाहुबली को क्यों मारा? जिसका जवाब लोगों को ‘बाहुबली 2’ में मिलना था. वहीं जब जिस दिन ‘बाहुबली 2’ रिलीज़ होने वाली थी. देश के कई सिनेमाघरों के बाहर लोग टिकट लेने के लिये लंबी लाइन लगाये हुए खड़े थे. जैसे पता नहीं कट्प्पा इन्हें क्या देकर जायेगा.  

scoopwhoop

हमारे ज़हन में तो मेहनती हिंदुस्तानियों के यही क़िस्से थे. अगर आपको कुछ याद आता है, तो हमें कमेंट में बताइयेगा.